30 Jul प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका
संदर्भ क्या है ?
- सर्वोच्च न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम या प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत गिरफ्तारी के प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) के अधिकार को बरकरार रखा है। न्यायालय ने कहा, प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में ईडी के जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति को अटैच करने के अधिकार को बरकरार रखा है। याचिका में जमानत की मौजूदा शर्तों पर भी सवाल उठाया गया था ।
- जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने विजय मदनलाल चौधरी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले और 240 याचिकाओं पर निर्णय दिया है। इसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, महाराष्ट्र सरकार में पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी ईडी की गिरफ्तारी, जब्ती और जांच प्रक्रिया को चुनौती दी थी।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय
- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी, जब्ती, संपत्ति कुर्क करने, छापे मारने और बयान लेने की शक्तियों को बरकरार रखा गया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिकायत ईसीआईआर को एफआईआर से नहीं जोड़ा जा सकता है। यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी को ईसीआईआर रिपोर्ट देना जरूरी नहीं है. गिरफ्तारी के दौरान केवल कारण बताना ही काफी है।
2018-19 में धन शोधन निवारण अधिनियम(PMLA) में किए गए संशोधन
- संशोधन क्या वित्त अधिनियम के तहत भी किए जा सकते हैं? धन विधेयक मामले के तहत इस प्रश्न पर 7 जजों की बेंच विचार करेगी।दायर याचिकाओं में मांग की गई थी कि पीएमएलए के कई प्रावधान असंवैधानिक हैं, क्योंकि वे संज्ञेय अपराधों की जांच और मुकदमे की पूरी प्रक्रिया का पालन नहीं करते हैं, इसलिए ईडी को जांच के समय सीआरपीसी का पालन करना चाहिए।
प्रवर्तन निदेशालय
- प्रवर्तन निदेशालय या ईडी आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए गठित एक संगठन है। इसकी स्थापना 1 मई 1956 को विदेशी मुद्रा संबंधी उल्लंघनों की जांच के लिए की गई थी। 1957 में इसका नाम बदलकर ईडी कर दिया गया।
- प्रवर्तन निदेशालय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत काम करता है। 2002 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) एक्ट लागू होने के बाद से ईडी ने आपराधिक श्रेणी के तहत वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों से भी निपटना शुरू कर दिया है।
धन शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग क्या है ?
- धन शोधन या मनी लॉन्ड्रिंग से आशय अवैध तरीकों से अर्जित धन को वैध माध्यमों से अर्जित धन में परिवर्तित करना है।
- मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से अर्जित धन को छिपाने का एक तरीका है।
- जो व्यक्ति इस प्रकार के अवैध धन का शोधन करता है उसे लाउन्डर कहा जाता है।
धन शोधन निवारण अधिनियम
- धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) वर्ष 2002 में पारित किया गया था। उसके बाद यह अधिनियम 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया था। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है।
- इसके अलावा इस अधिनियम का उद्देश्य आर्थिक अपराधों में काले धन के प्रयोग को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे मिली संपत्ति को जब्त करना और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दूसरे अपराधों पर अंकुश लगाना है,इस अधिनियम के तहत अपराधों की जांच की जिम्मेदारी प्रवर्तन निदेशालय की होती है।
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दंड का प्रावधान
- मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी पाए जाने वाले अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। इसके तहत अपराध के जरिए अर्जित संपत्ति को जब्त कर लिया जाता है।
- इसके तहत कम से कम 3 वर्ष के कठोर कारावास का प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर 7 वर्ष तक किया जा सकता है।
- यदि इसके साथ ही नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं, तो जुर्माने के साथ 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है।
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