नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र NDIAC

नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र NDIAC

नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र NDIAC

संदर्भ-  हाल ही में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता को उनके सेवानिवृत्ति के दो महीने बाद ही अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने न्यायमूर्ति की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी।

शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में 4 साल के कार्यकाल के बाद कैबिनेट की समिति ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की नियुक्ति को मंजूरी दी। न्यायमूर्ति गुप्ता ने कर्नाटक हिजाब मामले जैसे कई केसों पर महत्वपूर्ण निर्णय दिए।

नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 2019 

प्रस्तुत विधेयक मध्यस्थता के मुद्दों को सुलझाने के लिए नई दिल्ली मध्यस्थता केंद्र के गठन की स्थापना का प्रावधान करता है।  विधेयक में मध्यस्थता केंद्र को राष्ट्रीय महत्व का संगठन घोषित किया गया है।

मध्यस्थता केंद्र के लाभ

  • देश को उच्च कोटि के विशेषज्ञ प्राप्त होंगे।
  • इससे भारत अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मध्यस्थता केंद्र बनेगा।
  • विवादों का निपटारा देश के हित में होने की सम्भावना बढ़ जाएगी।

NDIAC की संरचना- विधेयक के तहत NDIAC में 7 सदस्य शामिल होंगे-

  1. सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या मध्यस्थता के संचालन व प्रशासन का विशेष ज्ञान रखने वाला आधिकारिक व्यक्ति।) 
  2. संस्थागत मध्यस्थता में विशेष ज्ञान या अनुभव हो
  3. तीन पदेन सदस्य जिनमें वित्त मंत्रालय से एक नामित व एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी
  4. वाणिज्य व उद्योग के किसी मान्यता प्राप्त निकाय से एक प्रतिनिधि जिसे रोटेशनल आधार पर अंश कालिक आधार पर नियुक्त किया हो।

नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र NDIAC के उद्देश्य व कार्य

  • अंतर्राष्ट्रीय घरेलू मध्यस्थता के लिए प्रमुख संस्थान के रूप में योजनाबद्ध सुधार कर विकसित करना। 
  • मध्यस्थता व पंचायती क्रियाओं के लिए सुविधा प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पंचों, मध्यस्थों, विशेषज्ञों का पैनल बनाकर रखना।
  • घरेलू व अतर्राष्ट्रीय स्तर पर मध्यस्थता के लिए समय पर सस्ती सेवाएं प्रदान करना।
  • राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के समुदाय, संगठन व संस्थाओं से सहयोग प्राप्त करना।

नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र ICADR 

  • 4 दिसंबर 1993 को ICADR की आवश्यकता पर राज्यों के मुख्यमंत्रियों व न्यायाधीशों ने सहमति व्यक्त की।
  • न्याय प्रणाली न्याय व्यवस्था का बोझ उठाने के लिए तैयार नहीं थी, ICADR के माध्यम से मध्यस्थता व आपसी सहमति, विवाद के मामलों को निपटाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
  • इसके अंतर्गत मध्यस्थता व सुलह अधिनियम को 22 अगस्त 1996 को लागू किया गया।
  • यह अधिनियम, अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता और UNCITRAL सुलह नियमों पर UNCITRAL मॉडल कानून के आधार पर तथा वैज्ञानिक आधार पर भारत में वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के लिए था।

ICADR का कार्यक्षेत्र व सेवाएं- इसके द्वारा वाणिज्यिक, नागरिक, श्रम, पारिवारिक विवाद जैसे क्षेत्र जहां समझौता हो सकता है, ICADR द्वारा सुलझाए जाते थे। सभी मामलों को पेशेवर तरीके से सुलझाने के लिए संस्था का गठन किया गया था।

सेवाएं-

  • नियमों के तहत प्रक्रियाओं के लिए सेवाएं
  • रजिस्ट्री के रूप में सेवाएं
  • नियुक्ति प्राधिकारी के रूप में सेवाएं
  • प्रशासनिक समझौतों  से संबंधी सेवाए

ICADR और NDIAC- 

  • NDIAC को एक कॉरपोरेट के रूप में स्थापित किया गया है, जो ICADR व ICA से अलग है।
  • NDIAC सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत है।
  • ICADR की गवर्निंग काउंसिलिंग में 47 सदस्य होते हैं, जो ICADR के प्रबंधन को संभालते हैं। गवर्निंग काउंसिल के बीच सदस्यों की कमी के कारण ICADR जैसे संस्थानों के निर्णय लेने की प्रक्रिया में देरी होती है। NDIAC में 7 सदस्यों को शामिल किया गया है जिससे कोई भी मामला अधिक समय तक लंबित न हो।

स्रोत

https://prsindia.org/billtrack/the-new-delhi-international-arbitration-centre-bill-2019

https://icadr.telangana.gov.in/SubMenu/AreasOfWork#

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