15 Nov पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
संदर्भ- हाल ही में उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को 17वे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबंधित किया, जिसमें खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा पर वैश्विक चिंताओं पर प्रकाश डाला।
- समुद्री संबंधों को आगे बढ़ाने
- आतंकवाद, अंतर्राष्ट्रीय अपराध, साइबर अपराध को खिलाफ सहयोग बढ़ाने
- चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के लिए भारत अमेरिका व अन्य देश एक साथ स्वतंत्र व खुले हिंद प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है।
- शिखर सम्मेलन 2022 की मेजबानी वियतनाम कर रहा है।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन-
- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) सामरिक वार्ता के लिए इंडो-पैसिफिक का प्रमुख मंच है।
- यह एकमात्र नेता-नेतृत्व वाला मंच है, जिस पर सभी प्रमुख हिंद-प्रशांत भागीदार इस क्षेत्र के सामने आने वाली राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए मिलते हैं, और निकट क्षेत्रीय सहयोग को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- 14 दिसंबर 2005 को कुआलालंपुर में आयोजित उद्घाटन ईएएस में ऑस्ट्रेलिया ने एक संस्थापक सदस्य के रूप में भाग लिया। प्रारंभ में इसमें 16 देश सम्मिलित हुए थे, 2011 में अमेरिका व रूस द्वारा सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद यह इसमें कुल 18 सदस्य देश हो गए।
- इसके संस्थापक देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान, लाओस , मलेशिया, न्यूजीलैंड, म्यांमार, फिलीपींस, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, थाइलैंद, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम हैं। कुल 18 देशों में से 8 सदस्य देश आशियान से भी संबंधित हैं।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन का महत्व-
- ईएएस इस क्षेत्र से संबंधित चुनौतियों व अनिश्चचितताओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक है।
- रचनात्मक संवाद के माध्यम से राजनीतिक संबंधों में स्थिरता बनाए रखना इस सम्मेलन का महत्वपूर्ण उद्देश्य है। जबकि इसके प्रमुख केंद्र आसियान का उद्देश्य दक्षिण एशियाई देेशों में आर्थिक विकास में तेजी लाना है।
आसियान-
- दक्षिण एशियाई देशों में आर्थिक, सांस्कृतिक विकास में तेजी लाने के लिए 8 अगस्त 1967 को दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ की स्थापना की गई।
- इसके 5 संस्थापक सदस्यों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर थाइलैण्ड देशों ने बैंकाक घोषणा पर हस्ताक्षर किए जो सहयोग, मैत्री व गैर हस्तक्षेप पर आधारित है।
- 1996 में भारत भी इसका पूर्ण भागीदार देश बन गया।
- आसियान विश्व के बड़े संगठनों जैसे UN, SCO, PA, GCC, MERCOSUR, CELAC, ECO के साथ प्रमुख भागीदार है।
आसियान के अंतर्गत आने वाले निकाय
1.आसियान क्षेत्रीय निकाय(ARF)-
- यह निकाय आसियान के अंतर्गत 1997 में प्रारंभ किया।
- यह 27 सदस्य देशों के साथ शुरु किया गया।
- इसकी स्थापना राजनीतिक व सुरक्षा के मुद्दों में देशों के परस्पर सहयोग को बढ़ानो के लिए किया गया था।
2.आसियान प्लस 3-
- आसियान प्लस 3 की योजना आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान 1997 में आसियान, चीन व कोरिया गणराज्य के परामर्श पर प्रारंभ हुई।
- निकाय के प्रारंभ से अब तक यह पूर्वी एशिया के सामूहिक सहयोग की दिशा में, पूर्वी एशियायी समुदायों का लगातार सहयोग कर रहा है।
3.आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक- प्लस बैठक-
- इसकी प्रथम बैठक 9 मई 2006 को कुआलालांपुर में हुई।
- यह आसियान में सर्वोच्च रक्षा सलाहकार व सहकारी तंत्र है।
- इसके रक्षात्मक चुनौतियों का सामना करने के साथ पारदर्शिता व खुलेपन को बढ़ावा देना है।
4.पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन भी आसियान का ही एक निकाय है।
आसियान की आर्थिक स्थिति
- आसियान दुनियाँ का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक क्षेत्र है। जो वैश्विक निर्यात का 7% है।
- आसियान ने अपने उद्देश्य स्थिरता को बनाए रखने के लिए वैश्विक स्तर पर तटस्थता को बढ़ावा दिया है।
- 2.3 ट्रिलियन लोगों का एक विशाल बाजार व श्रम शक्ति के साथ आर्थिक एकीकरण का लक्ष्य।
- आसियान अन्योन्याश्रित बाजारों और वैश्वीकृत उद्योगों के साथ तेजी से परस्पर जुड़ने और अत्यधिक नेटवर्क वाले वैश्विक वातावरण में काम करता है।
- आसियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम व्यवसायों के साथ एक गतिशील क्षेत्र के रूप में स्थापित करने का अर्थ है आसियान को आसियान आर्थिक समुदाय (एईसी) की सीमा से परे देखना।
- ATFF को आसियान के व्यापार सुविधा को बढ़ावा देने तथा व्यापार सुविधा के नए सिरे से प्रयास करने के लिए स्थापित किया गया है। यह 2017-25 के लक्ष्य अंतर व्यापार की गति को दोगुना करने के लिए भी कार्य करता है।
- भारत और आसियान
- भारत और आसियान की साथ में क्षेत्रीय भागीदारी 1992 से और संवाद भागीदारी है। आसियान सदस्यों ने भारत की एक्ट ईस्ट नीति की सराहना की है। 30 नवम्बर 2004 को आसियान व भारत के दीर्घकायी विजन को शांति, प्रगति और साझा समृद्धि के आधार पर तय किया गया।
- भारत आसियान का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। भारत अपने कुल व्यापार का 10.6% व्यापार आसियान के साथ करता है।
- भारत व आसियान के सभी निजी उद्यमियों को एक ही मंच पर लाने के लिए AIBC (ASEAN India Business Council की स्थापना की गई थी।
- UNCLOS 1982 के आधार पर भारत लगातार समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा, नौवहन की स्वतंत्रता और ओवरफ्लाइट को बनाए रखने को समर्थन देता आया है।
स्रोत
https://indianexpress.com/article/what-is/what-is-asean-5028044/
https://asean.org/wp-content/uploads/2021/11/Overview-ASEAN-India-November-2021.pdf
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