दुर्लभ खनिज निवेश साझेदारी

दुर्लभ खनिज निवेश साझेदारी

दुर्लभ खनिजों के लिये परियोजनाओं एवं आपूर्ति शृंखलाओं के क्षेत्र में भारत और ऑस्ट्रेलिया ने अपनी साझेदारी को मज़बूत करने का निर्णय लिया।

  • भारत-ऑस्ट्रेलिया दुर्लभ खनिज निवेश साझेदारी के तहत तीन साल के लिये 5.8 मिलियन अमेरिकी डाॅलर का निवेश करेगा, ऑस्ट्रेलिया द्वारा इस बात की पुष्टि की है।

दुर्लभ खनिज

  • दुर्लभ खनिज ऐसे 17 केमिकल पदार्थ होते हैं, जो पृथ्वी की भीतरी परतों में दबे पड़े हुए हैं। इनका अत्यधिक उपयोग इंसानों द्वारा विभिन्न प्रकार के उत्पादों में किया जाता है। वर्तमान जीवनशैली इन्हीं खनिजों पर आधारित है। 
    • आधुनिक युग में दुर्लभ खनिज ऐसे तत्त्व हैं,जो महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों की बुनियाद हैं और इनकी कमी की वजह से पूरी दुनिया में आपूर्ति शृंखला पर असर पड़ा है।
  • उदाहरण:
    • दुर्लभ खनिजों की सूची में ज़्यादातर ग्रेफाइट, लिथियम और कोबाल्ट शामिल हैं, जिनका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी बनाने के लिये किया जाता है। ये काफी दुर्लभ खनिज होते हैं, जिनका उपयोग मैग्नेट तथा सिलिकॉन बनाने के लिये किया जाता है एवं जो कंप्यूटर चिप्स व सौर पैनल बनाने हेतु एक प्रमुख खनिज हैं।

दुर्लभ खनिजों के उपयोग

  • इन खनिजों का उपयोग आजकल स्मार्ट फोन जीपीएस सिस्टम, हार्ड ड्राइव, और कंप्यूटर बनाने से लेकर वाहनों की बैटरी, इलेक्ट्रिक वाहन (EV) तथा हरित प्रौद्योगिकी जैसे सौर पैनल एवं पवन टरबाइन बनाने तक हर जगह किया जाता है।
  • इनका उपयोग लड़ाकू जेट, ड्रोन, रेडियो सेट, अन्तरिक्ष उपग्रह,  संचार उपग्रह तथा अन्य महत्त्वपूर्ण उपकरणों के निर्माण में किया जाता है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि एयरोस्पेस, संचार और रक्षा उद्योग भी कई ऐसे खनिजों पर निर्भर हैं।

साझेदारी का महत्त्व:

  • ऑस्ट्रेलिया के पास दुर्लभ खनिजों का भंडार है जिससे  भारत के अंतरिक्ष और रक्षा उद्योगों, सौर पैनलों, बैटरी एवं इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में सहायता प्राप्त होगी  साथ ही साथ महत्त्वपूर्ण खनिजों की बढ़ती मांग को पूरा करने तथा भारत की महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने में बहुत लाभकारी सिद्ध होगी।
  • द्विपक्षीय साझेदारी के द्वारा भारत की रुचि और समर्थन के चलते वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाते हुए ऑस्ट्रेलिया में महत्त्वपूर्ण खनिज परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक हर खनिज क्षेत्र में सहयोग की बहुत अधिक गुंजाइश है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, ज्ञान-साझाकरण , लिथियम और कोबाल्ट जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों में निवेश स्वच्छ ऊर्जा महत्त्वाकांक्षा को प्राप्त करने हेतु रणनीतिक रूप से आवश्यक है।

 

भारत और ऑस्ट्रेलिया के मैत्री संबंध

  • भारत और ऑस्ट्रेलिया उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंधों को साझा करते हैं जो हाल के वर्षों में एक सकारात्मक ट्रैक के साथ मैत्रीपूर्ण साझेदारी में विकसित परिवर्तनकारी विकास से गुज़रे हैं।
    • यह एक विशेष साझेदारी है जो बहुलवादी, संसदीय लोकतंत्रों, राष्ट्रमंडल परंपराओं के साझा मूल्यों, लंबे समय से चले आ रहे लोगों से लोगों के बीच आर्थिक जुड़ाव का विस्तार करने और उच्च स्तरीय बातचीत को बढ़ाने की विशेषता रखते हैं
    • भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी: इसकी शुरुआत जून 2020 में आयोजित भारतऑस्ट्रेलिया लीडर्स वर्चुअल समिट के दौरान हुई थी और यह भारत-ऑस्ट्रेलिया के बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला है।

व्यावसायिक सहयोग: 

  • वर्ष 2021 में व्यापार और सेवाओं दोनों में भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय व्यापार  27.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है।
  • वर्ष 2019 और 2021 के बीच ऑस्ट्रेलिया में भारत के व्यापारिक निर्यात में 135% की वृद्धि हुई। भारत के निर्यात में मुख्य रूप से तैयार उत्पादों का एक व्यापक-आधार वाला बास्केट शामिल है और वर्ष 2021 में यह 6.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
  • 2021 में भारत  ने ऑस्ट्रेलिया से 15.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कीमत के बड़े पैमाने पर कच्चे माल, खनिज और मध्यवर्ती वस्तुओं का आयात किया था।

अन्य सहयोग

  • हिंदप्रशांत क्षेत्र में सप्लाई चेन रेज़ीलिएंस को बढ़ाने हेतु भारत और ऑस्ट्रेलिया, जापान के साथ त्रिपक्षीय सप्लाई चेन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव (SCRI) व्यवस्था में भागीदार हैं।
  • इसके अतिरिक्त भारत एवं ऑस्ट्रेलिया भी QUAD समूह (भारतअमेरिकाऑस्ट्रेलिया और जापान) के सदस्य हैं, जिसका उद्देश्य साझा चिंता के कई मुद्दों पर सहयोग बढ़ाना और साझेदारी विकसित करना है।

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi med 9th July

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