‘ दूरसंचार विधेयक 2023’ और भारत में डिजिटल संप्रभुता: भविष्य और चुनौतियाँ

‘ दूरसंचार विधेयक 2023’ और भारत में डिजिटल संप्रभुता: भविष्य और चुनौतियाँ

( यह लेख ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ द हिन्दू’ , ‘ जनसत्ता ’ , ‘भारत संचार निगम लिमिटेड और महानगर टेलीफ़ोन निगम लिमिटेड के आधिकारिक वेबसाइट ’ , ‘ संसद टीवी के कार्यक्रम सरोकार ’ मासिक पत्रिका ‘वर्ल्ड फोकस’ और ‘पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ भारत की राजव्यस्था एवं शासन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर , वृद्धि एवं विकास, विकास से संबंधित मुद्दे और औद्योगिक विकास’ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘दूरसंचार विधेयक 2023’ और भारत में डिजिटल संप्रभुता: भविष्य और चुनौतियाँ ’ से संबंधित है।)

सामान्य अध्ययन : भारत की राजव्यस्था एवं शासन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ, सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर, वृद्धि एवं विकास, विकास से संबंधित मुद्दे और औद्योगिक विकास।

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार के केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दूरसंचार विधेयक 2023’ (Telecommunications Bill 2023) को हाल ही में राज्यसभा में पेश कियालोकसभा में इस विधेयक को 20 दिसंबर 2023 को ही पारित / पास  कर दिया गया था। लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी ध्वनि मत से अपनी मंजूरी देते हुए इस विधेयक को पारित कर दिया है। यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) अधिनियम, 1997 में भी संशोधन करता है। इस विधेयक के तहत ही उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए गैर-नीलामी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। यह विधेयक केंद्र सरकार को किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में दूरसंचार नेटवर्क को अपने कंट्रोल/ नियंत्रण में लेने की अनुमति देता है। यह नया विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 की जगह लेगा। इसके साथ ही अब भारतीय दूरसंचार विधेयक 2023 को संसद की मंजूरी मिल चुकी है।

भारतीय दूरसंचार विधेयक 2023 के प्रमुख प्रावधान: 

  • दूरसंचार से संबंधित गतिविधियों के लिए प्राधिकरण: दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने, दूरसंचार नेटवर्क स्थापित करने, संचालित करने, बनाए रखने या विस्तार करने या रेडियो उपकरण रखने के लिए अब सेवा प्रदाता कंपनियों को केंद्र सरकार से पूर्व प्राधिकरण की आवश्यकता होगी। मौजूदा लाइसेंस उनके अनुदान की अवधि के लिए या पाँच वर्ष हेतु वैध बने रहेंगे, जहाँ अवधि निर्दिष्ट नहीं है।
  • स्पेक्ट्रम का आवंटन: निर्दिष्ट उपयोगों को छोड़कर, स्पेक्ट्रम को नीलामी द्वारा आवंटित किया जाएगा, जहाँ इसे प्रशासनिक आधार पर आवंटित किया जाएगा। इनमें राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा, आपदा प्रबंधन, मौसम पूर्वानुमान, परिवहन, DTH तथा सैटेलाइट टेलीफोनी जैसी उपग्रह सेवाएँ एवं BSNL, MTNL व सार्वजनिक प्रसारण सेवाएँ जैसे उद्देश्य शामिल हैं।
  • केंद्र सरकार किसी भी आवृत्ति रेंज का पुन: प्रयोजन या पुन:निर्धारण कर सकती है। केंद्र सरकार स्पेक्ट्रम को साझा करने, व्यापार करने, पट्टे पर देने और सरेंडर करने की भी अनुमति दे सकती है।
  • सैटेलाइट इंटरनेट आवंटन: विधेयक वनवेब (भारती द्वारा समर्थित) जैसे सैटेलाइट इंटरनेट प्रदाताओं और स्पेसएक्स के स्टारलिंक जैसी अमेरिकी-आधारित कंपनियों को स्पेक्ट्रम आवंटित करने के प्रावधान पेश करता है।
  • वर्तमान में वनवेब और जियो को सक्रिय प्राधिकरण प्रदान किये गए हैं, जिससे सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवाओं का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
  • अवरोधन और खोज की शक्तियाँ: दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच संदेशों या संदेशों के एक वर्ग को कुछ आधारों पर रोका, मॉनिटर किया जा सकता है या अवरुद्ध किया जा सकता है।
  • ऐसी कार्रवाइयाँ सार्वजनिक सुरक्षा या सार्वजनिक आपातकाल के हित में आवश्यक या समीचीन होनी चाहिए और निर्दिष्ट आधारों के हित में भी होनी चाहिए जिनमें राज्य की सुरक्षा, अपराधों को भड़काने की रोकथाम, झूठी ख़बरों से सांप्रदायिक दंगों या जातीय हिंसा भड़काने या भड़काने की आशंका होने जैसे अपराध या सार्वजनिक कानून व्यवस्था को नियंत्रित रखने की व्यवस्था शामिल है।
  • इसी आधार पर दूरसंचार सेवाओं को निलंबित किया जा सकता है सरकार किसी भी सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा की स्थिति में किसी भी दूरसंचार बुनियादी ढाँचे, नेटवर्क या सेवाओं पर अस्थायी कब्ज़ा कर सकती है।
  • सरकार द्वारा अधिकृत कोई अधिकारी अनधिकृत दूरसंचार नेटवर्क या उपकरण रखने के लिये परिसरों या वाहनों की तलाशी ले सकता है।
  • मानक निर्दिष्ट करने की शक्तियाँ: केंद्र सरकार दूरसंचार उपकरण, बुनियादी ढाँचे, नेटवर्क और सेवाओं के लिये मानक तथा मूल्यांकन निर्धारित कर सकती है।
  • दूरसंचार प्रदाता सुविधा मार्ग का अधिकार: इस विधेयक के द्वारा सुविधा प्रदाता दूरसंचार बुनियादी ढाँचे की स्थापना के लिए सार्वजनिक या निजी संपत्ति पर रास्ते/मार्ग का अधिकार मांग सकते हैं।
  • इसमें जहाँ तक संभव हो सके सूचना प्रदान करने का मार्ग या रास्ते का अधिकार गैर-भेदभावपूर्ण और गैर-विशिष्ट आधार पर प्रदान किया जाना चाहिए।
  • आपदा के दौरान संदेशों का प्राथमिकता प्रसारण: किसी भी सार्वजनिक आपातकाल के दौरान, केंद्र या राज्य सरकार किसी भी दूरसंचार सेवा को अस्थायी रूप से स्थगित कर सकती है।
  • सरकार यह गारंटी देने के लिए एक प्रणाली स्थापित कर सकती है कि प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति के लिए अधिकृत उपयोगकर्ता द्वारा भेजे गए संदेश पहले प्रसारित किए जाएँ।
  • मीडिया के लिए नया प्रावधान : नए विधेयक के अनुसार केंद्र या राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के मैसेज को तब तक रोका नहीं जाएगा जब तक कि उनके प्रसारण को सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक व्यवस्था पर लागू नियम के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया हो।
  • सिम कार्ड फ्रॉड करने पर 3 साल की जेल और 50 लाख रुपये का जुर्माना : फर्जी सिम कार्ड जारी करने पर रोक लगाने के लिए बिल में सख्त प्रावधान हैं। किसी भी तरह के सिम कार्ड फ्रॉड करने पर तीन साल की जेल और जुर्माना लगेगा। बिल के तहत सिम कार्ड बेचने, खरीदने और इस्तेमाल करने पर भी तीन साल तक की जेल या 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। सिम बेचने के लिए बायोमेट्रिक डाटा लिया जाएगा उसके बाद ही सिम जारी होगा।
  • उपभोक्ताओं या उपयोगकर्त्ताओं की निजता की सुरक्षा: केंद्र सरकार उपभोक्ताओं या उपयोगकर्त्ताओं की निजता की सुरक्षा हेतु उपाय प्रदान कर सकती है जिसमें शामिल हैं: विज्ञापन संदेश यथा निर्दिष्ट संदेश प्राप्त करने के लिए पूर्व सहमति, ‘ डू नॉट डिस्टर्ब ’  रजिस्टरों का निर्माण करना  और उपभोक्ताओं या उपयोगकर्त्ताओं को मैलवेयर या निर्दिष्ट संदेशों की रिपोर्ट करने की अनुमति देने के लिये एक तंत्र की स्थापना करना ।
  • स्पैम कॉल और संदेशों से निपटने हेतु दूरसंचार ग्राहकों के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण होना अनिवार्य होना चाहिए।
  • दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने वाली संस्थाओं/ कंपनियों को शिकायतों के पंजीकरण और निवारण के लिए  एक ऑनलाइन तंत्र स्थापित करना होगा।
  • शुल्क माफ करने का अधिकार (Authority to Waive fees): विधेयक सरकार को उपभोक्ताओं के हित में प्रवेश शुल्क, लाइसेंस शुल्क, जुर्माना आदि माफ करने की शक्ति देता है।
  • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) में नियुक्तियाँ: यह विधेयक TRAI अधिनियम में संशोधन करता है, जिससे व्यक्तियों को अध्यक्ष/चेयरपर्सन के रूप में काम करने के लिए कम-से-कम 30 वर्षों का पेशेवर अनुभव और सदस्यों के रूप में काम करने के लिए कम-से-कम 25 वर्षों के पेशेवर अनुभव की अनुमति मिलती है।
  • डिजिटल भारत निधि: यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड की स्थापना वर्ष 1885 अधिनिय के तहत वंचित क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने के लिए की गई है।
  • इस विधेयक में इस प्रावधान को तो बरकरार रखा ही गया है, लेकिन फंड का नाम बदलकर डिजिटल भारत निधि कर दिया गया है साथ – ही – साथ अनुसंधान एवं विकास के लिए इसके उपयोग की भी अनुमति देता है
  • OTT ऐप्स का विनियमन: इस विधेयक के द्वारा व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे संचार सेवा प्रदाताओं को बड़ी राहत देते हुए, दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा से ओवर-द-टॉप (OTT) सेवाओं और ऐप्स को हटा दिया गया है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय संभावित डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत OTT ऐप्स के विनियमन को संभालेगा, जो दूरसंचार विधेयक में शामिल नहीं है।
  • इसके तहत अपराध और दंड का प्रावधान : विधेयक विभिन्न आपराधिक और नागरिक अपराधों को निर्दिष्ट करता है। प्राधिकरण के बिना दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करना या दूरसंचार नेटवर्क या डेटा तक अनधिकृत पहुँच प्राप्त करना, तीन वर्ष तक का कारावास, दो करोड़ रुपए तक का ज़ुर्माना या दोनों के साथ दंडनीय है।
  • प्राधिकरण के नियमों और शर्तों का उल्लंघन करने पर पाँच करोड़ रुपए तक का नागरिक ज़ुर्माना लगाया जा सकता है।
  • अनाधिकृत उपकरण रखने या अनाधिकृत नेटवर्क या सेवा का उपयोग करने पर दस लाख रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है।
  • नागरिक अपराधों के खिलाफ जाँच करने और न्यायनिर्णयन के लिए अधिकारी की नियुक्त की प्रक्रिया: केंद्र सरकार इस विधेयक के तहत नागरिक अपराधों के खिलाफ जाँच करने और आदेश पारित करने के लिए एक न्यायनिर्णयन अधिकारी नियुक्त करेगी।
  • अधिकारी संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के पद का होना चाहिए।
  • निर्णायक अधिकारी के आदेशों के खिलाफ 30 दिनों के भीतर नामित अपील समिति के समक्ष अपील की जा सकती है।
  • नियमों और शर्तों के उल्लंघन के संबंध में समिति के आदेशों के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान तथा अपीलीय न्यायाधिकरण (TDSAT) में 30 दिनों के भीतर अपील दायर की जा सकती है।
  • विश्वसनीय स्रोत की व्यवस्था को एकीकृत करना: संभावित रूप से प्रतिकूल देशों से दूरसंचार उपकरणों के आयात को रोकने के लिए वर्ष 2020 में भारत-चीन सीमा संघर्ष के बाद प्रारंभ में स्थापित एक उपाय को अब इस कानून में एकीकृत कर दिया गया है।

मुद्दे:

  • प्रति उपयोगकर्त्ता औसत राजस्व में गिरावट (ARPU): ARPU में गिरावट स्थिर रूप से तीव्र है, जो घटते मुनाफे और कुछ मामलों में गंभीर नुकसान के साथ भारतीय दूरसंचार उद्योग को राजस्व बढ़ाने के एकमात्र तरीके के रूप में समेकन के लिये प्रेरित कर रही है।
  • अर्ध-ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्रों में दूरसंचार अवसंरचना की कमी: सेवा प्रदाताओं को अर्ध-ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिये भारी मात्रा में प्रारंभिक निश्चित लागत को वहन करना पड़ता है।
  • प्रतिस्पर्द्धा के कारण मार्जिन पर दबाव: रिलायंस जियो के प्रवेश के बाद प्रतिस्पर्द्धा तेज़ होने के साथ अन्य दूरसंचार कंपनियाँ वॉयस कॉल और डेटा (डेटा ग्राहकों के लिये अधिक महत्त्वपूर्ण) दोनों के लिये टैरिफ दरों में भारी गिरावट महसूस कर रही हैं।

भारत में टेलीकॉम सेक्टर की स्थिति: 

वर्तमान स्थिति: 

  • भारत में दूरसंचार उद्योग क्षेत्र अगस्त 2023 तक 1.179 बिलियन (वायरलेस + वायरलाइन उपयोगकर्त्ता) के उपयोगकर्त्ता आधार के साथ विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है।
  • दूरसंचार उद्योग क्षेत्र का भारत के FDI अंतर्वाह के मामले में चौथा सबसे बड़ा स्थान  है, जो FDI क्षेत्र के मामले में भारत के कुल FDI अंतर्वाह में 6% का योगदान देता है।
  • भारत में कुल टेली-घनत्व 84.69% है। टेली-घनत्व प्रति 100 जनसंख्या पर टेलीफोन की संख्या को दर्शाता है तथा दूरसंचार तक पहुँच का एक प्रमुख संकेतक है।
  • प्रति वायरलेस डेटा उपयोगकर्त्ता की औसत मासिक डेटा खपत भी मार्च 2014 में 61.66 MB से बढ़कर मार्च 2023 में 17.36 GB हो गई है।

भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए सरकारी पहल:

  • सूचना प्रौद्योगिकी विभाग राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के अनुसार, पूरे भारत में 1 मिलियन से अधिक इंटरनेट-सक्षम सामान्य सेवा केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य है।
  • टेलीकॉम सेक्टर में FDI की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दी गई है जिसमें से 49% स्वचालित मार्ग के माध्यम से, जबकि शेष विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (FIPB) अनुमोदन मार्ग के माध्यम से किया जाएगा।
  • डार्क फाइबर, इलेक्ट्रॉनिक मेल और वॉइस-मेल की पेशकश करने वाले आधारभूत संरचना प्रदाताओं के लिये 100 प्रतिशत तक की FDI की अनुमति है।
  • प्रधानमंत्री वाई-फाई एक्सेस नेटवर्क इंटरफेस (PM-WANI)
  • भारतनेट परियोजना।
  • दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के विनिर्माण के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना।
  • भारत 6G एलायंस।

विधेयक को लेकर चिंताएँ:

  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए, संस्थाओं को अपने उपयोगकर्ताओं का बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण करना अनिवार्य है। इससे उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी से जुड़ी चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
  • परिभाषा में अस्पष्टता: ‘दूरसंचार सेवाओं’ की नई परिभाषा को सामान्य रखा गया है और इसकी व्यापक व्याख्या की संभावना है।
  • OTT  संचार सेवाओं के विशिष्ट संदर्भ को ‘दूरसंचार सेवाओं’ की परिभाषा से हटा दिया गया है।
  • नेटवर्क पर कब्जा: विधेयक सरकार को नेटवर्क पर “अस्थायी नियंत्रण/कब्जा” करने का अधिकार देता है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को ‘ कब्जे ’ को परिभाषित करने और यह निर्दिष्ट करने की आवश्यकता है किअस्थायी ’ कार्यकाल कितने समय तक चलेगा।
  • शक्ति का संभावित दुरुपयोग: विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों को किसी भी सार्वजनिक आपातकाल के दौरान या ‘सार्वजनिक सुरक्षा के हित में’ संचार निलंबित करने का अधिकार देता है। हालाँकि सरकार द्वारा  इस शक्ति का दुरुपयोग असहमति  को रोकने के लिए भी किया जा सकता है।
  • TRAI की  प्रतिबंधात्मक शक्तियाँ: मसौदे में TRAI अध्यक्ष की भूमिका के लिए निजी क्षेत्र के कॉरपोरेट अधिकारियों की नियुक्ति की अनुमति देने का भी प्रावधान है।
  • यह बदलाव TRAI की  भूमिका को सीमित कर सकता है क्योंकि दूरसंचार क्षेत्र में प्रगतिशील और सकारात्मक विकास को बढ़ावा देने के लिए किसी भी उद्योग निगरानीकर्ता (Industry watchdog) के पास तटस्थ और स्वतंत्र दृष्टिकोण नहीं होगा।
  • स्पेक्ट्रम आवंटन (Spectrum Allocation): इस मामले पर निजी दूरसंचार कंपनियों में मतभेद है।
  • इस वर्ष जून में TRAI की  परामर्श प्रक्रिया के दौरान एलन मस्क के स्टारलिंक (Starlink), अमेजॅन के प्रोजेक्ट कुइपर (Project Kuiper) और भारत के टाटा समूह ने नीलामी के माध्यम से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन का विरोध किया। जबकि भारतीय एयरटेल और रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम नीलामी का समर्थन किया

दूरसंचार क्षेत्र की समस्या के समाधान के लिए आगे की राह:

  • इस क्षेत्र में विशाल अवसरों को देखते हुए दूरसंचार क्षेत्र में एक सक्रिय और सुविधाजनक सरकारी भूमिका की आवश्यकता है।
  • स्वतंत्र और वैधानिक निकाय, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) को इस क्षेत्र के प्रहरी के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
  • TDSAT (दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण) द्वारा एक अधिक सक्रिय और समय पर विवाद समाधान, समय की मांग है।
  • नए नियामक अधिनियम में आपातकालीन स्थितियों, सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उपायों पर प्रासंगिक प्रावधान होने चाहिए।
  • इसके अलावा दंड उल्लंघन के अनुपात में होना चाहिए, इसे ध्यान में रखते हुए नए कानून को अद्यतन करने की आवश्यकता है, जिसमें जुर्माने और अपराधों पर विभिन्न प्रावधानों को एक साथ लाया जाना चाहिए।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

Q.1. दूरसंचार विधेयक 2023’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1.  यह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) अधिनियम, 1997 में संशोधन से संबंधित है।
  2. भारत में दूरसंचार उद्योग क्षेत्र उपयोगकर्त्ता के आधार पर विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है।
  3. अब इस विधेयक के तहत ही उपग्रह स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए गैर-नीलामी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
  4. यह विधेयक केंद्र सरकार को किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में दूरसंचार नेटवर्क को अपने कंट्रोल/ नियंत्रण में लेने की अनुमति देता है। 

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

  1. केवल 1 , 3 और 4
  2. केवल 2 और 4 
  3. इनमें से सभी।
  4. इनमें से कोई नहीं। 

उत्तर –  (c) 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. दूरसंचार विधेयक 2023 के प्रमुख प्रावधानों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि क्या यह ‘ व्यक्ति के निजता के अधिकार ’ का उल्लंघन करता है ? यह भारत में किस प्रकार डिजिटल समावेशन और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देता है ? तर्कसंगत व्याख्या कीजिए

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