28 Feb घरेलू हिंसा और सुप्रीम कोर्ट
घरेलू हिंसा और सुप्रीम कोर्ट
संदर्भ- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु सचिवों की बैठक बुलाने के निर्देश दिए हैं। सर्वोच्च न्यायालय की एक रिपोर्ट के अनुसार 801 जिलों के लगभग 4.4 लाख घरेलू हिंसा के मामले लंबित हैं।
बुलाई गई बैठक में निम्नलिखित मंत्रालय व संस्थान शामिल होने हैं-
- वित्त
- गृह
- सामाजिक न्याय
- राष्ट्रीय महिला आयोग
- राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA)
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005-
घरेलू हिंसा- इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए प्रत्यर्थी का कोई कार्य, लोप या किसी कार्य का आचरण, घरेलू हिंसा की ओर इंगित करेगा यदि वह,—
(क) व्यथित व्यक्ति के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन, अंग की या चाहे उसकी मानसिक या शारीरिक भलाई की अपहानि करता है, या उसे कोई क्षति पहुंचाता है या उसे संकटापन्न करता है या उसकी ऐसा करने की प्रकृति है और जिसके अंतर्गत शारीरिक दुरुपयोग, लैंगिक दुरुपयोग, मौखिक और भावनात्मक दुरुपयोग और आर्थिक दुरुपयोग कार्य भी आते हैं।
(ख) किसी दहेज या अन्य संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति के लिए किसी विधिविरुद्ध मांग की पूर्ति के लिए उसे या उससे संबंधित किसी अन्य व्यक्ति को प्रपीड़ित करने की दृष्टि से व्यथित व्यक्ति का उत्पीड़न करता है या उसकी अपहानि करता है या उसे क्षति पहुंचाता है या संकटापन्न करता है; या
(ग) खंड (क) या खंड (ख) में वर्णित किसी आचरण द्वारा व्यथित व्यक्ति या उससे संबंधित किसी व्यक्ति पर धमकी का प्रभाव रखता है; या
(घ) व्यथित व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक रूप से क्षति पहुंचाता है या उत्पीड़न करता है।
घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति के अधिकार
इस कानून के तहत कुछ अधिकारियों जैसे- पुलिस अधिकारी संरक्षण अधिकारी, सेवा प्रदाता , मजिस्ट्रेट आदि के कुछ कर्तव्य हैं – अधिकारी को पीड़ित व्यक्ति की सूचना मिलने पर उसे उसके अधिकार के बारे में सूचित करना होता है कि वह उपरोक्त अधिकारियों की सहायता ले सकती है तथा भारतीय दण्ड संहिता के तहत क्रिमिनल याचिका भी दायर कर सकता है। इसके अतिरिक्त राज्य द्वारा निर्देशित अस्पताल व संरक्षण गृहों में उनके रहने व चिकित्सा की व्यवस्था की जा सकती है।
नोट- घरेलू हिंसा से पीड़ित व्यक्ति कोई भी हो सकता है इसमें महिला, पुरुष, बुजुर्ग व बच्चे सभी आ सकते हैं। किंतु भारत में सर्वाधिक केस महिलाओं से जुड़े होते हैं। इसलिए महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं।
मिशन शक्ति- अधिनियम 2005 के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी मिशन शक्ति प्राधिकरण पर है। मिशन शक्ति के अंतर्गत कई योजनाएं कार्यांवित हैं, जो महिलाओं के हित के लिए कार्य कर रही हैं।
- भारत सरकार मे 2021 – 22 से 2025-26 तक की अवधि में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए मिशन शक्ति के नाम से एकीकृत महिला सशक्तिकरम योजना लागू किया था।
- यह योजना महिलाओं के सम्पूर्ण जीवन काल में महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विचार करने के लिए आरंभ किया गया है।
- मिशन शक्ति की दो उपयोजनाएं हैं- संबल व सामर्थ्य। यहां संबल उपयोजना महिलाओं के लिए और सामर्थ्य महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है।
- संबल योजना में नारी अदालतों के एक नए घटकों के साथ एक वन स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की पूर्ववर्ती योजनाओं के लिए शामिल हैं। यह योजना समाज व परिवार के वैकल्पिक विवाद के समाधान व लैंगिक न्याय को बढ़ावा देने का काम करेगी।
- सामर्थ्य उपयोजना के अंतर्गत उज्ज्वला स्वाधार गृह और कामकाजी महिला छात्रावास की पूर्ववर्ती योजनाओं को संशोधन के साथ शामिल किया गया है।
घरेलू हिंसा में भारत की स्थिति
लगातार घरेलू हिंसा के मामलों के आँकड़े बढ़ने के कारण भारत में इसका नियंत्रण करना मुश्किल होता जा रहा है। 2020 में महिला आयोग द्वारा महिला अपराध के मामले 23700, 2021 में 30800 और 2022 में 30900 हो गई थी।
- 2022 में कुल केस के 23 % केस केवल घरेलू हिंसा से संबंधित थे।
- भारत के घरेलू हिंसा के केसों में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश में 55 % केस मिले हैं। इसके बाद दिल्ली में 10% और महाराष्ट्र में 5 % केस मिले हैं। यह केस महिला आयोग द्वारा दर्ज किए गए।
- यह वे आंकड़े हैं जो महिलाओं द्वारा दर्ज कराए गए हैं, समस्या तब अधिक भयानक हो जाती है जब महिलाएं घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज नहीं उठाती है। एनएफएचएस- 5 की रिपोर्ट के अनुसार घरेलू हिंसा सहन करने वाली केवल 14% महिलाएं ही हिंसा के खिलाफ केस दर्ज कराती है। पीड़ित द्वारा शुरुआत में आवाज न उठाना एक बड़ी समस्या है जो बाद में बड़े अपराध का स्रोत बनती है।
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