ग्रीन स्टील

ग्रीन स्टील

ग्रीन स्टील

संदर्भ- हाल ही में केंद्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा में कहा कि सरकारी योजनाओं में ग्रीन स्टील के उपयोग को अनिवार्य करने पर सरकार विचार कर रही है। उनके अनुसार केंद्र ने 2030 तक इस्पात के उत्सर्जन में 10% का लक्ष्य निर्धारित किया है। 

ग्रीन स्टील- परंपरागत स्टील को बनाने के लिए अत्यधिक जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता होती है, जीवाश्म ईंधन के कारण वायुमण्डल में अत्यधिक कार्बन डाइ ऑक्साइड रिलीज होती है। जब स्टील बनाने के लिए जीवाश्म युक्त ईंधन का प्रयोग नहीं किया जाता तो वह स्टील को ग्रीन स्टील कहा जाता है। 

ग्रीनस्टील निर्माण की क्रियाविधि-

  • स्टील का निर्माण दो विधियों से बनाया जाता है- कार्बन यानि जीवाश्म ईंधन के प्रयोग से और प्राकृतिक या हाइड्रोजन गैसों के प्रयोग से।
  • कच्चे लोहे को 800 से 1200 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर गर्म किया जाता है।
  • ग्रीन स्टील के निर्माण में डायरेक्ट रिड्यूस्ड आयरन का प्रयोग किया जाता है। 
  • परंपरागत स्टील के निर्माण में ब्लास्ट फर्नेस की आवश्यकता होती है जो अत्यधिक कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन का कारक बनता है। जबकि ग्रीन स्टील के निर्माण में इलैक्ट्रिक आर्क फर्नेस का प्रयोग किया जाता है। जिससे कार्बन उत्सर्जन अपेक्षाकृत काफी कम होता है।
  • इसमें लौह अयस्क के इलैक्ट्रोलिसिस के माध्यम से इसका विद्युतीकरण किया जाता है।
  • कच्चे लोहे में उपस्थित कार्बन, गंधक, फास्फोरस को अलग कर इसमें मैगनिज, निकिल, क्रोमियम, वनाडियम आदि तत्व मिश्रित कर वांछित प्रकार का इस्पात बनाया जा सकता है।

ग्रीन स्टील की आवश्यकता –

  • वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र में इस्पात उद्योग सबसे बड़ा होने के साथ कार्बन डाइ ऑक्साइड के तीन सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है।
  •  वैश्विक स्तर पर इस्पात उद्योगों के कारण कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन 8% है जबकि भारत में इसका योगदान 12% का है।
  • 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन के जलवायु परिवर्तन लक्ष्य को हासिल करने के लिए इस्पात उद्योगों से उत्सर्जन को नियंत्रित करना आवश्यकता है। जिसके लिए ग्रीन स्टील को कारगर उपाय माना जा रहा है।

 ग्रीन स्टील उत्पादन के मुद्दे-

  • प्राकृतिक गैस व हाइड्रोजन गैस की व्यावहारिक रूप में आने तथा इनकी उपलब्धता अभी सम्भव नहीं हो पाई है। इसलिए बड़ी मात्रा में कार्बन को विस्थापित करना चुनौतिपूर्ण होगा।
  • प्राकृतिक गैस की महंगी प्रणाली को इस्पात उद्योग द्वारा वहन करना चुनौतिपूर्ण हो सकता है।

भारत में लौह इस्पात उद्योग

  • लौह इस्पात उद्योग हेतु कच्चा माल – लौह अयस्क, कोकिंग कोयला, चूना पत्थर मैग्निज आदि।
  • लौह इस्पात उद्योगों की अवस्थिति- बर्नपुर-हीरापुर-कुल्टी, दुर्गापुर, बोकारो, भिलाई, भद्रावती, राउरकेला, विजयनगर, सेलम, जमशेदपुर, विशाखापत्तनम, गोपालपुर आदि।
  • भारत में देश का पहला इस्पात कारखाना कुल्टी(पश्चिमबंगाल) में बंगाल आयरन वर्क्स के नाम से 1874 में स्थापित किया गया था। 
  • बड़े पैमाने पर भारत का पहला कारखाना जमशेदजी टाटा द्वारा बिहार के साकची(झारखण्ड), 1907 में स्थापित किया गया था।
  • 1955 में सोवियत संघ की सहायता से भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना की गई। 
  • हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड की स्थापना पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में ब्रिटेन की सहायत से की गई थी। 
  • हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड राउरकेला की स्थापना जर्मनी की सहायता से 1955 में की गई थी।
  • बोकारो स्टील प्लांट, सोवियत संघ की मदद से झारखण्ड के बोकारो में 1968 में स्थापित किया गया था।
  • 24 जनवरी 1973 को बर्नपुर, दुर्गापुर, बोकारो, भिलाई, राउरकेला, सलेम और विश्वरैय्या आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड को एक कर SAILकी स्थापना की गई।

भारत में इस्पात उत्पादन-

  • इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में भारत विश्व में दूसरा स्थान रखता है। पहले स्थान पर चीन है।
  • इस्पात उत्पादन में भारत द्वारा निरंतर वृद्धि दर्ज की जा रही है। जनवरी से मार्च 2022 में केवल भारत ही एक ऐसा देश था जिसने इस्पात उत्पादन में वृद्धि दर्ज की थी।
  • 2021-22 में इस्पात उत्पादन 9.8 मीट्रिक टन और कच्चे इस्पात का उत्पादन 98.39 मीट्रिक टन और तैयैर इस्पात का उत्पादन 92.82 मीट्रिक टन था।
  • भारत में इस्पात की प्रति व्यक्ति खपत 77 किग्रा दर्ज की गई। जो 2021 की अपेक्षा 10% की वृद्धि दर्शाता है।

राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017

  • नीति का उद्देश्य भारतीय इस्पात उद्योग के माध्यम से देश के स्थाय़ी विकास को बढ़ावा देना था।
  • इसका लक्ष्य 2030-31 तक 300 मीट्रिक टन कच्चे इस्पात का उत्पादन कर इस्पात उद्योग को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी उद्योग के रूप में स्थापित करना है।
  • नीति के अनुसार देश में उच्च श्रेणी के इस्पात की 100% आवश्यकता को स्वदेश में ही पूरा किया जाए।

भारतीय इस्पात उद्योग की चुनौतियाँ-

  • भारत में इस्पात निर्माण की लागत अत्यधिक है, जो उसे वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने में एक अवरोध उत्पन्न करता है।
  • इस्पात उद्योग और जलवायु परिवर्तन लक्ष्य विरोधाभासी  प्रतीत हो रहे हैं, और ग्रीन इस्पात की महंगी नीति एक चुनौतिपूर्ण समाधान है।
  • भारत के इस्पात उद्योगों की उत्पादन क्षमता का अल्प उपयोग एक समस्या हो सकती है।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/india/emissions-dip-govt-may-make-green-steel-mandatory-jyotiraditya-scindia-8333533/

https://hindi.economictimes.com/news/indias-steel-production-grew-by-18-to-118-million-tonnes-in-2021/articleshow/89224534.cms

https://www.weforum.org/agenda/2022/07/green-steel-emissions-net-zero/

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