ठोस अपशिष्ट प्रबंधन

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन

संदर्भ- हाल ही में पीसीएमसी(पीपरी चिंचड़ नगर निगम) ने एचएसजी समाज से 100 किलो से अधिक गीला कचरा उठाने से इंकार किया है। ऐसे सोसाय़टी को गीले कचरे का स्वयं निपटान करने के तरीके स्वयं खोजने होंगे।

ठोस अपशिष्ट एक समस्या क्यों है?

ठोस अपशिष्ट का उचित प्रबंधन न होने पर यह एक समस्या बन जाता है-

  • पर्यावरण पर दुष्प्रभाव- ठोस अपशिष्ट के एक साथ इकट्ठा होने पर यह पर्यावरण को दूषित करता है, इकट्ठा अपशिष्ट से संक्रमित वायु, जल व मृदा प्रदूषित हो जाती है जिसका सीधा असर क्षेत्रीय जीव जंतुओं पर होता है।
  • मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव- अपशिष्ट के आसपास रहने वाली आबादी, तथा अपशिष्ट निपटान करने वाले श्रमिकों व मजदूरों के स्वास्थ्य पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है।
  • अपशिष्ट से उत्पन्न रोगाणु- अपशिष्ट को अनुचित वातावरण मिलने से वह सड़ने लगता है जिससे वह रोगाणुओं के उत्पन्न होने के लिए एक साधन का कार्य करता है। 

ठोस अपशिष्ट क्या है?

समाज द्वारा किए गए प्रत्येक गतिविधि के परिणाम स्वरूप प्राप्त ठोस अनुपयोगी उत्पाद ठोस अपशिष्ट कहलाता है। यह आवश्यक नहीं कि ये पदार्थ केवल ठोस अवस्था में ही प्राप्त हो, कुछ ठोस अपशिष्ट द्रव अवस्था में और कुछ गैस युक्त अर्ध ठोस अवस्था में भी पाए जाते हैं। 

ठोस अपशिष्ट निम्न प्रकार से त्यागे जा सकते हैं-

  • सामाजिक अपशिष्ट – शहरी क्षेत्रों में हाउसिंग सोसायटी द्वारा फेंका गया कचरा जो छंटनी कर साधारण रूप से प्रबंधित किया जा सकता है। जैसे घरेलू कचरा, प्लास्टिक, कागज आदि।
  • औद्योगिक अपशिष्ट- उद्योगों से प्राप्त अपशिष्ट जिसमें धातु,रसायन, प्लास्टिक आदि का बड़ी मात्रा में प्रयोग होता है, इनके मिश्रण से प्राप्त विसाक्त अपशिष्ट औद्योगिक अपशिष्ट होते हैं।
  •  खनन अपशिष्ट- किसी क्षेत्र में खनन के पश्चात प्राप्त अपशिष्ट जो मलबे का रूप धारण कर लेता है। खनन अपशिष्ट कहलाता है। 
  • इलैक्ट्रॉनिक अपशिष्ट- पिछले कुछ दशकों से इलेक्ट्रॉनिक सामग्री का प्रयोग पूरी दुनियाँ में बहुत बढ़ा है। जिससे इसका अपशिष्ट भी बढ़ता जा रहा है। 
  • निर्माण व विध्वंश अपशिष्ट- विकास के लिए किसी संरचना के निर्माण व विध्वंश से उत्पन्न अपशिष्ट स्थानीय वायु को हानिकारक रूप से प्रभावित कर सकता है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 में अपशिष्ट प्रबंधन के घटकों का उल्लेख किया गया है। अधिनियम के अनुसार अपशिष्ट के उत्पादकों व हितधारकों को स्रोत पर ही अपशिष्ट के पृथक्करण, पुनः प्राप्ति, पुनः उपयोग, पुनर्चक्रण पर जोर दिया गया है। निर्माण व विध्वंश के प्रबंधन पर जोर दिया जाने के निर्देश हैं।

अपशिष्ट के पृथक्करण- स्रोत पर ही अपशिष्ट को उसके प्रकार के अनुसार पृथक्करण किया जाए। जैव निम्नीकरण,अजैव निम्नीकरण और घरेलू संकटमय अपशिष्ट को अलग अलग भण्डारित किया जाएगा।

  • जैव निम्नीकरण अपशिष्ट- वे अपशिष्ट जिन्हें हानिरहित पदार्थ में विभाजित किया जा सकता है। जैसे- गोबर।
  • अजैव निम्नीकरण अपशिष्ट- वे अपशिष्ट जिन्हें हानिरहित पदार्थ में विभाजित नहीं किया जा सकता है। ये पदार्थ बैक्टीरिया जैसे जीवाणु द्वारा अपघटित नहीं होते। जैसे- प्लास्टिक।
  • घरेलू संकटमय अपशिष्ट- ये अपशिष्ट जैव व अजैव अपशिष्ट का मिश्रित रूप होता है जो अधिक खतरनाक होता है। जैसे- डायपर, नैपकिन आदि।

अपशिष्ट का पुनः प्रयोगपुनर्चक्रण से पहले अपशिष्ट के पुनः उपयोग करना अधिक लाभप्रद सिद्ध हो सकता है। इससे पुनर्चक्रण में प्रक्रिया से होने वाले पर्यावरण को दुुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके साथ यह समय, धन, ऊर्जा व संसाधनों को बचा सकता है। 

अपशिष्ट का पुनर्चक्रण अजैव निम्नीकरण अपशिष्ट जैसे प्लास्टिक का पुनर्चक्रण के लिए संग्रहणकर्ताओं को उचित स्थान पर उचित तरीके से इसके भण्डारण के लिए मार्ग प्रशस्त करना होगा।

अपशिष्ट संग्रहणकर्ता शुल्क

  • अपशिष्ट संग्रहणकर्ताओं को उपयुक्त संग्रहण शुल्क प्रदान करना।
  • घरेलू संकटमय अपशिष्ट जैसे प्रयोग किए गए डायपर, सैनिटरी को कवर किए बगैर अन्य अपशिष्ट के साथ मिश्रित करने पर अपशिष्ट प्रयोगकर्ता से अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा।
  • घरेलू संकटमय अपशिष्ट के निपटान के लिए सुरक्षित भण्डारण व परिवहन सुनिश्चित करना जो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा निर्देशित हो।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम में बड़ी मात्रा में ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए भी प्रवधान किए गए हैं-

  • समारोह अपशिष्टकिसी समारोह या आयोजन के 3 दिवस पूर्व इसकी जानकारी स्थानीय निकाय को दिए बिना गैर अनुज्ञप्ति वाले स्थान पर समारोह का आयोजन नहीं किया जा सकता। आयोजन में अपशिष्ट की पृथक्करण व निपटान की व्यवस्था आयोजक द्वारा ही की जाएगी।
  • प्रत्येक मार्ग विक्रेता अपने कार्यकलाप के दैरान उत्पन्न अपशिष्ट को उपयुक्त पात्र में संग्रहित करेगा। और ऐसे अधिसूचित अपशिष्ट को स्थानीय प्राधिकरण द्वारा डिपो, पात्र या वाहन में दिया जाएगा।

आगे की राह-

  • लोगों को कचरा प्रबंधन के लिए जागरुक करना, शहरी स्थानों पर कूड़ा पृथक्करण पात्र की व्यवस्था करना। कचरा प्रबंधन हेतु कड़े कानून बनाना।
  • जैव निम्नीकरण अपशिष्ट द्वारा बायो गैस संयत्र बनाकर ऊर्जा का उत्पादन कर सकते हैं। इससे देश में ऊर्जा उत्पादन को एक नई दिशा मिलेगी।
  • एक बार प्रयोग की जाने वाली सामग्री के निर्माण को प्रतिबंधित करना।

स्रोत-

https://indianexpress.com/

https://cpcb.nic.in/uploads/MSW/SWM_2016.pdf

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 29th September

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