नागा संस्कृति को प्रसिद्धि दिलाने वाले डॉ. टेम्सुला आओ का निधन

नागा संस्कृति को प्रसिद्धि दिलाने वाले डॉ. टेम्सुला आओ का निधन

नागा संस्कृति को प्रसिद्धि दिलाने वाले डॉ. टेम्सुला आओ का निधन

संदर्भ- 10 अक्टूबर 2022 को नागा संस्कृति की संस्कृति को अपनी लेखनी से प्रसिद्धि दिलाने वाली डॉ. टेम्सुला आओ का निधन हो गया, भारत के प्रधानमंत्री ने ट्वीट में शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि शिक्षा और संस्कृति में उनके प्रयास, उल्लेखनीय हैं।

डॉ. टेम्सुला आओ- अंग्रेजी भाषा के साहित्य का एक बड़ा नाम हैं डॉ. टेम्सुला आओ।

  • वे नागालैण्ड की आओ जनजाति का प्रतिनिधित्व करती हैं। 
  • तेमसुला ने नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी में 1975 से अपना अध्यापन कार्य शुरू किया और वहीं से प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत हुई। उन्होंने नागा संस्कृति पर कई पुस्तकें लिखी। 
  • उनके 5 कविता संग्रहों ने प्रसिद्धि पाई।
  • कविताओं के साथ वे कहानियों में भी सिद्ध हस्त थी। उनके कहानी संग्रह लैबरनम फॉर माई हेड  के लिए 2013 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका था। जिसमें एक महिला द्वारा एक पितृसत्तात्मक समाज को चुनौती दी गई है।
  • इसके साथ ही उन्हें 2007 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है।

नागालैण्ड- भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में नागालैण्ड, अपनी लोककथाओं के लिए प्रसिद्ध राज्य है। 

  • नागालैण्ड राज्य भारतीय संघ में 16 वे राज्य के रूप में स्थापित हुआ था।
  • यह पश्चिम में असम, पूर्व में म्यांमार, उत्तर में अरुणांचल प्रदेश व असम और दक्षिण में मणिपुर से घिरा रहता है।
  • नागालैण्ड में 16 प्रशासनिक जिलों में 17 प्रमुख जनजातियाँ निवास करती हैं। 
  • नागालैण्ड की जनजातियाँ- अंगामी, आओ, चखेसंग, चांग, दिमासा कचारी, खियमनिंगान, कोनयाक, लोथा, फोम, पचोरी, रेंगमा, संगतम, सूमी, तिखिर,यिमखिउंग कुकी और जिलेयांग आदि।
  • इन जनजातियों की विशिष्ट संस्कृति से इन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है।

आओ जनजाति-  

  • आओ या एओ, पूर्वोत्तर भारत के नागालैण्ड राज्य की प्रमुख जनजातियों में से एक है। 
  • ऐतिहासिक रूप से आओ जनजाति, उत्त मध्य नागालैण्ड के मोकोकचुंग क्षेत्र से संबंधित हैं।
  • एओ नागा स्वयं को एओर कहते हैं, जिसक अर्थ है- जो दिखू नदी के उस पार से आए हैं।
  • एओ क्षेत्र के मोलुंगकिमोंग गांव में ईसाई धर्म सर्वप्रथम 1872 में अमेरिका के ईसाई मिशनरी एडविन डब्ल्यू क्लार्क लेकर आए थे।
  • धार्मिक रूप से लगभग सभी आओ/एओ समुदाय ईसाई मत के अनुयायी हैं।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार नागालैण्ड में 227000 नागा जनजाति निवास करती थी।

आओ जनजाति की संस्कृति- डॉ. टेम्सुला ने अपनी कृतियों में एओ जनजाति में महिलाओं की स्थिति व वहाँ की लोककथाओं की परंपरा पर अधिक प्रकाश डाला है।

एओ जनजाति में लोककथा परंपरा- एओ समाज में केन शब्द का प्रयोग काफी आम है जिसका अर्थ होता है गीत। एओ जनजाति समेत नागा में दो प्रकार के गीत या लोकगाथाएं गाई जाती है, ऐतिहासिक व प्रेम प्रसंग युक्त गीत। इसके अतिरिक्त कृषि व प्रसिद्ध नायकों के प्रशस्ति संबंधी गीत भी लोकगाथाओं में शामिल हैं। इसी प्रकार के ग्रंथों से संबंधित डॉ. टेम्सुला ने द एओ- नागा ओरल ट्रैडिशन नामक पुस्तक लिखी है। इन लोककथाओं को पारंपरिक त्योहारों में गाया जाता है-

  • मोअत्सू त्योहार- बुआई के बाद प्रत्येक वर्ष मई माह के पहले सप्ताह में इस त्योहार को मनाया जाता है.
  • त्सुंगरेमोंग त्योहार- यह फसल के कटन के समय मनाया जाता है। इसके नृत्य गायन आदि कार्यक्रमों में लोककथाओं को गाया जाता है।

महिलाओं की स्थिति-

  • टेम्सुला के अनुसार नागालैण्ड में महिलाओं की स्थिति अन्य भारतीय समाज से कुछ मायनों में बेहतर है जैसे- शिक्षा, नौकरी व विवाह में पति चुनने में समान अवसर प्रदान किए जाते हैं। 
  • महिलाएं हस्तशिल्प के प्रयोग से आत्मनिर्भर होती हैं।
  • किंतु पुश्तैनी सम्पत्ति का अधिकार केवल पुत्र को ही प्राप्त होता है।
  • राजनीति में महिलाओं की स्थिति दुःखद है, नागालैण्ड में महिलाओं को राजनीति में शामिल होने पर क्षेत्रीय आदिवासी समुदायों का विरोध लगातार रहा है, अधिकार होते हुए भी समाज में महिलाओं को राजनीति में जीत हासिल न होना, राजनीति में उनको अस्वीकृत करने का प्रमाण है।

स्रोत

https://newsonair.gov.in/hindi/Hindi-News

https://web.archive.org/web/20170823101844/http://www.thethumbprintmag.com/temsula-ao-talks-about-her-life-books-and-society/

Yojna IAS Daily Current affairs Hindi med 10 Oct

 

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