नाटो, रूस और बेलारूस

नाटो, रूस और बेलारूस

नाटो, रूस और बेलारूस

संदर्भ-  राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा रूस, बेलारूस में परमाणु हथियारों को तैनात करेगा। यूक्रेन के लिए सैन्य समर्थन और पश्चिम गतिरोध को बढ़ाने के कारण रूस ने नाटो को चेतावनी दी है। 

नाटो, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन

NATO, नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन, कई देशों का एक संगठन है जिसके द्वारा उनके राजनीतिक व सैन्य माध्यमों से सदस्य देशों की रक्षा करता है।

  • राजनीतिक- नाटो लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। यह सदस्यों की समस्याओं को हल करने, लम्बे समय से चल रहे विवादों को समाप्त करने, रक्षा व सुरक्षा संबंधी मामलों पर परामर्श करने पर जोर देता है।
  • सैन्य – नाटो, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। यदि कूटनीतिक प्रयास विफल होते हैं तो उसके पास संकट प्रबंधन संचालन करने के लिए सैन्य शक्ति होती है। ये नाटो की संस्थापक संधि के सामूहिक रक्षा खण्ड (वाशिंगटन संधि का अनुच्छेद 5) या संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत, अकेले या अन्य देशों या अंतर्राष्ट्रीय संघों के सहयोग से किए जा सकते हैं। 

नाटो का गठन-

  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, संयुक्त राष्ट्र संघ समेत यूरोप के देशों को अपनी अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण व अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। 
  • आर्थिक सुविधा के लिए उद्योगों व कृषि को फिर से स्थापित करने के लिए बड़ी सहायता की आवश्यकता थी।
  • सुरक्षा की दृष्टि से जर्मनी व सोवियत संघ से सुरक्षा के आश्वासन की आवश्यकता थी। 
  • यूरोप के आर्थिक एकीकरण या आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए मार्शल योजना प्रारंभ की गई। 
  • मार्शल योजना के तहत सोवियत संघ ने यूरोप में निहित अपने प्रदेशों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने से इंकार किया। जिससे पूर्वी व पश्चिमी यूरोप के विभाजन को समर्थन मिला।
  • उस समय यूरोप की परिस्थितियों जैसे तुर्की में तनाव, ग्रीस में गृहयुद्ध, जर्मनी की सीमाओं में साम्यवादी सरकार का गठन आदि के कारण टूमैन प्रशासन ने एक यूरोपीय अमेरिकी गठबंधन बनाने की आवश्यकता पर विचार किया। जो पश्चिमी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हो। 
  • ब्रुसेल्स संधि पर हस्ताक्षर- बढ़ती चिंताओं और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के समाधान के लिए पश्चिमी यूरोप के देश एक सैन्य गठबंधन बनाने के लिए एकत्रित हुए। ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस , बेल्जियम, नीदरलैंड व लक्जम्बर्ग ने मार्च 1948 में ब्रुसेल्स संधि पर हस्ताक्षर किए।  यह संधि सामूहिक रक्षा पर आधारित थी। यदि एक देश पर आक्रमण होगा तो सभी राष्ट्र उसकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।
  • अमेरिकी वार्ताकारों के अनुसार कनाडा, अइसलैण्ड, डेनमार्क, नडर्वे, आयरलैँड, पुरतगाल, आदि देशों को संधि में शामिल करने से संधि का विस्तार किय जा सकता है। 
  • इस प्रकार उत्तरी अटलांटिक देशों ने NATO गठबंधन कर सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्राप्त करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा औऱ कई पश्चिमी देशों की उपस्थिति में 1949 में उत्तरी संगठन बनाया। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स(बेल्जियम) में बनाया गया। वर्तमान अवधि तक इसके 30 सदस्य राष्ट्र हैं।

NATO के मूल तथ्य

  • सामूहिक रक्षा का सिद्धांत- वाशिंगटन संधि के अनुच्छेद 5 के अनुसार यह अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा बहाल करने व शांति बनाए रखने पर आधारित है। जिसके तहत किसी एक सदस्य देश या देशों पर हमले को सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। अनुच्छेद 5 को संयुक्त राज्य में 9/11 हमले के बाद लागू किया गया था। 
  • नाटो निर्णय – सर्वसम्मति से निर्णय लेने का मतलब है कि नाटो में कोई मतदान नहीं है। परामर्श तब तक होता है जब तक कि सभी को स्वीकार्य निर्णय नहीं हो जाता। कभी-कभी सदस्य देश किसी मुद्दे पर असहमत होने के लिए सहमत होते हैं। सामान्य तौर पर, यह वार्ता प्रक्रिया तेजी से होती है क्योंकि सदस्य नियमित रूप से एक-दूसरे से परामर्श करते हैं और इसलिए अक्सर एक-दूसरे की स्थिति को पहले से जानते और समझते हैं।
  • नाटो यूरोप और उत्तरी अमेरिका के देशों का गठबंधन है। यह इन दो महाद्वीपों के बीच एक अनूठी कड़ी प्रदान करता है, जिससे वे रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में परामर्श और सहयोग कर सकते हैं, और एक साथ बहुराष्ट्रीय संकट-प्रबंधन संचालन कर सकते हैं।
  • एलायंस में रणनीतिक अवधारणाएं, मौजूदा सुरक्षा खतरों और चुनौतियों का जवाब देने और इसके राजनीतिक और सैन्य विकास का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार करती हैं ताकि यह कल के खतरों और चुनौतियों का सामना करने के लिए समान रूप से तैयार हो।

NATO में पूर्वी देशों के शामिल होने से रूस की चिंताएं-

  • पूर्वी देशों के NATO में शामिल होने पर उ देश को अमेरिका समेत NATO के किसी भी सदस्य देश की सेना के प्रयोग का अधिकार प्राप्त हो जाता है। जिससे रूस का अपने पश्चिमी पड़ोसी देशों पर प्राभाव कम हो सकता है।
  • NATO में पूर्वी देशों के शामिल होने पर पूर्व की ओर NATO की सैन्य छावनियाँ व बुनियादी ढांचे भी स्थापित होंगे, जिसका रूस विरोध कर रहा है।
  • इन्हीं सब विरोध का परिणाम रूस यूक्रेन युद्ध के रूप में सामने आया। युद्ध की परिस्थितियों में 31वे व 32वे देश के रूप में फिनलैंड व स्वीडन को NATO में शामिल किया गया है। जिसका रूस ने प्रबल विरोध किया है।

रूस व बेलारूस के द्विपक्षीय संबंध- 

बेलारूस व रूस के मध्य रणनीतिक सांझेदारी दोनों देशों के बीच घनिष्ठ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व व्यावसायिक सहयोग पर आधारित हैं। 

1999 में बेलारूस व रूस के मध्य संघ राज्य की स्थापना पर समझौता दोनों देशों के बीच एकीकरण के लिए एक आधार स्थापित करता है। समझौते के अनुसार दोनों देश परस्पर कुछ लक्ष्यों को निर्धारित किया है-

  • शांतिपूर्ण व लोकतांत्रिक विकास सुनिशअचित करना
  • एकल आर्थिक व सीमा शुल्क क्षेत्र का निर्धारण के साथ उचित कानूनी ढांचा स्थापना।
  • सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करना।
  • सामाजिक, रक्षा व विदेशी नीतियों पर दोनों देशों की सहमति सुनिश्चित करना।
  • आपराधिक गतिविधि से सुरक्षा सुनिश्चित करना।

2022 के अंत में दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रूस के विदेशी व्यापार का आधे से अधिक व्यापार बेलारूस गणराज्य से संबंधित है।

बेलारूस और रूस के बीच सीमा पार करने पर दोनों देशों के नागरिकों को किसी पासपोर्ट और सीमा शुल्क नियंत्रण से गुजरने या माइग्रेशन कार्ड प्राप्त करने और भरने की आवश्यकता नहीं है।

अब रूस, बेला रूस में परमाणु हथियारों को तैनात करने जारहा है जो NATO में फिनलैंड व स्वीडन की सदस्यता के प्रत्युत्तर के रूप में देखा जा सकता है। जिसे NATO के परमाणु हथियारों से अपनी रक्षा के रूप में स्थापित कर रहा है। 

स्रोत

Yojna IAS daily current affairs hindi med 3rd April 2023

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