गौतम नवलखा केस

गौतम नवलखा केस

गौतम नवलखा केस

संदर्भ एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार गौतम नवलखा को सीसीटीवी निगरानी व फोन के प्रतिबंधों में एक महीने की जेल से मुंबई में हाउस अरैस्ट में स्थानांतरित किया गया है। जहाँ इंटरनेट की पहुँच नहीं है।

गौतम नवलखा-

  •  ग्वालियर में जन्मे, नागरिक अधिकार कार्यकर्ता पीपुल्स यूनियन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) के सक्रिय सदस्य हैं।
  •  मुंबई में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में प्रशिक्षित, 65 वर्षीय नवलखा ने अपनी गिरफ्तारी से पहले डिजिटल न्यूज़पोर्टल न्यूज़क्लिक के साथ काम किया। 
  • वह 30 से अधिक वर्षों से अकादमिक पत्रिका इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के साथ जुड़े थे। 
  • वह डेज़ एंड नाइट्स इन द हार्टलैंड ऑफ़ रिबेलियन पुस्तक के लेखक भी हैं।
  • एल्गार परिषद में हुई हिंसा के कारण उन पर गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

एल्गार परिषद- एल्गार का अर्थ होता है जोर से आवाज देना या उद्घोषणा करना। ऐतिहासिक तौर पर यह मराठा ब्राह्मणों पर दलितों की जीत का प्रतीक है। 31 दिसंबर 2017 को इसकी वर्षगांठ मनाने के लिए लोग एकत्रित हुए थे।

एल्गार परिषद मामला– 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद आयोजित थी, उसके एक दिन बाद महाराष्ट्र में भीमा कोरेगांव के पास मराठा व दलित समूहों के बीच हिंसक झड़प हुई, पुलिस ने आरोप लगाया कि हिंसा एल्गार परिषद में भड़काउ भाषण के कारण हुई। 

गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम 2019

  • यह अधिनियम 1967 में संशोधित रूप है।
  • यह संशोधन आपराधिक मामलों की त्वरित जाँच के लिए लाया गया था, 
  • इसके अनुसार आतंकवादी कार्यों से जुड़े व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में नामित करना संभव है।
  • शहरी माओवादियों सहित देश की सुरक्षा व संप्रभुता के भंग करने वाले आतंकवादी गतिविधि में संलग्न लोगों पर कार्यवाही की जाएगी।
  • आतंकवादी गतिविधि से एकत्रित सम्पत्ति को जब्त करने का अधिकार मामले की जाँच कर रही राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के महानिदेशक को है।

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993

  • मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 के अनुसार किसी व्यक्ति के संविधान के अंतर्गत गांरटित अथवा अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं में सम्मिलित तथा भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय  के जीवन, स्वतंत्रता, समानता व व्यक्ति की गरिमा से संबंधित मानवाधिकार का हनन हो या लोकसेवक द्वारा इस प्रकार के हनन की रोकथाम में लापरवाही हो तो मानवाधिकार आयोग इसकी जाँच कर कता है।
  • उन तथ्यों की समीक्षा करना जिनमें आतंकवादी गतिविधियाँ शामिल हैं जो मानवाधिकार के उपयोग को रोकती है तथा उचित उपचारित उपायों की संस्तुति तैयार करना।
  • जेल अथवा अन्य संस्थान में वहां के लोगों का जीवनयापन की दशा का अध्ययन कर सकती है, तथा उसके संबंध में राज्य सरकार को संस्तुति भेज सकती है।
  • न्यायालय में लंबित मामलों में न्यायालयों की मंजूरी के साथ हस्तक्षेप करेगा।

अनुच्छेद 22- 

अनुच्छेद 22 के अनुसार गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी दिए बिना हिरासत में नहीं रखा जाएगा और न ही उसे अपने वकील से परामर्श करने और बचाव करने के अधिकार से वंचित किया जाएगा।

प्रत्येक व्यक्ति जिसे गिरफ्तार किया गया है और हिरासत में रखा गया है, ऐसी गिरफ्तारी के चौबीस घंटे की अवधि के भीतर निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा, जिसमें गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट की अदालत तक की यात्रा के लिए आवश्यक समय शामिल नहीं है

निवारक निरोध का प्रावधान करने वाला कोई भी कानून किसी व्यक्ति को तीन महीने से अधिक की अवधि के लिए तब तक के लिए निरोध को अधिकृत नहीं करेगा जब तक कि

  •  (क) एक सलाहकार बोर्ड जिसमें ऐसे व्यक्ति शामिल हों, जो न्यायाधीश हैं, या रह चुके हैं, या नियुक्त किए जाने के योग्य हैं। एक उच्च न्यायालय ने तीन महीने की उक्त अवधि की समाप्ति से पहले सूचित किया है कि उसकी राय में इस तरह के निरोध के लिए पर्याप्त कारण है।
  • (ख)व्यक्ति को संसद द्वारा बनाई गई विधि के अधीन निरुद्ध न किया हो।

गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम 2019, आतंकवादी गतिविधियों की कार्यवाही के लिए त्वरित जाँच करती है, वहीं मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 और अनुच्छेद 22 मानवाधिकारों का हनन नहीं होने देते। 

महत्वपूर्ण बिंदू

भीमा कोरेगांव की लड़ाई- 

  • यह युद्ध मराठों व अंग्रेज नेतृत्व के साथ स्ठानीय महार जाति के मध्य लड़ा गया।
  • 2000 मराठा सैनिकों का नेतृत्व बाजीराव द्वितीय ने किया और फ्रांसीस स्टाण्टन के नेतृत्व में 800 सैनिक थे जिसमें 500 सैनिक महार रेजीमेण्ट से थे।
  • युद्ध में जीत महार बहुल अंग्रेज सेना की हुई। जो महार जाति के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी।

महार जाति- 

  • महार एक सामाजिक समूह है जो महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार व दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों में निवास करते हैं।
  • सामाजिक रूप से इनकी स्थिति निम्न थी ये गांव के बाहर निवास करते थे और गांव के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य जैसे- चौकीदारी, संदेशवाहक, कृषि मजदूरी,  सफाई करने, कूड़ा उठाने का कार्य किया करते थे।
  •  भीमा कोरेगांव की लड़ाई, शोषक वर्ग पर शोषित वर्ग की विजय के रूप में आज भी याद की जाती है क्योंकि महारों का नेतृत्व अंग्रेजों ने किया था इसलिए इस लड़ाई को विजय स्मृति के रूप में मनाना कई बार विवाद का कारण बन जाता है। 
  • 20 वी शताब्दी में भीमराव अम्बेडकर ने इन्हें संगठित कर शिक्षा के लिए प्रेरित किया और 1956 में जातिगत भेदभाव को कम करने के लिए अपने लाखों महार अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/cities/mumbai/gautam-navlakha-house-arrest-supreme-court-nia-8260324/

https://indianexpress.com/article/cities/mumbai/gautam-navlakha-bhima-koregaon-case-8260485/

https://indiankanoon.org/doc/581566/

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 18th November

No Comments

Post A Comment