जलवायु परिवर्तन सम्मेलन : नुकसान व क्षति

जलवायु परिवर्तन सम्मेलन : नुकसान व क्षति

जलवायु परिवर्तन सम्मेलन : नुकसान व क्षति

संदर्भ- जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP27 के उद्घाटन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का खामियाजा भुगतने वाले गरीब देशों को मुआवजा देने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय तंत्र के निर्माण पर चर्चा करने पर सहमति व्यक्त की गई।  

COP 27 का मुख्य एजेंडा-  जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान और क्षति।

जलवायु आपदा- वैश्विक विज्ञान संगठन के अनुसार पृथ्वी में चरम मौसम, तेजी से बर्फ का पिघलना, बढ़ते समुद्री स्तर व पौधों व जीव जंतुओं का विलुप्त होना आदि सभी जलवायु आपदा की घटनाएं हैं। इन घटनाओं का कारण जलवायु परिवर्तन की गति में आई तेजी को माना जा रहा है, जिसके लिए लगातार विश्व स्तर पर सम्मेलन किए जा रहे हैं।

प्रमुख जलवायु परिवर्तन सम्मेलन-

स्टॉकहोम सम्मेलन- 1972 में स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया गया था इसमें सभी देशों को घरेलू तौर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उपाय सुझाए गए। 

पृथ्वी सम्मेलन- COP 1

  •  इसे रियो सम्मेलन भी कहा जाता है, स्टॉकहोम सम्मेलन के 20 वर्ष बाद 1992 में ब्राजील की राजधानी रियों में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया।
  • इसमें राष्ट्रों ने जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों को लेकर पुनःचिंतन किया तथा सम्मिलित रूप से देशों ने UNFCCC पर हस्ताक्षर किए। इस सम्मेलन को प्रथम कॉप सम्मेलन भी कहा जाता है। इसके बाद प्रतिवर्ष कॉप के सम्मेलन किए जाते हैं। 

क्योटो सम्मेलन- COP 3

  • यह देशो को ग्रीन हाउस न उत्सर्जन करने के लिए प्रेरित करती है।
  • वर्तमान में 192 पार्टियाँ इस प्रोटोकॉल में हैं।
  • इसका उद्देश्य स्थिरीकरण व ग्रीन हाउस गैसों के कारण मानवजाति पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को रोकना तथा एक बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था लागू करने जिससे सम्मेलन से जुड़े सभी देश स्वयं ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव को कम करने के लिए प्रयास करें।
  • यह प्रोटोकॉल 1995 में जापान द्वारा अपनाया गया था। और 2005 में इसे लागू किया गया था।

बाली सम्मेलन- COP 13

  • 2012 में पार्टियों ने बाली सम्मेलन के मुक्य बिंदुओं पर समर्थन दिया।
  • इसमें 5 मुख्य बातों पर ध्यान दिया गया- साढा दृष्टि, शमन, अनुकूलन, प्रौद्योगिकी और अनुकूलन।

पेरिस सम्मेलन / COP21-

  • पेरिस समझौते का लक्ष्य औद्योगिक काल की तुलना में वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को 2 डिग्री सेण्टिग्रेट तक कम करना है, और 1.5 डिग्री कम करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने हैं।
  •  वैश्विक रूप से कार्बन के 90 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार 186 देशों ने कार्बन उत्सर्जन में कमी को लेकर लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।

नुकसान व क्षति क्या है?

  • मानव, समाज व पर्यावरण पर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को नुकसान व क्षति के रूप में देखा जा रहा है। 
  • जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं जैसे बाढ़, तूफान व गर्म लहरों की आवृत्ति व तीव्रता को प्रभावित कर रहा है जिससे धीमी गति से होने वाले भौगोलीय परिवर्तन जैसे समुद्री स्तर में वृद्धि, अम्लीकरण, जैव विविधता आदि पर इसका प्रभाव पड़ रहा है इससे मानव जीवन पर नुकसान व क्षति की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। जैसे अल नीनो दक्षिणी दोलन चक्र। इसके साथ ही भारत में सुनामी के समय तटीय क्षेत्रों में रहने वाली आदिवासी जनजाति विशेषकर अण्डमान निकोबार के आदिवासियों की जनसंख्या में भारी कमी आई।

नुकसान व क्षति की सीमाएं

  • नुकसान व क्षति की सीमा वहां तक निर्धारित की जा सकती है जहां तक जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है। लेकिन जलवायु परिवर्तन की प्राकृतिक घटनाओं का पूरी तरह से अनुकूलन कर पाना संभव नहीं हो पाता क्योंकि मानव के सीमित संसाधनों से प्रकृति को सीमाओं में बांध पाना संभव नहीं है।
  • हाल ही में पाकिस्तान में आई बाढ़ की घटना- जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा की तीव्रता 50-75% तक बढ़ गई थी। इसके कारण पाकिस्तान में 1600 जान का और लगभग 2 मिलियन घरों की सम्पत्ति व 18000 मिलियन भूमि की फसल का नुकसान हुआ। इसके साथ साथ व्यापक देश के संरचनात्मक ढांचे जैसे सड़क आदि को क्षति पहुँची।

COP 27 में नुकसान व क्षति का मुद्दा क्यों लिया जा रहा है?

  • यूरोप में 500 वर्षों में सबसे खतरनाक सूखा, पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़, दुनियाँ के कई हिस्सों में गर्मी की लहरें जैसी घटनाओं से जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान व क्षति पर दुनियाँ भर का ध्यान गया है।  
  • अमीर देशों के बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन के कारण दुनिया भर में विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं जिसका सबसे बुरा असर गरीब देशों में पड़ता है, गरीब व विकासशील देशों की लम्बे समय से नुकसान व क्षति के मुआवजे को लेकर इस विषय को लगातार उठाया जा रहा है। जिसमें गरीब देशों को जलवायु परिवर्तन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए विकसित देशों द्वारा मुआवजा दिया जाना है।

स्रोत

https://bit.ly/3DPGW0v (इण्डियन एक्सप्रैस)

https://www.lse.ac.uk/granthaminstitute/explainers/what-is-climate-change-loss-and-damage/

 

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