ग्राम रक्षा समितियाँ

ग्राम रक्षा समितियाँ

ग्राम रक्षा समितियाँ

संदर्भ- हाल ही में जम्मू और कश्मीर के ऊपरी डांगरी गांव में दो दिन लगातार हमला होने के कारण स्थानीय निवासियों ने ग्राम रक्षा समिति के गठन तथा ग्राम रक्षा गार्डों को डांगरी गांव में स्थापित करने की मांग की है।

ग्राम रक्षा समिति- 

  • सर्वप्रथम वीडीसी का गठन 1990 के दशक के मध्य में तत्कालीन डोडा जिले में आतंकवादी हमले के खिलाफ बल गुणक के रूप में किया गया था।
  • जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दूरस्थ पहाड़ी गांवों के निवासियों को हथियार प्रदान करने और उन्हें अपनी रक्षा करने के लिए हथियारों का प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया गया।
  • ग्राम रक्षा समिति के विशेष पुलिस अधिकारियों(एसपीओ) को 1500 रुपये मासिक प्रदान किया जाता था। एसपीओ जम्मू कश्मीर पुलिस में सबसे निचली रैंक, सेवानिवृत्त सेना, पैरामिलिट्री या पुलिस कर्मी होते थे।
  • ग्राम रक्षा समिति का नाम बदलकर ग्राम रक्षा गार्ड कर दिया गया है।

ग्राम रक्षा गार्ड –

  • जम्मू कश्मीर में ग्राम रक्षा गार्ड स्थापित करने की नई योजना को मार्च 2022 में मंजूरी दी गई और 15 अगस्त 2022 को योजना, प्रारंभ कर दी गई।
  • इस योजना का उद्देश्य सीमावर्ती संवेदनशील क्षेत्रों के निवासियों को आत्मरक्षा की भावना के साथ सशस्त्र रूप से संगठित करना है। प्रत्येक संगठन में 15 सदस्य शामिल होंगे।
  • ग्राम रक्षा समिति का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को 4500 रुपये प्रति माह व अन्य व्यक्तियों को 4000 रुपये प्रति माह निर्धारित की गई है।
  • ये जिले के एसपी या एसएसपी के निर्देशन में कार्य करेंगे।

ग्राम रक्षा समिति की संरचना- 

  • प्रत्येक वीडीसी में न्यूनतम 10-15 पूर्व सैनिक, पूर्व पुलिस या स्थानीय नागरिकों को शामिल किया गया था।
  • जिला पुलिस अधीक्षक के माध्यम से औसतन उनमें से कम से कम पांच को .303 राइफल और 100 राउंड प्रत्येक प्रदान को किए जा सकते थे।
  • हथियारों का आवंटन स्वयंसेवकों की साख, गाँव की कुल आबादी और इसकी सुरक्षा आवश्यकताओं के आधार पर किया जाता था। जिनका मूल्यांकन जिला मजिस्ट्रेट और एसएसपी द्वारा किया जाता था।
  • 60 वर्ष की आयु के बाद नागरिकों से उनके हथियार वापस ले लिए जाते हैं।

ग्राम रक्षा समिति की आवश्यकता

  • 1990 में आतंक की स्थिति,(जिसके कारण कश्मीरी पण्डितों का दुःखद बहिर्गमन हो गया) डोडा जिले में भी प्रसारित हो गई।
  • 1993 में किश्तवाड़ में 13 लोगों की हत्या के बाद स्थानीय लोगों को हथियार देने का फैसला किया गया।
  • कश्मीरी पण्डितों के लगातर हो रहे पलायन के कारण वीडीसी की स्थापना की आवश्यकता महसूस हुई, जिससे पलायन को रोका जा सके।
  • उग्रवादियों का प्रसार उधमपुर, रियासी, राजौरी, पुंछ, कठुआ, सांबा जैसे क्षेत्रों में होने के कारण ग्राम रक्षा समिति का प्रसार इन क्षेत्रों में भी किया गया।

ग्राम रक्षा समिति का योगदान

  • जम्मू के चिनाब घाटी, पीर पंजाल क्षेत्र, उधमपुर की पहाड़ियाँ, रियासी और कठुआ जिलों में वीडीसी ने उग्रवाद मुकाबला भलीभांति किया गया।
  • मार्गों की अत्यंत खराब स्थिति के कारण सुरक्षा बलों के समय पर न पहुँत पाने की स्थिति में स्थानीय नागरिकों ने कई आतंकवादी हमलों को प्रारंभ में ही विफल कर दिया।

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

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