11 May गोपाल कृष्ण गोखले
- भारत के प्रधान मंत्री ने गोपाल कृष्ण गोखले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी।
- गोपाल कृष्ण गोखले एक महान समाज सुधारक और शिक्षाविद् थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को अनुकरणीय नेतृत्व प्रदान किया।
गोपाल कृष्ण गोखले:
जन्म:
- उनका जन्म 9 मई, 1866 को वर्तमान महाराष्ट्र (तब बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा) के कोटलुक गांव में हुआ था।
विचारधारा:
- गोखले ने तीन दशकों तक सामाजिक सशक्तिकरण, शिक्षा के विस्तार और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा में काम किया और प्रतिक्रियावादी या क्रांतिकारी तरीकों के इस्तेमाल को खारिज कर दिया।
औपनिवेशिक विधानमंडलों में भूमिका:
- 1899 और 1902 के बीच वे बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य थे और 1902 से 1915 तक उन्होंने इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में सेवा की।
- इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में सेवा करते हुए, गोखले ने 1909 के मॉर्ले-मिंटो सुधारों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में भूमिका:
- वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में वर्ष 1889 में शामिल हुए थे।
- वे 1905 के बनारस अधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
- यह वह समय था जब लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और अन्य के नेतृत्व वाले ‘सामान्य दल’ और ‘गरम दल’ के बीच व्यापक मतभेद पैदा हो गए थे। 1907 के सूरत अधिवेशन में ये दोनों गुट अलग हो गए।
- वैचारिक मतभेदों के बावजूद, वर्ष 1907 में, उन्होंने लाला लाजपत राय की रिहाई के लिए अभियान चलाया, जिन्हें अंग्रेजों ने म्यांमार की मांडले जेल में कैद कर दिया था।
संबंधित सोसायटी और अन्य कार्य:
- भारतीय शिक्षा के विस्तार के लिए वर्ष 1905 में उन्होंने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की स्थापना की।
- वे महादेव गोविंद रानाडे द्वारा शुरू की गई ‘सार्वजनिक सभा पत्रिका’ से भी जुड़े थे।
- वर्ष 1908 में गोखले ने रानाडे अर्थशास्त्र संस्थान की स्थापना की।
- उन्होंने अंग्रेजी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘द हितवाद’ की शुरुआत की।
गांधी के गुरु के रूप में:
- एक उदार राष्ट्रवादी के रूप में महात्मा गांधी उन्हें एक राजनीतिक गुरु मानते थे।
- महात्मा गांधी ने गोपाल कृष्ण गोखले को समर्पित गुजराती भाषा में एक पुस्तक ‘धर्मात्मा गोखले’ लिखी।
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