धुंध उत्सर्जक : पराली दहन, वाहन व निर्माण गतिविधियाँं 

धुंध उत्सर्जक : पराली दहन, वाहन व निर्माण गतिविधियाँं 

धुंध उत्सर्जक : पराली दहन, वाहन व निर्माण गतिविधियाँं 

संदर्भ- दिल्ली में बढ़ती धुंध के कारण बीएस6 मानदण्डों का पालन न करने वाले ट्रकों, वाहनों व निर्माण गतिविधियों में प्रयोग होने वाले उपकरणों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली में धुंध के एक कारण पराली दहन पर कार्यवाही करेगा।

दिल्ली में धुंध के कारण-

  • पराली दहन
  • मौसम 
  • डीजल युक्त वाहन व अन्य वाहन
  • उद्योगों का धुंआ
  • पटाखे आदि

दिल्ली की धुंध और पराली

  • नवम्बर माह में दिल्ली की हवा में जलने से निकलने वाले धुएं में पीएम 2.5 के कण पाए गए हैं। जो वर्तमान में दिल्ली की धुंध में 30-40% की भागीदारी निभाते हैं। जो दिल्ली में धुंध के कारण का एकमात्र सबसे बड़ा स्रोत है।
  • वर्ष के किसी भी समय ज्वलनशील पदार्थों द्वारा पीएम 2.5 की मात्रा दिल्ली की हवा में इतनी अधिक मात्रा में नहीं होती, जितनी नवम्बर व दिसंबर माह में होती है। इसलिए नवम्बर में दिल्ली की हवा की गुणवत्ता अत्यधिक खराब होने का कारण पराली दहन के साथ साथ इस समय का मौसम भी है।
  • मौसम- गर्म हवा सतह से ऊपर उठती है और प्रदूषकों को अपने साथ ले जाती है। प्रदूषण फैलाने वाले कणों को बिखरने से पहले सतह से 2-3 किमी ऊपर या उससे भी ऊपर उठ जाते हैं। अक्टूबर – नवम्बर माह में हवा इतनी गर्म नहीं होती कि कणों को उपर उठा सके। जिससे प्रदूषक वातावरण के नीचले स्तर पर ही एकत्र हो जाते हैं। मौसम एक ऐसा कारक है जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता लेकिन धुंध अन्य कारकों को कम करने के प्रयास किए जा सकते है।

कृषि अपशिष्ट या पराली जलाने का कारण

  • पराली धान की फसल की कटाई के बाद का अवशेष है। पंजाब व हरियाणा में अन्य राज्यों की तुलना में अधिक पराली जलाई जाती है। 10 साल पहले फसल जलाने की समस्या इतनी जटिल नहीं थी।
  • पिछली फसल को जड़ से उखाड़ने की प्रक्रिया अधिक जटिल व समय लेने वाली होती है।
  • कम समय में नई फसल की तैयारी करना बड़े किसानों के लिए मुश्किल हो जाता है जिससे पराली जलाने के अतिरिक्त सुगम व सरल माध्यम किसानों को प्राप्त नहीं होता है।

पराली के प्रबंधन के उपाय

  • फसल चक्र को बदलने के सुझाव 
  • फसल की कटाई के लिए यंत्री कृत उपकरणों का उपयोग
  • कृषि अपशिष्ट को ऊर्जा के लिए प्रयोग करना।
  • उपकरणों का उचित रूप से प्रयोग मे न आना, पराली जलाने का एक मुख्य कारण हैै।

निर्माण यंत्रों व डीजल आधारित यंत्रों के उपकरण-

  • निर्माण कार्यों का पीएम 2.5 के उत्सर्जन में  कारण न्यूमतम योगदान है। इन गतिविधियों से निकलने वाले कण अपेक्षाकृत बड़े होते हैं। इसलिए निर्माण गतिविधियों को कम करने से दिल्ली की धुंध में कोई विशेष सुधार होने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
  • डीजल वाहन ट्रक, पीएम 2.5 के उत्सर्जन कर्ता होते हैं इनकी आवाजाही में रोक से पीएम 2.5 के उत्सर्जन में कुछ कमी अवश्य की जा सकती है।

 आगे की राह-

  • दिल्ली में प्रतिवर्ष की समस्या से निजात पाने के लिए इसे केवल धुंध होने पर नहीं बल्कि वर्ष भर इसे कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
  • स्थानीय व क्षेत्रीय प्रदूषकों की पहचान व उन्हें कम करने की रणनीति की आवश्यकता है। 
  • प्रदूषक उत्सर्जकों के स्थान पर अन्य समाधानों की खोज करने के लिए वैज्ञानिकों व अभियंताओं को प्रेरित करना।

स्रोत

https://bit.ly/3fGG5XU (इण्डियन एक्सप्रैस)

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 7th November

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