प्रतियोगिता संशोधन विधेयक 

प्रतियोगिता संशोधन विधेयक 

प्रतियोगिता संशोधन विधेयक 

संदर्भ- जिस तरह नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने प्रतियोगिता के नियामक के निष्कर्षों को सही ठहराते हुए अपना अंतिम फैसले में कहा कि गुगल ने एंड्रॉइड इकोसिस्टम में अपने बाजार प्रभुत्व का दुरुपयोग किया है। इसके लिए लोकसभा में प्रतियोगिता संशोधन विधेयक पारित किया गया। जो प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2022 में संशोधन करने के लिए लाया गया है। 

प्रतिस्पर्धा तंत्र में संशोधन- नया संशोधन लंबवत समझौतों और प्रभुत्व के दुरुपयोग से संबंधित मामलों के निपटान और प्रतिबद्धताओं के लिए एक रूपरेखा का प्रस्ताव करता है। ऊर्ध्वाधर समझौतों और प्रभुत्व के दुरुपयोग के मामले में, पार्टियां महानिदेशक (डीजी) द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले ‘प्रतिबद्धता’ के लिए आवेदन कर सकती हैं। रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद और आयोग द्वारा निर्णय लेने से पहले ‘निपटान’ पर विचार किया जाएगा। संशोधन के अनुसार, मामले में सभी हितधारकों को सुनने के बाद प्रतिबद्धता या निपटान के संबंध में आयोग का निर्णय अपील योग्य नहीं होगा। आयोग प्रक्रियात्मक पहलुओं के संबंध में नियमों के साथ सामने आएगा।

प्रतियोगिता संशोधन विधेयक

प्रतियोगिता संशोधन विधेयक 2002 में पेश किया गया था लेकिन यह 2009 में पारित किया गया। प्रतिस्पर्धा आयोग मुख्य रूप से बाजार में प्रतिस्पर्धा विरोधी प्रथाओं के तीन मुद्दों का अनुसरण करता है-

  • प्रतिस्पर्धा के विरुद्ध कार्य करने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्यवाही कर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
  • उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना।
  • व्यापार की सुरक्षा सुनिश्चित करना। 

बाजार प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए 2019 में एक समीक्षा समिति का गठन किया गया और इस समिति के द्वारा विधेयक में कई संशोधनों की मांग की गई। प्रतियोगिता संशोधन विधेयक को 2022 में संसद में पेश किया गया था जिसके मुख्य विंदु निम्नवत हैं- 

लेनदेन से संबंधित – यदि दो पक्षों में से किसी का भी भारत में व्यवसाय है तो 2000 करोड़ से ऊपर किसी भी भुगतान व लेनदेन के लिए आयोग को सूचित करना अनिवार्य होगा। अपीलीय न्यायाधिकरण ने कहा था कि इस टर्नओवर को प्रासंगिक होना चाहिए। 2002 में यह टर्नओवर सीमा 9% रखी गई थी। 

डिजीटल और बुनियादी ढांचे को मजबूती- भारत में पर्याप्त व्यवसाय की पुष्टि के लिए डिजीयल माध्यमों का प्रयोग कर विनिमय तैयार किया जाएगा और इसमें डिजीटल व बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा। 

गन जंपिंग – पार्टियों को इसके अनुमोदन से पहले संयोजन के साथ आगे नहीं बढ़ना चाहिए। यदि संयोजन पक्ष अनुमोदन से पहले एक अधिसूचित लेन-देन को बंद कर देते हैं, या आयोग के ज्ञान में लाए बिना रिपोर्ट करने योग्य लेन-देन पूरा कर लेते हैं, तो इसे गन-जंपिंग के रूप में देखा जाता है। गन-जंपिंग के लिए जुर्माना संपत्ति या टर्नओवर का कुल 1% था। यह अब डील वैल्यू का 1% प्रस्तावित है।

हब एंड स्पोक कार्टेल- हब-एंड-स्पोक व्यवस्था एक प्रकार का कार्टेलाइजेशन है जिसमें लंबवत संबंधित खिलाड़ी हब के रूप में कार्य करते हैं और आपूर्तिकर्ताओं या खुदरा विक्रेताओं (स्पोक्स) पर क्षैतिज प्रतिबंध लगाते हैं। वर्तमान में, प्रतिस्पर्धा-रोधी समझौतों पर प्रतिबंध केवल समान ट्रेडों वाली संस्थाओं को शामिल करता है जो प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं में संलग्न हैं। यह वितरकों और आपूर्तिकर्ताओं द्वारा ऊर्ध्वाधर श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर संचालित हब-एंड-स्पोक कार्टेल की उपेक्षा करता है। इसका मुकाबला करने के लिए, संशोधन उन संस्थाओं को पकड़ने के लिए ‘प्रतिस्पर्धी-विरोधी समझौतों’ के दायरे को बढ़ाता है जो कार्टेलाइज़ेशन की सुविधा देते हैं, भले ही वे समान व्यापार प्रथाओं में शामिल न हों।

प्रतियोगिता संशोधन विधेयक 2023

  • प्रतियोगिता विरोध में दण्डित पाए जाने वाले को दण्डित किया जाएगा। दण्ड के तहत जुर्माने की गणना, कारोबार की वैश्विक तौर पर की जाएगी।
  • देनदारी व निपटान व्यवस्था में कई परिवर्तन किए जाने का प्रस्ताव है।
  • व्यापार की समय सीमा- इस विधेयक के तहत विलय व अधिग्रहण की मंजूरी के लिए समयसीमा 210 दिन से घटाकर 150 दिन कर दी है। समयसीमा में कमी बाजारों में हानिकारक अधिग्रहणों पर रोक लगाने के लिए की जा रही है। यह कम सम्पत्तियों व कम राजस्व के कारण आयोग की जाँच के दायरे बाहर रहने वाले अधिग्रहणों पर भी रोक लगा सकेगा। 
  • लीनिएंसी प्लस मॉडल की शुरुआत इसके तहत भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच के दायरे में आए कार्टेल पर कम जुर्माना लगाकर उनसे अन्य कार्टेल के बारे में जानकारी प्राप्त की जाएगी।
  • नियंत्रण शब्द को स्पष्ट कर दिया गया है।  सीसीआई की जांच के तहत लक्षित कंपनी के व्यक्तिगत प्रभाव को आधार बनाकर नियंत्रण रखा जाएगा। 

स्रोत

Hindi.business-standard.com

INDIAN EXPRESS

Yojna IAS daily current affairs hindi med 31st March 2023

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