जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1954

जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1954

 

  • हाल ही में, एक ऐतिहासिक निर्णय में, ओडिशा राज्य मंत्रिमंडल ने श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम 1954 में संशोधनों को मंजूरी दी है।

परिचय:

  • वर्ष 1806 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधन के लिए नियम जारी किए थे, जिसे औपनिवेशिक शासकों द्वारा जगरनॉट मंदिर कहा जाता था।
  • इन नियमों के तहत, मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों से करों का भुगतान करने की अपेक्षा की जाती थी।
  • मंदिर में वरिष्ठ पुजारियों को नियुक्त करने का काम ब्रिटिश सरकार को सौंपा गया था।
  • मंदिर प्रबंधन कीशक्तियां तीन साल बाद खोरधा के राजा को सौंप दी गईं, जबकि औपनिवेशिक सरकार ने अपना नियंत्रण बरकरार रखा।
  • भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1952 पेश किया गया जो वर्ष 1954 में लागू हुआ।
  • इस अधिनियम में मंदिर के भूमि अधिकार, पुजारियों के कर्तव्य, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति की प्रशासनिक शक्तियां, पुरी के राजा के विशेषाधिकार और मंदिर के प्रबंधन और प्रशासन से जुड़े अन्य व्यक्ति शामिल हैं।

हालिया संशोधन:

  • जगन्नाथ मंदिर के नाम पर जमीन बेचने और पट्टे पर देने की शक्ति अब मंदिर प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को सौंपी जाएगी।
  • पहले के विपरीत, इस प्रक्रिया के लिए राज्य सरकार से किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी।
  • अधिनियम की धारा 16(2) में कहा गया है कि मंदिर समिति के कब्जे में कोई भी अचल संपत्ति राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन के बिना पट्टे पर नहीं दी जाएगी, गिरवी रखी जाएगी, बेची जाएगी या अन्यथा हस्तांतरित की जाएगी।

जगन्नाथ मंदिर:

  • ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पूर्वी गंगाराज वंश के राजा अनंतवर्मन चोडागुंग देव ने 12वीं शताब्दी में करवाया था।
  • जगन्नाथ पुरी मंदिर को ‘यमनिका तीर्थ’ भी कहा जाता है, जहां हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पुरी में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण मृत्यु के देवता ‘यम’ की शक्ति समाप्त हो गई है।
  • इस मंदिर को “श्वेत शिवालय” कहा जाता था और यह चारधाम तीर्थ (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक हिस्सा है।
  • मंदिर के चार मुख्य द्वार हैं (पूर्व में ‘सिंह द्वार’, दक्षिण में ‘अश्व द्वार’, पश्चिम में ‘व्याघ्र द्वार’ और उत्तर में ‘हस्ती द्वार’)। हर दरवाजे पर नक्काशी की गई है।
  • इसके प्रवेश द्वार के सामने अरुण स्तंभ या सूर्य स्तंभ है, जिसे मूल रूप से कोणार्क के सूर्य मंदिर में स्थापित किया गया था।

ओडिशा में अन्य महत्वपूर्ण स्मारक:

  • कोणार्क सूर्य मंदिर (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल)
  • तारा तारिणी मंदिर
  • लिंगराज मंदिर
  • उदयगिरि और खंडगिरि गुफाएं
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