चंद्रयान मिशन

चंद्रयान मिशन

पाठ्यक्रम: जीएस 3 / विज्ञान और प्रोद्योगिकी

दर्भ-

  • इसरो जल्द ही अपने तीसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान -3 (सीएच -3) को लॉन्च करेगा, चंद्रयान श्रृंखला का तीसरा संस्करण का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करना है।

प्रमुख बिन्दु-

  • चंद्रयान भारत का चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम है जिसमें रोबोटिक मिशनों की एक श्रृंखला शामिल है जिसका उद्देश्य चंद्रमा और उसके संसाधनों का पता लगाना है

चंद्रयान-1 मिशन-

  • भारत के प्रथम चंद्र मिशन चंद्रयान-1 को 22 अक्तूबर, 2008 को PSLV C-11 से सफलतापूर्वक विमोचित किया गया था।
  • यह भारत का पहला चंद्र मिशन था और चंद्रमा पर पानी की खोज करने वाला पहला देश था।
  • इसमें  एक ऑर्बिटर और एक मून इम्पैक्ट क्राफ्ट शामिल था, दोनों को इसरो द्वारा बनाया गया था।
  • इसे  ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान द्वारा लॉन्च किया गया था और  इसने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक परिक्रमाएं कीं।

चंद्रयान-2 मिशन-

  • 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किया गया चंद्रयान -2 मिशन का विक्रम चंद्र लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
  • इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) का इस्तेमाल किया गया है। रोवर (प्रज्ञान) लैंडर (विक्रम) के अंदर स्थित है।
  • चंद्रयान -2 का उद्देश्य चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर और रोवर को सॉफ्ट-लैंडिंग करने की क्षमता का प्रदर्शन करना।
  • इस मिशन द्वारा प्राप्त जानकारी से चंद्रमा की भौगोलिक स्थिति, खनिज, सतह की रासायनिक संरचना, ताप, भौगोलिक गुण तथा परिमण्डल के अध्ययन से चंद्रमा की उत्पत्ति एवं विकास की समझ बेहतर होगी।
  • असफलता के बावजूद, मिशन पूरी तरह से विफल नहीं  था क्योंकि इसका ऑर्बिटर हिस्सा सामान्य रूप से काम कर रहा  था और चंद्रमा के बारे में अब भी डेटा का उत्पादन कर रहा।
  • इसने इसकी सतह, उप-सतह और एक्सोस्फीयर के संदर्भ में खगोलीय पिंड के मौजूदा ज्ञान का निर्माण करने में मदद की।

चंद्रयान-3 मिशन-

  • चंद्रयान -3 भारत का तीसरा चंद्र मिशन है और इसे इस साल के अंत में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च वाहन मार्क 3 (एलएमवी 3) द्वारा लॉन्च किया जाना है।
  • चंद्रयान -3 एक अंतरग्रहीय मिशन है जिसमें तीन प्रमुख मॉड्यूल हैं:-
    • प्रणोदन मॉड्यूल,
    • लैंडर मॉड्यूल, और
    • रोवर।
  • इसका कार्य केवल लैंडर को चंद्रमा तक ले जाने, उसकी कक्षा से लैंडिंग की निगरानी करने और लैंडर व पृथ्वी स्टेशन के मध्य संचार करने तक ही सीमित रहेगा।

महत्व-

  • मिशन ने भारत को  अंतरिक्ष अन्वेषण में मूल्यवान ज्ञान और अनुभव प्राप्त करने में मदद की है, जिसे उपग्रह प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष पर्यटन जैसे अन्य क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है
  •  चंद्रयान -1 द्वारा चंद्रमा पर पानी की खोज ने अंतरिक्ष अन्वेषण और संसाधन उपयोग के लिए नई संभावनाओं को मार्ग दिया है, जिसमें भविष्य के चंद्र उपनिवेशों और अंतरिक्ष खनन की क्षमता शामिल है
  • यह भारत को  संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने वाला  दुनिया का चौथा देश होने की प्रतिष्ठित देशों में शामिल करता है।

स्रोत: द हिन्दू

 

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