जल संरक्षण : प्रवंधन एवं संवर्धन

जल संरक्षण : प्रवंधन एवं संवर्धन

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

सामान्य अध्ययन : – भारतीय भूगोल, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, पर्यावरण संरक्षण, गहन वनीकरण, जलवायु परिवर्तन, वर्षा का बदलता पैटर्न और मौसम से जुड़ी घटनाएं,  विश्व जल दिवस 2024, वर्षा जल संरक्षण, जल प्रबधन एवं संवर्धन, सतत विकास , कैच द रेन अभियान।

 

खबरों में क्यों ? 

  • हाल ही में 22 मार्च 2024 को ‘पूरी दुनिया में  ‘ विश्व जल दिवस ’ ‘मनाया गया।
  • वर्ष 1993 से प्रतिवर्ष शुरू होने वाले  22 मार्च को आयोजित होने वाला विश्व जल दिवस, संयुक्त राष्ट्र का एक वार्षिक दिवस है। जिसका मुख्य उद्देश्य   मीठे पानी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करना है।
  • विश्व जल दिवस का मुख्य उद्देश्य – सुरक्षित पानी तक पहुंच के बिना रहने वाले लोगों के बारे में जागरूकता को फैलाना या बढ़ाना है।
  • विश्व जल दिवस का मुख्य फोकस सतत विकास लक्ष्य 6 की उपलब्धि का समर्थन करना और 2030 तक सभी के लिए स्वच्छ पानी और स्वच्छता उपलब्ध कराने का लक्ष्य प्राप्त करना है। 
  • विश्व जल दिवस 2024 का मुख्य विषय/ थीम  “ शांति के लिए जल का लाभ उठाना ” है।
  • हाल ही में भारत के जल शक्ति मंत्रालय ने वर्षा जल संचयन और अन्य टिकाऊ जल प्रबंधन प्रणालियों को अनुकूलित करने के लिए जल शक्ति अभियान : कैच द रेन – 2024 अभियान ‘ को प्रारंभ  किया है। 
  • भारत के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने नई दिल्ली में अभियान को शुभारंभ किया और, जल प्रबंधन, संरक्षण और स्थिरता में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया। 
  • भारत में यह कार्यक्रम नारी शक्ति से जल शक्ति’ थीम पर आधारित था। 
  • भारत में यह जल शक्ति मंत्रालय के पांचवें संस्करण के अभियान के रूप में ,नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के  कन्वेंशन सेंटर में आयोजित किया गया था।
  • भारत ‘ नारी शक्ति से जल शक्ति ‘ अभियान के द्वारा महिला सशक्तिकरण और जल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करना चाहता है। 
  • भारत में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण में ‘जल शक्ति अभियान 2019 से 2023′ – जल सुरक्षा की ओर अग्रसर एक सार्वजनिक नेतृत्व वाला आंदोलन’ नामक वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग और दो पुस्तकों – ‘जल शक्ति अभियान: 2019 से 2023’ और ‘101 जल जीवन मिशन के चैंपियन’ और ‘महिला जल योद्धाओं’ की वार्ता का अनावरण भी किया गया।
  • हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का बेंगलुरु शहर गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है , जिससे विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कमी हो गई है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक के 236 तालुकों में से 223 सूखे से प्रभावित हैं, जिनमें बेंगलुरु के पानी के स्रोत मांड्या और मैसूरु जिले भी शामिल हैं।
  • भारत में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, आने वाले महीनों में कर्नाटक भर के लगभग 7,082 गांवों में पीने के पानी का संकट पैदा होने का खतरा है।

 

विश्व जल दिवस का इतिहास : 

 

 

  • सन 1992 में ब्राजील में हुए पर्यावरण और विकास सम्मेलन में ‘विश्व जल दिवस’ को मनाए जाने एवं स्वच्छ जल की उपलब्धता विषय का प्रस्ताव पारित किया गया। 
  • सयुंक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने 1992 में इस प्रस्ताव को अपनाते हुए यूएनजीए ने वैश्विक स्तर पर प्रति वर्ष 22 मार्च को ‘विश्व जल दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की। 
  • अतः पहली बार वर्ष 1993 में ‘विश्व जल दिवस’ मनाया गया। 
  • वर्ष 2010 में यूएन ने सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अधिकार को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी। 
  • सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अधिकार को मानव अधिकार के रूप में मान्यता देने का मुख्य उद्देश्य वैश्विक जल संकट पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना है।

विश्व जल दिवस का महत्व : 

  • विश्व जल दिवस का मुख्य फोकस सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6 की उपलब्धि का समर्थन करना है। 
  • विश्व जल दिवस मनाने का मुख्य वैश्विक स्तर पर 2030 तक सभी के लिए साफ जल और स्वच्छता उपलब्ध करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 

वर्तमान समय में जल संरक्षण की जरूरत : 

 

 

 

 

  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, स्वच्छता, साफ-सफाई और साफ पानी की कमी से होने वाली बीमारियों से हर साल 14 लाख लोगों की मौत हो जाती है। विश्व के लगभग 25% आबादी के पास स्वच्छ जल तक पहुंच नहीं है, और लगभग आधी वैश्विक आबादी के पास स्वच्छ शौचालयों का अभाव है। वर्ष 2050 तक जल की वैश्विक स्थिति 55% तक बढ़ने का अनुमान है।
  • मानव जीवन में जल रोजमर्रा की गतिविधियों के लिए अत्यंत आवश्यक है। जल का उचित उपयोग मीठे जल के भंडारों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। औसतन एक व्यक्ति एक दिन में 45 लीटर तक पानी अपने दैनिक गतिविधियों के माध्यम से बर्बाद कर देता है। इसलिए, दैनिक जल उपयोग में कुछ बदलाव करने से भविष्य में उपयोग के लिए काफी मात्रा में जल बचाया जा सकता है।
  • दुनिया भर में लगभग 3 अरब से अधिक लोग जल की निर्भरता के कारण दूसरे देशों में पलायन करते हैं। 
  • विश्व भर में केवल 24 देशों के पास साझा जल उपयोग के लिए सहयोग समझौते हस्ताक्षर हुए हैं। 
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य और समृद्धि, खाद्य और ऊर्जा प्रणालियां,आर्थिक उत्पादकता और पर्यावरणीय अखंडता सभी प्रबंधित जल चक्र पर निर्भर करते हैं।

 

भारत में जल संरक्षण के लिए प्रबंधन और संवर्धन की वर्तमान स्थिति : 

 

 

 

  • वर्तमान में सभी क्षेत्रों में जल की बढ़ती मांग तथा वर्षा के बदलते पैटर्न में के कारण भूजल पर निर्भरता बढ़ गई है। इसके उचित प्रबंधन और स्थायी रूप से उपयोग हेतु उचित कार्रवाई के साथ ठोस प्रयास किये जाने की महती आवश्यकता है। 
  • संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2022 के अनुसार, भूजल पृथ्वी के सभी तरल मीठे पानी का लगभग 99 प्रतिशत है जिसमें समाज को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ प्रदान करने की क्षमता है। 
  • भूजल पीने के पानी सहित घरेलू उद्देश्यों के लिये उपयोग किये जाने वाले कुल जल का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा है। 
  • भारत की जनसंख्या लगभग 1.4 अरब है जो विश्व में सर्वाधिक है। 2050 तक जनसंख्या बढ़कर 1.7 अरब होने का अनुमान है। 
  • विश्व बैंक के अनुसार, भारत में दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन लगभग 4 प्रतिशत लोगों के लिए पर्याप्त जल संसाधन हैं। 
  • भारत में लगभग 90 मिलियन को सुरक्षित पानी तक पहुंच नहीं है। भारत की सामान्य वार्षिक वर्षा 1100 मिमी है जो विश्व की औसत वर्षा 700 मिमी से अधिक है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जून-अगस्त 2023 के दौरान दक्षिण-पश्चिम मानसून 42 प्रतिशत जिलों में सामान्य से नीचे रहा है। अगस्त 2023 में देश में बारिश सामान्य से 32 प्रतिशत कम और दक्षिणी राज्यों में 62 प्रतिशत कम थी। 
  • 1901 के पश्चात अर्थात पिछले 122 वर्षों में भारत में पिछले वर्ष अगस्त में सबसे कम वर्षा हुई। 
  • भारत में हुई कम वर्षा से न केवल भारतीय कृषि पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि इससे देश के विभिन्न क्षेत्रों में पानी की भारी कमी होने की प्रबल संभावना भी हो सकती है। 
  • भारत में एक वर्ष में उपयोग की जा सकने वाली पानी की शुद्ध मात्रा 1,121 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) अनुमानित है। हालाँकि, जल संसाधन मंत्रालय द्वारा प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 में कुल पानी की माँग 1,093 बीसीएम और 2050 में 1,447 बीसीएम होगी। परिणामस्वरूप अगले 10 वर्षों में पानी की उपलब्धता में भारी कमी की संभावना है। 
  • भारत विश्व में भूजल का सबसे अधिक दोहन करता है। यह मात्रा विश्व के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े भूजल दोहन-कर्ता (चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका) के संयुक्त दोहन से भी अधिक है। 
  • फाल्कनमार्क वॉटर इंडेक्स अनुसार, भारत में लगभग 76 प्रतिशत लोग पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे हैं। यद्यपि भारत में निष्कर्षित भूजल का केवल 8 प्रतिशत ही पेयजल के रूप में उपयोग किया जाता है। इसका 80 प्रतिशत भाग सिंचाई में उपयोग किया जाता है शेष 12 प्रतिशत भाग उद्योगों द्वारा उपयोग किया जाता है। 
  • नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक देश की जल मांग उपलब्ध आपूर्ति की तुलना में दोगुनी हो जाएगी।

भारत में जल संकट की समस्या से निवटने के लिए और जल संवर्धन के लिए किए जाने वाला समाधान :  

 

  • भारत में जल संकट और इसके अत्यधिक दोहन को कम करने के लिए कई समाधानात्मक उपाय हो सकते  हैं। जिसमें कुछ समाधानात्मक उपाय निम्नलिखित है – 
  • आधुनिक तकनीकों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रिमोट सेंसिंग आदि का उपयोग करके पानी की खपत को मापा और सीमित किया जा सकता है। 
  • भारत में जल स्रोतों का विस्तार, जल दक्षता में सुधार, और जल संसाधनों की रक्षा करने से पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। 
  • भारत में जल संकट से उबरने और जल संवर्धन के लिए बरीड क्ले पॉट प्लांटेशन सिंचाई जैसे तकनीकी उपायों का भी उपयोग किया जा सकता है जो पानी की बचत और फसल की उत्पादकता में सुधार किया जा सकता हैं। 
  • भारत में भारत में जल संकट से उबरने और जल संवर्धन के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि जल संसाधनों की संरक्षा के लिए सरकारी स्तर पर नीतियों में सुधार किया जाए और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों का विस्तार किया जाए ताकि पानी की सटीक और सही खपत की सुनिश्चित किया जा  सके। 
  • भारत में जल संरक्षण एवं भूजल रिचार्ज के लिए वाटरशेड मैनेजमेंट एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।
  • भारत में जल संग्रहण के विकास का मुख्य उद्देश्य वर्षा जल की एक-एक बूंद का सरंक्षण, मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करना, मिट्टी की नमी और पुनर्भरण (रिचार्ज) को बढ़ाना, मौसम की प्रतिकूलताओं के बावजूद प्रति यूनिट क्षेत्र और प्रति यूनिट जल की उत्पादकता को अधिकतम करना है। 
  • भारत में जल संरक्षण की परंपरागत प्रणाली पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। 
  • भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बहाने वाली नदियां बारहमासी बनी रहें, इसके लिए सरकारी स्तर पर नीति – निर्माण करना और जल संरक्षण के लिए प्रयास किया जाना अत्यंत आवश्यक है। 
  • भारत के ग्रामीण इलाकों के गांवों में जल बजटिंग और जल ऑडिटिंग की स्पष्ट रूपरेखा बनाने के साथ-साथ प्रत्येक क्षेत्र में एक जल बैंक स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है। 
  • जल संरक्षण में भूजल वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। साथ ही समाज में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए समय-समय पर संगोष्ठी एवं सेमिनार आयोजित किए जाने चाहिए। वर्तमान परिस्थिति में इस समस्या के स्थायी समाधान हेतु जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे।

भारत में जल प्रबंधन के समक्ष चुनौतियाँ : 

भारत में जल प्रबंधन के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियाँ विद्यमान है। इन चुनौतियों का समाधान ढूंढ कर ही भारत जल संरक्षण : प्रवंधन एवं  संवर्धन  की दिशा में आगे बढ़ सकता है।

 

  • जल की मांग और पूर्ति के मध्य अंतर को कम करना।
  • खाद्य उत्पादन के लिये पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना और प्रतिस्पर्द्धी मांगों के बीच उपयोग को संतुलित करना।
  • महानगरों और अन्य बड़े शहरों की बढ़ती मांगों को पूरा करना।
  • अपशिष्ट जल का उपचार।
  • पड़ोसी देशों के साथ और सह-बेसिन राज्यों आदि में पानी का बँटवारा करना।

निष्कर्ष/  समाधान की राह : 

 

 

  • भारत में जल प्रशासन संस्थानों के कामकाज में नौकरशाही, गैर-पारदर्शी और गैर-भागीदारी वाला दृष्टिकोण अभी भी जारी है। अतः इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि देश के जल प्रशासन में सुधार की आवश्यकता है।
  • यह आवश्यक है कि सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की विश्वसनीय जानकारी और उससे संबंधित आँकड़े हमें जल्द-से-जल्द उपलब्ध हों ताकि समय रहते इनसे निपटा जा सके और संभावित क्षति को कम किया जा सके।
  • आवश्यक है कि भूजल स्तर को बढ़ाने और भूजल उपयोग को विनियमित करने संबंधी महत्त्वपूर्ण निर्णय अतिशीघ्र लिये जाएँ।
  • देश में नदियों की स्थिति दयनीय बनी हुई है और वर्तमान सरकार द्वारा गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास शायद अनुमानित सफलता नहीं प्राप्त कर पाए हैं, इसलिये आवश्यक है कि देश में नदियों की स्थिति पर गंभीरता से विचार किया जाए और उन्हें प्रदूषण मुक्त करने हेतु उपर्युक्त नीतियों का निर्माण किया जाए।
  • जल पृथ्वी का सर्वाधिक मूल्यवान संसाधन है और हमें न केवल अपने लिये इसकी रक्षा करनी है बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिये भी इसे बचा कर रखना है। 
  • वर्तमान समय में जब भारत के साथ-साथ संपूर्ण विश्व जल संकट का सामना कर रहा है तो आवश्यक है कि इस ओर गंभीरता से ध्यान दिया जाए। भारत में जल प्रबंधन अथवा संरक्षण संबंधी नीतियाँ मौज़ूद हैं, परंतु समस्या उन नीतियों के कार्यान्वयन के स्तर पर है। 
  • अतः नीतियों के कार्यान्वयन में मौजूद शिथिलता को दूर कर उनके बेहतर क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया जाना चाहिये जिससे देश में जल के कुप्रबंधन की सबसे बड़ी समस्या को संबोधित किया जा सके।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

  1. 1. जल संरक्षण : प्रवंधन एवं  संवर्धन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
  1. विश्व जल दिवस का मुख्य उद्देश्य – सुरक्षित पानी तक पहुंच के बिना रहने वाले लोगों के बारे में जागरूकता को फैलाना या बढ़ाना है।
  2. भारत में जल शक्ति अभियान : कैच द रेन – 2024 अभियान ‘  मानव संसाधन और विकास मंत्रालय और नेहरु युवा केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से को प्रारंभ  किया गया है। 
  3. विश्व जल दिवस 2024 का मुख्य विषय/ थीम  “ शांति के लिए जल का लाभ उठाना ” है।
  4. भारत में विश्व जल दिवस 2024 का मुख्य थीम  ‘नारी शक्ति से जल शक्ति‘ था। 

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?

(A) केवल 1, 2 और 3 

(B) केवल 1 और 4 

(C) केवल 2 और 4 

(D) केवल 2, 3 और 4 

उत्तर – (D) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1.विश्व जल दिवस के महत्व को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत में जल संरक्षण : प्रवंधन एवं संवर्धन का क्य महत्व है एवं इसके राह में आने वाली चुनौतियों का वर्णन कीजिए और चुनौतियों के समाधान का उपाय बताईए ? 

 

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