नेहरुवाद पर आधारित विज्ञान प्रसार का अंत 

नेहरुवाद पर आधारित विज्ञान प्रसार का अंत 

नेहरुवाद पर आधारित विज्ञान प्रसार का अंत 

संदर्भ- हाल ही में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में विज्ञान प्रसार को समाप्त करने की घोषणा की है। अधिकारियों के अनुसार यह कदम नीति आयोग द्वारा केंद्र सरकार के विभिन्न विंगों के तहत काम कर रहे स्वायत्त समाजों के कामकाज को युक्तिसंगत बनाने के लिए शुरू की गई कवायद का एक हिस्सा था।

विज्ञान प्रसार 

  • विज्ञान प्रसार, विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत आने वाली एक स्वायत्तशासी संगठन है। जिसकी वास्तविक शुरुआत 1989 से हुई।
  • यह 1947 से सरकारी संस्थानों में वैज्ञानिक सोच व नीतियों की श्रृंखला का अंग रहा है।
  • विज्ञान प्रसार की स्थापना के उद्देश्य विज्ञानवादी विचार को लोकप्रिय करना, इसके द्वारा जीवन की गुणवत्ता हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सिद्धांत, अभ्यास, विकास को बढ़ावा देने से हितधारकों में दो तरफा दृष्टिकोण युक्त रणनीतिक संवाद सांझा किया जा सकता है।
  • यह नेहरुवादी विचारधारा पर आधाारित था जो स्वतंत्रता के बाद, वैज्ञानिक जागरुकता के साथ स्वयं को खोज रहा था। 

नेहरुवादी विचारधारा

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहरलाल नेहरु का जीवन दर्शन व उनके राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक आदर्शों को नेहरुवाद की संज्ञा दी जाती है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही नेहरु भारत को स्वतंत्र कराने के साथ विश्वपटल पर सशक्त देश के रूप में स्थापित करना चाहते थे। नेहरुवाद विचार धारा के मुख्य तत्व निमनलिखित हैं-

  • नेहरु स्वयं को समाजवादी व लोकतंत्रवादी कहते थे उनके अनुसार समाजवाद का अर्थ- विवेक और मन की स्वतंत्रता, उद्यम की स्वतंत्रता और एक नियत पैमाने पर निजी संपत्ति रखने की स्वतंत्रता है। जिसका परिचय उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में दिया। गांधीजी के अनुयायी होते हुए भी उन्होंने गांधीजी की विचारधारा को कभी अपने विचारों पर हावी नहीं होने दिया।
  • नेहरु के लिए आधुनिकीकरण के लिए सात लक्ष्य निर्धारित किए थे- राष्ट्रीय एकता, संसदीय लोकतंत्र, औद्योगिकीकरण, समाजवाद, धार्मिक सद्भाव, गुटनिरपेक्ष और वैज्ञानिक स्वभाव का विकास। 
  • नेहरु ने देश को सशक्त बनाने की वकालत की। जिसके लिए नेहरु ने औद्योगिकीकरण, धन उत्पादक क्षमता को बढ़ाने व नागरिक उपयोग के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग को प्रमुखता दी।
  • देश में आर्थिक सुधार के लिए कृषि सुधार के लिए हरित क्रांति को प्रोत्साहित किए जिसके तहत कृषि को विकसित करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना, कृषि उपकरणो का आविष्कार किया गया। जो कृषि की उत्पादकता बढ़ाने में उपयोगी सिद्ध हुए।
  • नेहरुजी ने देश की सामाजिक स्थिति को बेहतर करने के लिए सामाजिक नीतियों का प्रतिपादन किया उनके अनुसार देश को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लैस करने क लिए बच्चों को वैज्ञानिक शिक्षा देना आवश्यक है। अतः उनके कार्यकाल में देश में कई वैज्ञानिक संस्थानों की स्थापना की गई। 
  • नेहरुजी के अनुसार देश को सामाजिक कुरीतियों से मुक्त करने का एक मात्र तरीका वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जिससे समाज में मध्ययुगीनता व पुरोहितवादी संस्कृति का अंत किया जा सकता है। 

वैज्ञानिक प्रगति में नेहरुवाद

  • देश की स्वतंत्रता के तुरंत बाद 1948 में होमी जहाँगीर भाभा के नेतृत्व में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना में सहयोग और स्वायत्तता प्रदान की। 
  • नेहरू ने पहली पंचवर्षीय योजना में पूरे भारत में ‘विज्ञान मंदिर’ खोलने की योजना का समर्थन किया। इन विज्ञान केंद्रों ने ग्रामीण आबादी में वैज्ञानिक विचारों को लोकप्रिय बनाने की कोशिश की जो बुनियादी वैज्ञानिक उपकरणों, किताबों, फिल्म स्लाइड आदि से सम्पन्न थे।
  • उनके कार्यकाल में देश के कुछ प्रमुख संस्थानो का उद्घाटन हुआ जैसे- अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय लोक प्रशासन संस्थानों की स्थापना हुई। इन संस्थानों में विज्ञान को प्रमुख स्थान दिया गया। 

विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नए क्षेत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से और देश में एक नोडल विभाग की भूमिका निभाने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी गतिविधियों के आयोजन, समन्वय और इसको बढ़ावा देने के लिए मई 1971 में स्थापित किया गया था। 1982 में जिसके अंतर्गत एक अन्य संस्था NCSTC की शुरुआत की गई।

नेशनल काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी कम्युनिकेशन (NCSTC)- इसकी स्थापना का उद्देश्य प्रदूषण, ऊर्जा संकट,और अंधविश्वास जैसे तर्कहीन दृष्टिकोण व नई सामाजिक चुनौतियों को खत्म करना और प्रौद्योगिकी पर सार्वजनिक बहस को बढ़ावा देना था। इसके तहत-

  •  इसने बड़ी संख्या में स्वैच्छिक समूहों और जमीनी स्तर के विज्ञान आंदोलनों का समर्थन किया। 
  • ‘भारत जन विज्ञान जत्था’ (BJVJ) नामक एक जन आंदोलन NCSTC के अंतर्गत प्रारंभ हुआ, जिसने कई स्वैच्छिक संगठनों के को जन्म दिया।
  • स्वैच्छिक संगठनों के नेटवर्क ने ऑल इंडिया पीपल्स साइंस नेटवर्क (AIPSN) का आकार ले लिया, और यह आज तक बना हुआ है।
  • NCSTC के साथ ही विज्ञान व प्रौदयोगिकी विभाग के अंतर्गत विज्ञान प्रसार का उद्भव हुआ, जो समान प्रेरणा से कार्य करते हैं। विज्ञान प्रसार ने 1990 के दशक में वैज्ञानिक सोच पर सामग्री तैयार की और रेडियो और टेलीविजन के माध्यम से इसे व्यापक रूप से प्रसारित किया।

विज्ञान प्रसार के प्रसारण कार्यक्रम-

  • इसमें ‘विज्ञान विधि’ (16 भाषाओं में विज्ञान की पद्धति पर 13-भाग की रेडियो श्रृंखला), 
  • ‘भारत की छाप’ (भारत में विज्ञान के इतिहास पर 13-भाग की टेलीविजन श्रृंखला), 
  • ‘मानव का विकास’ (144- भाग 18 भाषाओं में मानव विकास पर रेडियो श्रृंखला), 
  • ‘क्यों और कैसे’ (महत्वपूर्ण सोच पर टेलीविजन श्रृंखला), और 
  • ‘ए क्वेश्चन ऑफ साइंस’ (वैज्ञानिक प्रश्नों पर टेलीविजन शो)।
  • इनके अतिरिक्त वैज्ञानिकों के जीवन पर फिल्म व कार्यक्रम, 
  • खगोलीय घटनाओं पर आधारित जैसे चंद्रग्रहण व सूर्यग्रहण कार्यक्रम आदि।

विज्ञान प्रसार की वर्तमान दशा-

  • पूर्व में प्रसारित कार्यक्रमों का पुनः प्रसारण।
  • वैज्ञानिक कार्यक्रमों के स्थान पर राजनीतिक नीतियों पर आधारित कार्यक्रम जैसे परीक्षा पर चर्चा,गणतंत्र दिवस भाषण आदि का प्रसारण।
  • प्राचीन ग्रंथों व योग पर आधारित कार्यक्रमों का प्रसारण। जैसे वेदों में विज्ञान, योग के वैज्ञानिक लाभ आदि। 

प्रारंभ में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संबंधित कार्यक्रमों पर आधारित विज्ञान प्रसार अब मात्र राजनीतिक नीतियों व राजनीतिज्ञों के कार्यक्रमों का हिस्सा मात्र रह चुका है अतः इसके बंद होने पर देश में नेहरुवादी सोच तथा विज्ञान की उन्नति या अवनीति पर कोई असर नहीं आ सकता है। 

स्रोत

yojna daily current affairs hindi med 2 May 2023

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