तवांग सैक्टर में भारत व चीन के बीच झड़प

तवांग सैक्टर में भारत व चीन के बीच झड़प

तवांग सैक्टर में भारत व चीन के बीच झड़प

संदर्भ- हाल हीमें 9 दिसंबर को अरुणांचल प्रदेश के तवांग सैक्टर में भारत व चीन के बीच मुठभेड़ हुई। झड़प तब हुई जब चीन के 300 सैनिक भारतीय पक्ष में आ गए। झड़प में घायल सैनिकों का गुवाहाटी के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।

अरुणाचल प्रदेश में झड़प पूर्वी तवांग में यांग्त्से नामक एक बिंदु के पास तवांग की ऊंचाई में एलएसी के साथ एक नाले में हुई थी।

तवांग घाटी- 

  • भारत के अरुणांचल प्रदेश राज्य का एक नगर है,
  • यह अरुणांचल प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में तवांग चू घाटी में 3048 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • तवांग के उत्तर पूर्वी दिशा में तिब्बत व दक्षिण पश्चिम में भूटान और दक्षिणपूर्व में पश्चिम कमेंग जिला स्थित है।
  • यह भारत व चीन दोनों पक्षों के बीच एक सहमत विवादित क्षेत्र है।

वर्तमान में भारत व चीन संबंध- भारत व चीन के बीच सीमा विवाद का इतिहास पुराना है।

  • हाल ही में गोगरा हॉट स्प्रिंग वार्ता 
  • गलवान घटना मे 20 भारतीय जवानों का शहीद होना,
  • डेमचोक में चीनी घुसपैठ
  • पैंगोंग झील में चीन द्वारा पुल सहित बुनियादी ढांचे का विवादित निर्माण भारत व चीन के सीमा विवाद को बढ़ा रहा है।

वास्तविक नियंत्रण रेखा LAC, मैकमोहन रेखा और तवांग

वास्तविक नियंत्रण रेखा

  • LAC वह सीमांकन है जो भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करता है। 
  • भारत एलएसी को 3,488 किमी लंबा मानता है, जबकि चीनी इसे केवल 2,000 किमी के आसपास मानते हैं। 
  • इसे तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: पूर्वी क्षेत्र जो अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम, मध्य क्षेत्र में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी क्षेत्र में लद्दाख है।
  • तवांग इसके पूर्वी क्षेत्र में स्थित है।

मैकमोहन रेखा

  • यह भारत व तिब्बत की सीमा रेखा है। 
  • अधिकांश हिमालय में फैली रेखा पश्चिम में भूटान व पूर्व में ब्रह्मपुत्र तक फैली है।
  • भारत के अनुसार यही चीन के साथ उसकी सीमा रेखा है किंतु चीन शिमला समझौते (1914)को मानने से इंकार करता है। जो ब्रिटेन चीन व तिब्बत के मध्य हुई थी। चीन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था अतः उसके द्वारा किए गए समझौतों को नहीं माना जाना चाहिए।
  • चीन, अरुणांचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का एक हिस्सा मानता है और अरुणांचल प्रदेश को भी चीन का हिस्सा मानता है जिसमें तवांग घाटी शामिल है।

तवांग का सामरिक महत्व-

धार्मिक महत्व-

  • तवांग में दुनिया का सबसे बड़ा तिब्बती बौद्ध मठ है(सबसे बड़ा तिब्बत की राजधानी ल्हासा में है।)
  • तवांग तिब्बती संस्कृति के अंतिम बचे केंद्रों में से एक है।
  • माना जाता है कि छठे दलाई लामा का जन्म भी तवांग के पास हुआ था।

पर्यटन महत्व- 

  • सेला दर्रा, गोरीचेन चोटी, तवांग मठ, तवांग युद्ध स्मारक आदि पर्यटक स्थल अरुणांचल प्रदेश के मुख्य पर्टयन स्थल है।
  • शोंगा त्सेग झील, मेचुका व बुमला दर्रा आदि।

कला व हस्तशिल्प-  

  • तवांग के आदिवासियों द्वारा बुने जाने वाले कपड़े की एक अलग खासियत है जो पर्यटकों का आकर्षण होने के साथ आदिवासियों की पहचान भी है। इसमें दरी बनाना मोनपा जनजाति की विशेषता है।
  • थंगका पेंटिंग- थंगका का शाब्दिक अर्थ होता है लिखित संदेश। थंगका पेंटिंग वस्त्रों पर स्क्रॉल पेंटिंग की तरह की जाती है। यह पेंटिंग बहुत लम्बे समय तक रहती है।
  •  हथियार-  आमतौर पर इसका प्रयोग अब बहुत कम हो गया है लेकिन शिकार करने के लिए अब भी यहां धनुष बाण जिसे यहां त्केरी व मू कहा जाता है, का प्रयोग होता है। जिसे बांस के खोल में रका जाता है।
  • आभूषण- जनजाति प्राकृतिक वस्तुओं जैसे बांस के पंख , जंगली बीज, कांच के मनके आदि का प्रयोग कर आभूषण बनाते हैं।
  • बांस व बेंत के उत्पाद- यहां के आदिवासी बांस व बेंत का प्रयोग कर विभिन्न उत्पाद जैसे टोकरी, फर्नीचर, टोपी आदि बनाते हैं।
  • कागज बनाना- मोनपा जनजाति कागज बनाने की कला बखुबी जानती है।कागज को डैपने बॉटनिकल पैपरसिया नामक झाड़ी की छाल से बनाया जाता है।   
  • इसके साथ ही मिट्टी के बर्तन, धूम्रपान की पाइप व बुने हुए वस्त्र विशिष्ट हैं।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/india/india-china-troops-clash-lac-tawang-sector-minor-injuries-8320729/

https://www.incredibleindia.org/content/incredible-india-v2/hi/destinations/tawang.html

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 17th december

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