नमामि गंगे, नदी संरक्षण अभियान

नमामि गंगे, नदी संरक्षण अभियान

नमामि गंगे, नदी संरक्षण अभियान

संदर्भ- हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने यूनिवर्सिटी कनेक्ट कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में जल संरक्षण व नदी बहाली के बारे में जागरुकता के लिए 49 विश्वविद्यालयों के साथ एक समझौता किया गया। 

यूनिवर्सिटी कनेक्ट कार्यक्रम के उद्देश्य- विश्वविद्यालयों के छात्रों को एक स्थान विशेष चुनने के लिए प्रेरित किया गया जिसकी वे देखभाल कर सकें। छात्रों को देश के जलमार्गों को जीवित रखने के लिए सार्वजनिक आंदोलन का निर्माण करना। इस कार्यक्रम की थीम इग्नाइटिंग यंग माइंड्स, रिजुविनेटिंग रिवर रखी गई है। कार्यक्रम की थीम नमामि गंगे मिशन से प्रेरित होकर रखी गई है।

 कार्यक्रम के लक्ष्य 

  • सक्रिय जनभागीदारी
  • ज्ञान आधारित अल्पकालिक कार्यक्रमों के विकास, 
  • प्रशिक्षण सत्रों और जल क्षेत्र पर अतिरिक्त अध्ययन को प्रोत्साहन।  

गंगा के साथ भारत की नदियों में प्रदूषण के कारक

देश की प्रमुख नदियाँ, जो कई शहरों को अपने तट पर बसाए हुए हैं, वर्षों से प्रदूषित हैं। गंगा नदी देश की 40% जनसंख्या को पानी प्रदान करती है, जो 11 राज्यों का प्राण कही जा सकती है। गंगा के साथ भारत की सभी नदियों में प्रदूषण के निम्नलिखित कारक हैं, जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।

अशोधित सीवेज भारत में अशोधित सीवेज की समस्याएं आज भी बनी हुई है। शहरो व महानगरों में अशोधित सीवेज को नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता है, जिसके कारण नदियाँ अत्यधिक प्रदूषित हैं।

औद्योगिक निक्षेप –  भारत में उद्योगों के निक्षेप जैसे रबर, प्लास्टिक, लुगदी, चीनी आदि युक्त कचरा नदियों में प्रवाहित किया जाता है। केवल गंगा में प्रवाहित कुल अपशिष्ट में औद्योगिक निक्षेप का योगदान 20% का है। भारत में दिन प्रतिदिन बढ़ रही उद्योगों की संख्या नदियों को और अधिक प्रदूषित करने का कारक हो सकती है।

कृषि व पशुधन अपशिष्ट – कृषि में प्रयुक्त विभिन्न कीटनाशकों व उर्वरकों का प्रयोग अपशिष्ट के रूप में पानी के साथ नदियों में प्रवाहित हो जाता है। जो नदियों को प्रदूषित करने का कार्य करता है। इसके साथ पशुपालकों द्वारा पशुओं की मृत्यु हो जाने पर उन्हें नदी में प्रवाहित करने के प्रचलन के कारण भी नदी प्रदूषित हो जाती है। 

नमामि गंगे मिशन

  • नमामि गंगे मिशन, गंगा नदी के संरक्षण के लिए एक एकीकृ मिशन है। जिसे 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरु किया था। 
  • इस कार्यक्रम के तहत नदी में प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन, राष्ट्रीय संरक्षण व नदी के कायाकल्प को निर्देशित किया गया था। 
  • यह मिशन स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन NMCG और संबंधित राज्य संगठनों व राज्य प्रबंधन कार्यांवयन समूहों द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।

स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन NMCG

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को एक सोसायटी के रूप में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत 2011 में पंजीकृत किया गया था। यह संगठन राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन अधिनियनम NGBRA के अंतर्गत गठित किया गया था। इसके अंतर्गत 7 अक्टूबर 2016 को गंगा राष्ट्रीय पुनरुद्धार संरक्षण व प्रबंधन हेतु गंगा परिषद के गठन के साथ NGBRA का विघटन हो गया। 

  • राष्ट्रीय गंगा परिषद
  • कृतक बल (ईटीएफ)
  • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन
  • राज्य गंगा समितियाँ
  • राज्यों में गंगा समितियाँ 
  • गंगा व उसकी सहायक नदियों के विशिष्ट जिले में गंगा समितियाँ

राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन कार्यक्रम- गंगा की सफाई व संरक्षण की पहली परियोजना है। इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में गंगा की सफाई व संरक्षण के लिए NGBRA संस्थाओं में क्षमता निर्माण।
  • गंगा के प्रत्यक्ष प्रदूषण वाले स्रोतों को कम करना।
  • गंगा में प्रदूषित जल के विसर्जन पर प्रतिबंध। 

 नमामि गंगे कार्यक्रम के प्रमुख स्तंभ-

सीवरेज उपचार अवसंरचना-  सीवरेज उपचार संयंत्रों द्वारा जल को संशोधित कर उसके पुनः प्रयोग पर जोर देगा। इससे जल संरक्षण व नदियों का प्रदूषण से बचाव दोनों हो सकेगा।

रिवर फ्रंट डेवलेपमेंट- नदियों के तट (जिन्हें घाट कहा जाता है) केवल नदियों के विकास के लिए ही विकसित किए जा सकते हैं, तथा नदियों के तटों पर शहरीकरण को कम किया जा सकता है।

नदी सतह की सफाई-  वर्तमान में नदी सतह की सफाई के लिए ट्रैश स्कीमर संयंत्रों का प्रयोग किया जा रहा है।

जैव विविधता – जैव विविधता के संरक्षण के लिए विभिन्न पारिस्थितिकी की सुरक्षा पर जोर दिया जाना है जैसे-  गोल्डन महासीर, डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुए, ऊदबिलाव जैसे जीवों का संरक्षण।

वनीकरण- नदियों के तटों को कटाव से सुरक्षित रखने के लिए नदियों के तटों में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।

जनजागरण – जनजागृति की कमी समस्या का एक कारण हो सकती है, अतः नदियों में प्रदूषण का कारण बन रहे लोगों का चुनाव कर उनकी मन-श्थइत के अनुकूल जनजागरण किया जा सकता है। 

औद्योगिक प्रवाह निगरानी- औद्योगिक अपशिष्ट को कम करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ साथ उद्योगपतियों पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए कि वे औद्योगिक निक्षेप का प्रबंधन के लिए प्रयास करे अथवा सरकार के प्रयासों को लागू करे।

गंगा ग्राम- गंगा के तट पर स्थित ग्रामों को विकसित कर ओडीएफ बनाया जाएगा ताकि नदियों में उनके द्वारा सीवेज न हो, इसके साथ ही इन गांवों में अथवा गंगा नदी के किनारे कचरे का प्रबंधन, शमशान घाट का निर्माण आदि प्रबंधन किए जाएंगे।

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