नागरिक संशोधन कानून 2019

नागरिक संशोधन कानून 2019

स्त्रोत- द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन – भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था , नागरिकता , संघ सूची , राज्य सूची , समवर्ती सूची , केंद्र – राज्य संबंध , अनुच्छेद 14, भारत में नागरिकता के लिए प्रावधान।

ख़बरों में क्यों ? 

 

 

  • हाल ही में 11 मार्च 2024 को भारत के केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) 2019 को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई है ।
  • इस अधिसूचना के जारी होने से अब यह नागरिकता संशोधन कानून 2019 पूरे देश में लागू हो जायेगा।
  • नागरिकता संशोधन विधेयक 9 दिसंबर 2019 को लोकसभा में पेश  किया गया था और 9 दिसंबर 2019 को ही यह विधेयक लोकसभा में  पारित हो गया था। 11 दिसंबर 2019 को यह विधेयक राज्यसभा से पारित हुआ था।
  • नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करने के लिए नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019  12 दिसंबर, 2019 को भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस कानून को अपनी सहमति प्रदान कर दिया था, लेकिन इस, कानून को अब तक अधिसूचित नहीं किया गया था।
  • नागरिकता संशोधन कानून 2019 के द्वारा भारत के पडोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित धार्मिक अल्पसंख्यकों को अब भारतीय नागरिकता लेने में आसानी होगी। 
  • वैश्विक महामारी कोरोना के कारण नागरिकता संशोधन कानून 2019 को भारत में लागू करने में देरी हुई थी, लेकिन अब इसे केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित करके लागू कर दिया गया है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 का प्रमुख प्रावधान : 

 

  • यह अधिनियम अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के छह धार्मिक समुदायों यानी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई के अवैध विदेशी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिए पात्र बनाता है।
  • यह कानून उन लोगों पर लागू होता है जिन्होंने भारत के पडोसी इन देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण ली है या धार्मिक आधार पर हुए उत्पीड़न के कारण भारत में शरणार्थी के रूप में आ गए थे। 
  • नागरिकता संशोधन कानून 2019 के केवल वही शरणार्थी जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं, भारत की नागरिकता के लिए पात्र हैं।
  • नागरिकता प्राप्त करने के बाद, ऐसे प्रवासियों को भारत में उनके प्रवेश की तारीख से भारतीय नागरिक माना जाएगा और अवैध प्रवासी के रूप में उनकी स्थिति या उनकी नागरिकता के संबंध में सभी कानूनी कार्यवाहियों को  बंद कर दिया जायेगा।
  • इन अवैध प्रवासियों को प्राकृतिकीकरण प्रक्रिया के माध्यम से भारतीय नागरिकता मिलेगी। प्राकृतिकीकरण प्रक्रिया के तहत एक निश्चित श्रेणी के विदेशी नागरिक को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से पहले भारत में कम से कम 11 साल रहना पड़ता है। 
  • नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत भारत में निवास की आवश्यक अवधि 11 वर्षों को घटाकर अब मात्र 5 वर्ष कर दिया गया है।
  • केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता कानून को सही ठहराने के लिए संसद में कुछ मौकों पर नेहरू-लियाकत समझौते का जिक्र किया था ।

नागरिकता संशोधन कानून 2019 कहाँ – कहाँ लागू नहीं होगा :

  • भारत के संविधान की छठी अनुसूची में शामिल राज्य असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में यह नागरिकता संशोधन कानून 2019 लागू नहीं होगा।
  • नागरिकता संशोधन कानून 2019  उन क्षेत्रों में भी लागू नहीं है जहां ‘इनर लाइन परमिट’ लागू है जिसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर राज्य शामिल हैं।

नागरिकता संशोधन कानून 2019 के विवादास्पद होने का मुख्य कारण : 

  • नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 का भारत में विवादास्पद कानून होने का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि इस कानून के तहत भारत में पहली बार धर्म के आधार पर नागरिकता प्रदान की जा रही है या दी जाएगी।
  • भारत में कानून के विशेषज्ञों का इस कानून के विपक्ष में एक तर्क यह है कि इस कानून से  भारत के संविधान की प्रस्तावना / उद्देशिका में वर्णित भारत का राज्य के रूप में एक धर्मनिरपेक्ष चरित्र वाला देश के खिलाफ है और यह मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है।
  • कानून के कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है इसे 2024 के लोकसभा के चुनाव से ठीक पहले पूरे देश में लागू करने के पीछे देश में वोटों का ध्रुवीकरण करने के बीजेपी के एजेंडे के रूप में  भी देखा जा रहा है।

भारत के गृह मंत्रालय द्वारा नागरिकता कानून के पक्ष में दिए जाने वाला तर्क : 

 

  • भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं :  CAA भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं होता है। इसलिये यह किसी भी तरह से किसी भी भारतीय नागरिक के अधिकार को समाप्त या कम नहीं करता है। 
  • भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की कानूनी प्रक्रिया अपरिवर्तित रहती है
  • इसके अलावा नागरिकता अधिनियम, 1955 में प्रदान की गई किसी भी श्रेणी के किसी विदेशी द्वारा भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की वर्तमान कानूनी प्रक्रिया परिचालन में है और CAA इस कानूनी स्थिति में किसी भी तरह से संशोधन या परिवर्तन नहीं करता है। 
  • अत: किसी भी देश के किसी भी धर्म के कानूनी प्रवासियों के पंजीकरण या देशीयकरण के लिए कानून में पहले से प्रदान की गई पात्रता शर्तों को पूरा करने के बाद ही भारतीय नागरिकता प्राप्त की जा सकेगी। 
  • पूर्वोत्तर भारत से संबंधित मुद्दों को सुलझाना : वार्षिक रिपोर्ट में एक बार फिर पूर्वोत्तर में कानून को लेकर आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया गया है जिसमें कहा गया है कि संविधान की छठी अनुसूची के तहत क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट शासन के तहत आने वाले क्षेत्रों को शामिल करने से क्षेत्र की स्वदेशी और आदिवासी आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। 

भारत में नागरिकता कानून : 

  • भारतीय संविधान में किसी भी विषय पर कानून बनाने के लिए तीन  प्रकार की सूचियों का वर्णन किया गया है| ये सूचियाँ निम्नलिखित है –  संघ सूची , राज्य सूची और समवर्ती सूची।
  • भारत के संविधान के अनुसार नागरिकता के संदर्भ में किसी भी प्रकार का संविधान संशोधन करना या किसी भी प्रकार का कानून बनाने का अधिकार संघ सूची के अंतर्गत आता है|
  • अतः भारतीय संविधान के अनुच्छेद 11 के अनुसार, भारत के संसद को नागरिकता पर कानून बनाने की शक्ति है। इस शक्ति का प्रयोग करते हुए भारत की संसद ने नागरिकता अधिनियम 1955 पारित किया था। 
  • अतः यह कानून भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण और समाप्ति के संबंध में प्रावधान करता है| नागरिकता संशोधन कानून 2019 से अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई अवैध प्रवासियों को नागरिकता के लिए पात्र बनाने के लिए नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन किया गया है। 

भारत की नागरिकता से संबंधित नागरिकता संशोधन कानून 2019 में जोड़ा गया नया प्रावधान :  

 

  • नागरिकता संशोधन कानून 2019 में देशीयकरण द्वारा भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। 
  • इस कानून के तहत आवेदक को पिछले 12 महीनों के दौरान और पिछले 14 वर्षों में से आखिरी साल 11 महीने भारत में रहना अत्यंत अनिवार्य है। इस कानून में छह धर्मों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) और तीन देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान) से संबंधित व्यक्तियों के लिए 11 वर्ष की जगह 5 वर्ष तक का समय है।
  • इस कानून में यह भी प्रावधान है कि यदि किसी नियम का उल्लंघन किया जाता है तो ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्डधारकों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की विधि : 

भारतीय संविधान के भाग-II में अनुच्छेद 5 से लेकर अनुच्छेद 11 तक भारत की नागरिकता से संबंधित  उपबंध किए गए हैं। भारत की नागरिकता के संबंध में भारत में नागरिकता अधिनियम 1955 लागू किया गया था। जिसमें समय – समय पर संविधान संशोधन किया गया है

भारत में नागरिकता अधिनियम, 1955 द्वारा भारत की नागरिकता निम्न विधियों और शर्तों द्वारा प्राप्त किया जाता है – 

  1. जन्म के आधार पर,
  2. वंशक्रम के आधार पर,
  3. पंजीकरण के आधार पर,
  4. देशीयकरण के आधार पर,
  5. क्षेत्र समाविष्ट के आधार पर,

भारत की नागरिकता की समाप्ति का आधार : 

भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार किसी भी व्यक्ति को भारत की नागरिकता से निम्नलिखित तीन स्थितियों के आधार पर वंचित किया जा सकता है – 

  1. स्वैच्छिक त्याग द्वारा,
  2. बर्खास्तगी द्वारा,
  3. वंचन के आधार पर

भारत में नागरिकता का स्वरूप : 

  • भारतीय संविधान के अनुसार भारत में शासन का स्वरुप संघीय है लेकिन भारत में केंद्र एवं राज्य संबंधों के तहत इसमें  दोहरी शासन पद्धति  को अपनाया गया है।
  • भारत में केवल एकल नागरिकता अर्थात भारतीय नागरिकता की व्यवस्था की गई है। अतः भारत में  राज्यों के लिए कोई पृथक नागरिकता की व्यवस्था नहीं किया गया है। 
  • भारत के बाहर अन्य संघीय राज्यों, जैसे-अमेरिका एवं स्विट्ज़रलैंड में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था को अपनाया गया है।
  • दोहरी नागरिकता की व्यवस्था भेदभाव की समस्या पैदा कर सकती है। यह भेदभाव मताधिकार, सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति, व्यवसाय आदि को लेकर हो सकता है। 
  • वर्तमान में तमिल शरणार्थियों के लिए  दोहरी नागरिकता की मांग की जा रही है, लेकिन  चूँकि भारत में दोहरी नागरिकता की अवधारणा का कोई संवैधानिक आधार नहीं है। इसीलिए वर्ष 2000 में गठित एल.एम.सिंघवी समिति की सिफारिश पर आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने के लिए  भारतीय मूल के व्यक्तियों को दोहरी नागरिकता प्रदान करने का उपबंध किया गया था ।
  • एल.एम.सिंघवी समिति की अनुशंसाओं पर विचार करते हुए तत्कालीन भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2003 में ‘ विदेशी भारतीय नागरिकता (Overseas Citizens of India-OCI)’ का प्रावधान किया। इसे दोहरी नागरिकता के सीमित संस्करण के रूप में भी देखा गया है।
  • विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत अवैध प्रवासियों को कैद या निर्वासित किया जा सकता है। 1946 और 1920 अधिनियम केंद्र सरकार को भारत के भीतर विदेशियों के प्रवेश, निकास और निवास को विनियमित करने का अधिकार देते हैं। 2015 और 2016 में, केंद्र सरकार ने अवैध प्रवासियों के कुछ समूहों को 1946 और 1920 अधिनियमों के प्रावधानों से छूट देते हुए दो अधिसूचनाएं जारी की थीं। ये समूह अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई हैं, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे। इसका अर्थ यह है कि अवैध प्रवासियों के इन समूहों को निर्वासित नहीं किया जाएगा। 

शरणार्थी और प्रवासी नागरिक में मुख्य अंतर : 

 

  • शरणार्थी अपने देश में उत्पीड़न अथवा उत्पीड़ित होने के भय के कारण वहाँ से भागने को मज़बूर होते हैं। जबकि प्रवासी का अपने देश से पलायन विभिन्न कारणों जैसे-रोज़गार, परिवार, शिक्षा आदि के कारण भी हो सकता है किंतु इसमें उत्पीड़न शामिल नहीं है। इसके अतिरिक्त प्रवासी (चाहे अपने देश में हो अथवा अन्य देश में) को उसके स्वयं के देश द्वारा विभिन्न प्रकार के संरक्षण का लाभ प्राप्त होता रहता है।
  • वर्ष 2019 में पारित नागरिकता संशोधन कानून से श्रीलंकाई शरणार्थियों को बाहर रखने तथा कुछ राजनीतिक दलों द्वारा उन्हें दोहरी नागरिकता देने संबंधी मांग ने एक बार फिर यह मुद्दा चर्चा के केंद्र में ला दिया है, अतः ऐसी स्थिति में भारतीय नागरिकता संबंधी प्रावधानों पर विमर्श करना अति आवश्यक हो जाता है।

नेहरू – लियाकत  समझौता :

  • यह भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों के संबंध में एक समझौता था जिस पर 1950 में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू और लियाकत अली खान के बीच दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए थे।
  • इस तरह के समझौते की आवश्यकता विभाजन के बाद दोनों देशों में अल्पसंख्यकों द्वारा महसूस की गई थी, जिसके साथ बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे।
  • 1950 में, कुछ अनुमानों के अनुसार, 1950 के पूर्वी पाकिस्तान दंगों और नोआखली दंगों जैसे सांप्रदायिक तनाव और दंगों के बीच, दस लाख से अधिक हिंदू और मुस्लिम पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) से चले गए।

नेहरू-लियाकत समझौता का प्रमुख प्रावधान : 

  • शरणार्थियों को अपनी संपत्ति का निपटान करने के लिए बिना किसी छेड़छाड़ के लौटने की अनुमति दी गई।
  • अपहृत महिलाओं और लूटी गई संपत्ति को वापस किया जाना था।
  • जबरन धर्मांतरण को मान्यता नहीं दी गई।
  • अल्पसंख्यक अधिकारों की पुष्टि की गई।

भारत और पाकिस्तान के बीच सहमति का आधार : 

  • भारत और पाकिस्तान की सरकारें इस बात पर गंभीरता से सहमत हैं कि प्रत्येक अपने क्षेत्र में अल्पसंख्यकों को, नागरिकता की पूर्ण समानता, धर्म की परवाह किए बिना, जीवन, संस्कृति, संपत्ति और व्यक्तिगत सम्मान के संबंध में सुरक्षा की पूर्ण भावना, आंदोलन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगी। प्रत्येक देश के भीतर और व्यवसाय, भाषण और पूजा की स्वतंत्रता, कानून और नैतिकता के अधीन, संधि में कहा गया है।
  • “अल्पसंख्यकों के सदस्यों को अपने देश के सार्वजनिक जीवन में भाग लेने, राजनीतिक या अन्य पद संभालने और अपने देश के नागरिक और सशस्त्र बलों में सेवा करने के लिए बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों के साथ समान अवसर मिलेगा। दोनों सरकारें इन अधिकारों को मौलिक घोषित करती हैं और इन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने का कार्य करती हैं।

निष्कर्ष  / समाधान की राह : 

 

  • भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में कानून – व्यवस्था को लेकर जारी वार्षिक रिपोर्ट के आधार पर कानून व्यवस्था के संदर्भ में आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया गया है जिसमें कहा गया है कि संविधान की छठी अनुसूची के तहत क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट शासन के तहत आने वाले क्षेत्रों को शामिल करने से क्षेत्र की स्वदेशी और आदिवासी आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। 
  • नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019, भारत के तीन पड़ोसी देशों से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता का अधिकार देने का कानून है।
  • नागरिकता संशोधन कानून 2019 भारत की नागरिकता देने का कानून है।
  • नागरिकता संशोधन कानून 2019 से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें वर्षों से उत्पीड़न सहना पड़ा और जिनके पास दुनिया में भारत के अलावा और कोई जगह नहीं है।
  • वर्तमान समय में भारत एक उभरती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्था वाली शक्ति है, जिसे वैश्विक आकांक्षाओं के साथ – साथ सामरिक और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ मिलकर कदमताल करना होगा। अतः भारत  शरणार्थियों की समस्या का पहले भी कई बार सामना कर चुका है। ऐसी परिस्थिति में भारत सरकार को एक उदारवादी नज़रिया अपनाने की ज़रूरत है।जिससे भारत का “ वसुधैव कुटुम्बकम “ की अवधारणा सफल हो सके।
  • वर्तमान समय में भारत शरणार्थियों की समस्या सहित विश्व को प्रभावित करने वाले अन्य उभरते मुद्दों पर क्षेत्रीय और वैश्विक प्रयासों को आकार देने के लिए बेहतर स्थिति में हो सकता है।
  • इसके अलावा पूर्वोत्तर के लोगों को यह समझाने के लिए और अधिक रचनात्मक ढंग से प्रयास किया जाना चाहिए कि इस क्षेत्र के लोगों की भाषायी, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का संरक्षण किया जाएगा।
  • भारत सरकार को शरणार्थियों की इस समस्या के समाधान के लिए इस समस्या से प्रभावित अन्य देशों तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए जिससे मानवीय गरिमा, मानवाधिकार तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अनुरूप नीति का विकास कर लोगों की मदद की जा सके।
  • भारत को शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों को उनके मूल देश में वापस भेजने के लिए  उस पडोसी देशों के साथ प्रभावी प्रत्यावर्तन समझौते की कोशिश करनी चाहिए ।
  • भारत सरकार को वैध यात्रा दस्तावेज़ों के साथ आए शरणार्थियों को सीमित रूप से नागरिकता देने के संबंध में विचार करना चाहिए।
  • भारतीय नागरिकता के मौलिक कर्त्तव्यों में अपने पड़ोसी देशों में सताए गए लोंगों की सुरक्षा करना शामिल है लेकिन सुरक्षा कार्य संविधान के अनुसार होना चाहिए।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. नागरिकता संशोधन कानून 2019 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. यह धार्मिक पहचान के आधार पर दिया जाने वाला नागरिकता कानून है जिसमें सभी धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।
  2. नागरिकता संशोधन कानून 2019 छठी अनुसूची में शामिल राज्य असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में  लागू नहीं होगा।
  3. भारत में केंद्र एवं राज्य संबंधों के तहत  दोहरी नागरिकता प्रदान करने की पद्धति  को अपनाया गया है।
  4. नागरिकता संशोधन कानून 2019 भारत की नागरिकता देने का कानून है, न की भारत की नागरिकता छिनने का कानून है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A) केवल 1 और 3

(B) केवल 1 और 4 

(C)  केवल 2 और 3 

(D) केवल 2 और 4 

उत्तर – (D) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारत में नागरिकता प्रदान करने के प्रमुख प्रावधानों / विधियों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि क्या नागरिकता संशोधन कानून 2019 भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन  करता है ? तर्कसंगत व्याख्या कीजिए

 

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