12 Nov टेलीविजन के प्रसारण माध्यमों में देशहित के कार्यक्रम अनिवार्य
टेलीविजन के प्रसारण माध्यमों में देशहित के कार्यक्रम अनिवार्य
संदर्भ- हाल ही में केंद्रीय मंत्रीमण्डल ने देश के टेलीविजन चैनलों के अपलिंकिंग व डाउनलिंकिंग के लिए दिशानिर्देश 2022 को मंजूरी दे दी है। जिसके तहत चैनलों को देश हित में सामग्री प्रसारित करना अनिवार्य हो गया है।
दिशा निर्देश के अनुसार टेलीविजन कार्यक्रमों को जनहित पर आधारित निम्नलिखित विषयों पर तैयार किया जा सकता है।
- शिक्षा व साक्षरता
- कृषि व ग्रामीण विकास
- स्वास्थ्य व परिवार कल्याण
- विज्ञान व प्रौद्योगिकी
- महिलाओं का कल्याण
- समाज के कमजोर वर्ग का कल्याण
- पर्यावरण व सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा
- राष्ट्रीय एकीकरण आदि।
सीबैंड के अलावा फ्रीक्वेंसी बैंड में अपलिंकिंग करने वाले चैनलों के लिए अपने सिग्नल को एन्क्रिप्ट करना अनिवार्य हो गया है। एक सैटेलाइट टीवी चैनल के अपलिंकिंग व डाउनलिंकिंग गाइडलाइन के पीछे सरकार का यह तर्क है कि सरकार के अनुसार एयरवेव सार्वजनिक सम्पत्ति है और इसका प्रयोग देश हित में किया जाना चाहिए। एक कंपनी या LLP के पास भारतीय चैनलों को अपलिंक या डाउनलिंक करने का अधिकार होता है। प्रसारण माध्यमों के कार्यक्रमों पर नियंत्रण के लिए सूचना व प्रसारण मंत्रालय कार्य करता है।
सूचना व प्रसारण मंत्रालय की भूमिका-
- सूचना व प्रसारण मंत्रालय, जनता तक पहुँचने में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है,यह विभिन्न माध्यमों जैसे नुक्कड़, रेडियो, टेलीविजन, सोशलमीडिया आदि से जनता तक सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को पहुँचाने में मदद करता है।
- मंत्रालय निजी प्रसारण क्षेत्र से संबंधित नीतिगत मामलों, लोक प्रसार सेवा, प्रसार भारती का संचालन, बहुमीडिया विज्ञापन और केंद्र सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों के प्रचार, फिल्मों के प्रचार आदि का केंद्र बिंदु है।
मंत्रालय के कार्यात्मक रूप के तीन विंग हैं-
सूचना विंग-
- प्रिंट, इलैक्ट्रॉनिक व डिजीटल माध्यमों से सरकार की नीतियों का प्रसार करना,
- सरकारी विज्ञापनों की दर निर्धारण के लिए नीतिगत दिशानिर्देश तैयार करना,
- प्रेस व पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 का संचालन,
- प्रेस परिषद अधिनियम 1978 के अनुसार प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार बनाए रखना तथा समाचार पत्रों में वृत्तिक रूप से आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करना।
प्रसारण विंग-
- प्रसार भारती अधिनियम 1990 द्वारा शासित है ।
- रेडियो व टेलीविजन के कार्यक्रम व उनके निर्माण केंद्रों का संचालन।
- यह प्राइवेट सैटेलाइट चैनलों, मल्टी सिस्टम ऑपरेटरों तथा स्थानीय केबल ऑपरेटरों के नेटवर्क की सामग्री को भी नियंत्रित कर सकता है।
- ग्रामीण व दूरदराज क्षेत्र के सामुदायिक रेडियो स्टेशन के माध्यम से हाशिए के समुदाय तक सरकार की पहुँच संभव हो पाती है।
फिल्म विंग-
- भारत की फिल्म विंग, चलचित्र अधिनियम 1952 के तहत प्रशासित है।
- यह सार्वजनिक देखने के लिए फिल्मों के प्रमाणीकरण।
- फिल्म उद्योग के सभी मामले जिसमें विकास व प्रचार गतिविधियाँ शामिल हैं।
- भारत में निर्मित फिल्मों के लिए ऱाज्य पुरस्कार द्वारा अच्छे फिल्मों को बढ़ावा देना।
मंत्रालय की शक्तियाँ-
भड़काऊ कार्यक्रमों पर प्रतिबंध-
- संविधान के अनुच्छेद 19, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के साथ कुछ उचित प्रतिबंधों को भी सुनिश्चित करता है। जिसमें मैत्रीपूर्ण संबंध, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता और नैतिकता से संबंधित सामग्री शामिल है। इनका उल्लंघन होने पर कारयवाही की जा सकता है। जैसे अमेजन प्राइम के ओटीटी कार्यक्रम तांडव पर सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने सीधे हस्तक्षेप कर उसके दृश्यों को संपादित करवाया। जो धर्म व जाति के आधार पर लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले थे।
- मंत्रालय द्वारा दिल्ली दंगोंं के समय मीडिया वन द्वारा दंगों का प्रसारण करने के कारण उस पर 48 घण्टे का प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसी प्रकार NDTV द्वारा पठानकोट आतंकी हमले के सीधे प्रसारण के कारण उस पर एक दिन का प्रतिबंध लगा दिया गया था।
इलैक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनिटरिंग सेल- यह केबल टीवी नेटवर्क नियम 1994 में उल्लेखित विज्ञापन कोड के किसी भी उल्लंघन के साथ चैनलों को ट्रैक करता है। उल्लंघन होने पर उसका अपलिंकिंग या डाउनलिंकिंग लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है। प्रेस कउंसिलिंग ऑफ इण्डिया के आधार पर
संवेदनशील मुद्दों पर प्रमाणपत्र- फिल्मों के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड फिल्म के प्रमाणन से पूर्व निर्माता को सुझाव देती है निर्माता की सहमति तक वह फिल्म की रेटिंग को रोक सकती है। रेटिंग यह दर्शाती है कि फिल्म किस तरह के दर्शकों के लिए उपयुक्त है।
शिकायतों की सुनवाई- टेलीविजन प्रोग्रामों के दर्शकों की चिंताओं के लिए त्रिस्तरीय शिकायत निवारण संरचना की स्थापना की गई है। इसमें दर्शक क्रमिक रूप से पहले चैनल के पास उसके उपरांत उद्योग व प्रसारण मंत्रालय और फिर शिकायत को अंतरमंत्रालय समिति को संदर्भित करेगा।
खुफिया एजेंसियाँ – मंत्रालय खुफिया एजेंसियों को सोशल मीडिया के कार्यक्रमों पर नजर रखने के लिए निर्धारित किया गया है। जिनकी सूचना के आधार पर यूट्यूब चैनल व सोशल मीडिया जैसे फेसबुक,इंस्टाग्राम, ट्वीटर आदि को अनैतिकता फैलाने वाले खातों को ब्लॉक करने के आदेश दे सकती है।
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