07 Feb तुर्की भूकंप त्रासदी
संदर्भ- तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने तुर्की के गजियींटेप के आसपास आए भूकंप को अर्जिकन भूकंप के बाद दूसरा सबसे बड़ा भूकंप कहा। अर्जिकन भूकंप में 33000 लोगों की जान चली गई थी।
यूनाइटेड स्टेट्स की वेबसाइट के अनुसार लगभग 12 घण्टों में 4 या 4 से अधिक तीव्रता के 41 भूकंप दर्ज कि ए गए। अधिकतम विनाशकारी भूकंप की तीव्रता 7.8 आंकी गई जिसमें लगभग 3800 लोगों की जान चली गई। तुर्की में भूकंप की बारंबारता का कारण उसकी अवस्थिति को माना जाता है।
भूकंप
- पृथ्वी की सतह पर होने वाले आकस्मिक गति या कम्पन को भूकम्प कहते हैं। जो धीरे धीरे संचित ऊर्जा के अचानक मुक्त होने के कारण होता है।
- भूकंप अक्सर भूगर्भ में किसी परिवर्तन से आते हैं। जो भूगर्भ की विवर्तनीय प्लेट पर आई किसी दरार या विवर्तनीय प्लेटों के खिसकने से आते हैं।
- भूगर्भ में आए परिवर्तन जैसे दरार जहाँ से भूकम्प उत्पन्न हुआ है इसे अवकेंद्र या फोकस कहा जाता है।
- पृथ्वी की सतह पर वह बिंदु जो सीधे फोकस के ऊपर होता है उसे उपरिकेंद्र कहा जाता है, यही सबसे अधिक भूकंप महसूस किया जा सकता है।
विवर्तनीय प्लेट-
- भूगर्भ में स्थित विवर्तनीय प्लेट दो प्रकार की पपड़ी से बनी होती है- महासागरीय व महाद्वीपीय। जब भी यह प्लेटों की सतह सम्पर्क में आती है तो तनाव बढ़ जाता है जिससे विस्थापन और गति उत्पन्न होती है।
- यह विस्थापन दो प्रकार का होता है- क्षैतिज व ऊर्ध्वाधर।
- 1906 में आए ग्रेट सैन फ्रांसिस्को के भूकंप को अब तक का सबसे बड़ा क्षैतिज भूकंप कहा जाता है। जिसकी तीव्रता 7.9 आंकी गई थी।
- 26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया में अब तक का सबसे बड़ा भूकम्प आया, जिसकी तीव्रता 9.1 आंकी गई थी।
भूकंपीय तरंगे- भूकंपीय तरंगें तीन प्रकार की होती है।
- प्राथमिक तरंगें- इन्हें पी तरंगें भी कहा जाता है,यह ऐसी संपीडन तरंगें हैं, जो सीस्मोग्राफ व व्यक्तियों द्वारा सबसे पहले महसूस किए जा सकते हैं क्योंकि इनकी गति बहुत तेज होती है। यह ठोस द्रव व गैस तीनों भागों मे गति कर सकती हैं।
- द्वितीयक तरंगें– इन्हें एस तरंगें भी कहा जाता है, यह प्राथमिक तरंगों के बाद महसूस की जा सकती है, अर्थात इनकी गति प्राथमिक तरंगों से कम है। ये द्रव यानि तरल माध्यम में गति नहीं कर पाती हैं। एस तरंगें साइड टू साइड गति करती हैं।
- पी तथा एस तरंगों को एक साथ भूगर्भीय तरंगें कहते हैं।
- सतही तरंगें- सतही तरंगें सबसे अंत में पहुँचने वाली भूकंपीय तरंगें होती हैं। जो सतह में सबसे बड़ी गति पैदा करती हैं जिस कारण यह सबसे अधिक विनासकारी सिद्ध होती हैं।
भूकंप का मापन
भूकंप के मापन के लिए सिस्मोग्राफ का प्रयोग कर भूकंपीय तरंगों का मापन किया जाता है। जब पृथ्वी के भीतरी सतह के किसी भाग में कोई क्षति जैसे दरार आ जाती है तो सभी दिशाओं से ऊर्जा का निष्कासन होता है और इस ऊर्जा को सिस्मोग्राफ द्वारा मापा जा सकता है।
तुर्की भौगोलिक स्थिति-
- तुर्की यूरोप का रूस के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है।
- यह एजियन सागर, काला सागर व भूमध्य सागर के मध्य लगभग 296185 वर्गमील क्षेत्र में विस्तृत है।
- काला सागर व एजीयन सागर को जोड़ने वाला जलडमरुमध्य को नियंत्रित करता है।
- तुर्की एक एनातोलिया विवर्तनीय प्लेट से संबंधित है, एनातोलिया मध्य तुर्की क्षेत्र के एक पठार को भी कहा जाता है।
तुर्की में भूकंप का कारण –
- यह भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है जिसमें तुर्की के उत्तरी, पूर्वी व मध्य क्षेत्र से होकर भूकंपीय दोष रेखा गुजरती है।
- अरब महाद्वीप का उत्तर की ओर खिसकना भी इसका एक कारण रहता है जिससे अनातोलिया प्लेट पश्चिम की ओर आंदोलित होता है।
- इसका अन्य कारण अरब, यूरेशिया व अफ्रीकी प्लेटों के परस्पर आंदोलन को भी माना जाता है।
विश्व के विनाशकारी भूकंप
- तुर्की का अब तक का सबसे बड़ा भूकम्प एर्जिकेन भूकंप(1939) को माना जाता है जिसमें 33000 लोगों की जान चली गई थी। जिसकी तीव्रता भी 7.8 मापी गई थी।
- अप्रैल 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के कारण 9000 लोगों की मृत्यु हो गई व 22000 हजार लोग घायल हो गए थे , इस भूकंप की तीव्रता 7.8 आंकी गई थी।
- नेपाल में 1934 में 8.0 तीव्रता का भूकंप आया था। जिसमें 10600 जानें चली गई थी।
भारत के विनाशकारी भूकम्प
- भारत में अब तक का सबसे अधिक तीव्रता 11.2 का भूकंप अण्डमान निकोबार में 2012 में आय़ा था।
- 2005 में कश्मीर में आए भूकंप को सर्वाधिक विनाशकारी माना जाता है जिसकी तीव्रता 7.6 थी और भूकंप के कारण 130000 लोगों की जान चली गई थी।
- गुजरात में आए भूकंप(7.6) के कारण हजारों लोगों की जान चली गई।
Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 07th Feb
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