धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 और भारत में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 और भारत में मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन –  भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था, भारत की केन्द्रीय जाँच एजेंसी, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली शराब नीति घोटाला, धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002

 

खबरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में 22 मार्च 2024 को दिल्ली की एक अदालत ने ‘दिल्ली शराब नीति’ मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च 2024 तक भारत की केन्द्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की हिरासत में भेज दिया। 
  • भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था के इतिहास में अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए भारत की केन्द्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार होने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री बन गए है।
  • भारत की केन्द्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में कहा कि “आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता और इस घोटाले के  मुखिया और मुख्य आरोपी हैं।
  • इससे मामले से पूर्व झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने से पहले झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

दिल्ली शराब नीति / दिल्ली आबकारी नीति घोटाले की पृष्ठभूमि : 

 

 

 

  • भारत में दिल्ली शराब नीति घोटाले से संबंधित दो मामले दर्ज किए गए हैं – एक CBI द्वारा, और दूसरा, कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय  द्वारा दर्ज किया गया है।
  • दिल्ली शराब नीति घोटाले का यह मामला जुलाई 2022 में दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार द्वारा उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को सौंपी गई एक रिपोर्ट के बाद सामने आया, जिसमें दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति 2021 – 22 को बनाने में कथित प्रक्रियात्मक खामियों को बताया गया था। 
  • दिल्ली आबकारी नीति मामला 2021 – 22 दिल्ली में नवंबर 2021 में लागू हुई थी, लेकिन जुलाई 2022 में इस नीति को  खत्म कर दिया गया था।
  • दिल्ली आबकारी नीति मामला 2021 – 22 के तहत यह आरोप लगाया गया है कि “आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के नेताओं द्वारा शराब व्यवसाय से जुड़े शराब माफियाऔर संचालकों से लाइसेंस शुल्क में छूट देने के लिए और इसकी  अवधि में विस्तार करने के साथ – ही – साथ कोविड -19 महामारी के कारण होने वाले व्यवधानों के कारण राहत जैसे वरीयता प्रदान करने के एवज में दिल्ली सरकार द्वारा  रिश्वत लिया गया और इस रिश्वत की धनराशि का इस्तेमाल 2022 की शुरुआत में पंजाब और गोवा में विधानसभा चुनावों में खर्चे के लिए और इन चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया था”।
  • भारत की केन्द्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने यह भी आरोप लगाया कि यह घोटाला थोक शराब कारोबार को दिल्ली सरकार द्वारा नामित सरकारी दुकानों के बदले निजी व्यक्तियों और संस्थाओं को देने के लिए  6% रिश्वत के बदले 12% लाभ नीति द्वारा तय किया गया था।

 

धन शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग का अर्थ  : 

  • मनी लांड्रिंग एक ऐसी प्रक्रिया को कहते हैं जो अवैध तरीके से अर्जित धन  या काला धन को इस प्रकार बदल दे कि वह वैध स्रोतों से प्राप्त किया हुआ लगाने लगे या वह वैध धन बन जाए। 
  • भारत में मनी लांड्रिंग केवल एक स्वतंत्र अपराध ही नहीं है, बल्कि यह पहले से किए गए काला धन को छुपाने के अपराध पर पर्दा डालने की प्रक्रियागत कार्य भी है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग’ शब्द की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका में माफिया समूह से उत्पन्न हुई थी. माफिया समूहों ने जबरन वसूली, जुआ इत्यादि से भारी मात्रा में कमाई की और इस पैसे को वैध स्रोत (जैसे लाउन्डोमेट्स) के रूप में दिखाया गया था। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 1980 के दशक में मनी लॉन्ड्रिंग एक चिंता का विषय बन गया था।
  • भारत में, “मनी लॉन्ड्रिंग” को लोकप्रिय रूप में हवाला लेनदेन के रूप में जाना जाता है. भारत में यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय 1990 के दशक के दौरान हुआ था जब इसमें कई नेताओं के नाम उजागर हुए थे।
  • मनी लॉन्ड्रिंग का तात्पर्य अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाने से होता है। मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त धनराशि को छुपाने का एक तरीका है। 
  • धन शोधन के माध्यम से प्राप्त धन को ऐसे कामों या ऐसे निवेश में लगाया जाता है कि जाँच करने वाली एजेंसियां भी धन के मुख्य स्त्रोत का पता नही लगा पातीं है।
  • अवैध तरीके से प्राप्त धन शोधन की प्रक्रिया में जो व्यक्ति धन की हेरा फेरी करता है उसको “लाउन्डरर” कहा जाता है। 
  • धन शोधन की प्रक्रिया में अवैध माध्यम से कमाया गया काला धन सफ़ेद होकर अपने असली मालिक के पास वैध मुद्रा के रूप में लौट आता है।

मनी लांड्रिंग :  एक संगठित अपराध :

  • मनी लांड्रिंग एवं संगठित अपराध का अत्यंत गहरा संबंध होता है। धन शोधन कराने वाले मादक द्रव्यों की तस्करी, अंतरराष्ट्रीय जालसाजी, हथियारों की तस्करी आदि से बहुत बड़ी मात्रा में लाभ प्राप्त करते हैं।
  • इस लाभ को धन शोधन के द्वारा अवैध संपत्ति में बदल देने के बाद अपराधियों के पकड़े जाने का खतरा समाप्त हो जाता है। ऐसे में नए-नए अपराध को अंजाम दिया जाता है।

भारत में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 :

  • धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) को 2002 में पारित किया गया था। उसके बाद 1 जुलाई 2005 में इस अधिनियम को लागू कर दिया गया।
  • PMLA – 2002 को, भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता (वियना कन्वेंशन) की अनुक्रिया में, धन शोधन की समस्या का मुकाबला करने के लिए अधिनियमित किया गया था।
  • भारत में धन शोधन कानून, 2002 में अधिनियमित किया गया था, लेकिन इसमें 3 बार संशोधन (2005, 2009 और 2012) किया जा चुका है। वर्ष 2012 में इसमें हुए आखिरी संशोधन को जनवरी 3, 2013 को राष्ट्रपति की अनुमति मिली थी और यह कानून 15 फरवरी 2013 से पूरे भारत लागू हो गया था।  
  • पीएमएलए (संशोधन) अधिनियम, 2012 ने अपराधों की सूची में धन को छुपाना (concealment), अधिग्रहण (acquisition) कब्ज़ा (possession) और धन का आपराधिक कामों में उपयोग करना (use of proceeds of crime) इत्यादि को शामिल किया गया है। 
  • PMLA, 2002 में आरबीआई, सेबी और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) को पीएमएलए के तहत लाया गया है और इसलिए इस अधिनियम के तहत के सभी प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
  • PMLA – 2002 के अनुसार “कोई भी व्यक्ति या संस्था, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होने का प्रयास करता है या जानबूझकर सहायता करता है या जानबूझकर एक पार्टी है या वास्तव में अपराध की आय से जुड़ी किसी भी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल है, जिसमें इसे छिपाना, अपने पास रखने, अधिग्रहण या उपयोग करने और इसे बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करता है या बेदाग संपत्ति के रूप में दावा करता है, तो वह मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का दोषी माना जायेगा”।
  • इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है। इसका मकसद आर्थिक अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे मिली संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दूसरे अपराधों पर अंकुश लगाना है। इस एक्ट के अंतर्गत अपराधों की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय की है।
  • PMLA के तहत दंड का प्रावधान: है। PMLA के तहत, मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के माध्यम से कमाई गई संपत्ति को जब्त किया जाता है। इसके तहत कम से कम 3 वर्ष से 7 वर्ष तक कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है।

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)  : 

 

  • भारत में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की स्थापना वर्ष 1 अप्रैल 1963 में हुई थी।
  • केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो भारत सरकार की एक प्रमुख जाँच एजेन्सी है। 
  • इसकी स्थापना भारत में आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिए  किया गया  है। 
  • यह भारत में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (Delhi Special Police Establishment- DSPE) अधिनियम द्वारा शासित है।
  • इसकी स्थापना भ्रष्टाचार निवारण पर संथानम समिति (1962-1964) के सुझावों पर की गई थी।
  • वर्तमान में CBI भारत सरकार के कार्मिक विभाग, कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय के अधीन कार्य करती है।

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)  का प्रमुख कार्य :

  • भारत में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का मुख्य कार्य भारतीय अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, निगमों और भारत सरकार के स्वामित्त्व या नियंत्रण वाले निकायों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों के भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी तथा दुर्व्यवहार के मामलों की जाँच करना है।
  • भारत में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो का एक मुख्य कार्य राजकोषीय और आर्थिक कानूनों के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जाँच करना, अर्थात् निर्यात एवं आयात नियंत्रण, सीमा शुल्क तथा केंद्रीय उत्पाद शुल्क, आयकर विदेशी मुद्रा नियमों से संबंधित कानूनों का उल्लंघन से संबंधित मामलों की भी जाँच करना है। उदाहरण के लिए – बैंक से संबंधित धोखाधड़ी. विदेशी मुद्रा उल्लंघन से संबंधित मामले, नकली भारतीय करेंसी नोट और भारत में आयात – निर्यात आदि से संबंधित मामले।

 

प्रवर्तन निदेशालय : 

 

  • भारत में केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना सन 1956 में  किया गया था। 
  • यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेन्सी है जिसका मुख्यालय नयी दिल्ली में स्थित है। 
  • प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख कार्यों में; फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित मामलों, “हवाला” लेन देनों और विदेशी विनिमय नियमों का उल्लंघन और फेमा के तहत अन्य प्रकार के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करना शामिल है।
  • प्रवर्तन निदेशालय एक बहु-अनुशासनिक संगठन है जो धन शोधन के अपराध और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए बनाई गई संस्था है।
  • भारत में धन शोधन पहले विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1973 के नियमों के तहत कार्यवाही करता था लेकिन बाद में इसे फेरा को फेमा के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया था।

प्रवर्तन निदेशालय का प्रमुख कार्य : 

 

 

प्रवर्तन निदेशालय का प्रमुख कार्य निम्नलिखित है – 

भारत में प्रवर्तन निदेशालय  फेमा के प्रावधानों के तहत संदिग्ध मामलों के उल्लंघन से संबंधित मामलों की जांच करता है। भारत में संदिग्ध मामलों के उल्लंघन से संबंधित मामलों में निम्नलिखित मामलों को शामिल किया गया है – 

  1. निर्यात मूल्य को अधिक आंकना और आयात मूल्य को कम आंकना।
  2. हवाला के तहत किया गया लेनदेन।
  3. भारत के बहार विदेशों में संपत्ति को खरीदना।
  4. विदेशी मुद्रा का भारी मात्रा में अवैध रूप करना से संग्रह करना।
  5. विदेशी मुद्रा का अवैध रूप से व्यापार करना।
  6. विदेशी विनिमय नियमों का उल्लंघन और फेमा के तहत अन्य प्रकार के उल्लंघन से संबंधित मामला।
  • भारत में प्रवर्तन निदेशालय  सबसे पहले फेमा के 1999 के कानूनों के तहत उल्लंघन  किए जाने वाले मामले के संबंध में  खुफिया जानकारी एकत्र करता है, और फिर उसे भारत में उस मामले से संबंधित एजेंसियों के साथ उसे साझा करता है। भारत में प्रवर्तन निदेशालय को केंद्र और उस राज्य से संबंधित की खुफिया एजेंसियों के माध्यम से  शिकायतों आदि से खुफिया और गुप्त जानकारी प्राप्त होती है।
  • भारत में प्रवर्तन निदेशालय के पास फेमा के उल्लंघन के दोषी पाए गए दोषियों की संपत्ति को कुर्की करने या जब्त करने का अधिकार है।
  • धन शोधन अधिनियम [धारा 2 (1) (D)] के अध्याय III के तहत “संपत्ति की कुर्की” का अर्थ है – संपत्ति की  जब्ती, संपत्ति का अन्य व्यक्ति को हस्तांतरण करना या रूपांतरण करना और उक्त संपति को बेचने पर रोक लगाना शामिल है।
  • धन शोधन अधिनियम के तहत इस नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ; खोज, जब्ती, गिरफ्तारी, और अभियोजन की कार्रवाई आदि करना भी शामिल है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के अंतर्गत धन शोधन के अपराधी के हस्तांतरण के लिए संबंधित राज्यों से कानूनी रूप से प्रत्यार्पण करवाना और इसके अलावा अपराधियों के हस्तांतरण से संबंधित कार्यवाही पूरी करना शामिल है।
  • भारत में प्रवर्तन निदेशालय को भारत में पूर्व के FERA कानून 1973 और उसके बाद FEMA, 1999 के उल्लंघन के मामलों को निपटाने और निपटान कार्यवाही के समापन पर लगाए गए दंड का निर्णय करने का अधिकार प्राप्त है।
  • इस प्रकार प्रवर्तन निदेशालय  की स्थापना के मुख्य उद्येश्यों में शामिल है कि देश में मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना जिसमें उनकी संपत्ति जब्त करना शामिल है। 

निष्कर्ष / समाधान की राह : 

 

 

 

  • भारत में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करना भारतीय लोकतंत्र और भारत के सघवादी स्वरुप के संदर्भ में सवाल खड़ा करती है। 
  • वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा के आम चुनाव से ठीक पहले विपक्ष के एक प्रमुख नेता और भारत के एक राज्य के एक पदासीन मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी को भारत में केन्द्रीय स्तर पर सत्तारूढ़ सरकार द्वारा अपने मुख्य विपक्षी राजनीतिक दल को परेशान करने के रूप में भी देखा जा रहा है । 
  • वर्तमान समय में केजरीवाल अब खुद ही उस तर्क में फंस गए  हैं, जिसे उन्होंने  अन्ना आंदोलन के समय भारत की आम जनता के बीच लोकप्रिय बनाया था । लेकिन गलत के साथ गलत,कभी भी  सही नहीं होता है।
  • भारत के विभिन्न राज्यों द्वारा केंद्र में सत्तासीन सरकार द्वारा अपने राजनीतिक विरोधियों द्वारा शासित राज्यों के खिलाफ केन्द्रीय जाँच एजेंसियों का दुरुपयोग करने, विपक्षी राजनीतिक दलों को डराने या  पक्षपाती होने का आरोप लगाया जाता रहा है। ऐसी परिस्थिति में केन्द्रीय जाँच एजेंसियों को भी निष्पक्ष, स्वतंत्र और तटस्थ रहने की जरूरत है और भारत के संविधान द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र के तहत प्राप्त शक्तियों को बिना किसी पक्षपात एवं निष्पक्ष रूप से क्रियान्वित करने की जरूरत है ताकि भविष्य में भारत में केंद्र – राज्य संबंधों के बीच गतिरोध की स्थिति उत्पन्न नहीं हो।  

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. धन शोधन निवारण अधिनियम  2002 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1. भारत में सबसे पहले धन शोधन निवारण अधिनियम को 2002 में पारित किया गया था। जिसे 1 जुलाई 2005 से पूरे भारत में लागू कर दिया गया था।
  2.  मनी लॉन्ड्रिंग का तात्पर्य अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वैध तरीके से कमाए गए धन के रूप में दिखाने से होता है।
  3. भारत में PMLA, 2002 के तहत आरबीआई, सेबी और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) को भी शामिल किया गया है। अतः इस अधिनियम के सभी प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
  4. PMLA 2002 के तहत, मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के माध्यम से कमाई गई संपत्ति को जब्त किया जाता है और इसमें कम से कम 3 वर्ष से 7 वर्ष तक कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?

(A). केवल 1, 2 और 3 

(B). केवल 2, 3 और 4 

(C ). इनमें से कोई नहीं। 

(D). इनमे से सभी।

 

उत्तर – (D) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1.मनी लॉन्ड्रिंग से आप क्या समझते है ? यह चर्चा कीजिए कि भारत में धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रमुख प्रावधानों के तहत प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष क्या – क्या चुनौतियाँ है एवं इसका क्या समाधान  है ?

 

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