प्रेस की स्वतंत्रता 

प्रेस की स्वतंत्रता 

प्रेस की स्वतंत्रता 

संदर्भ- हाल ही में केंद्र सरकार ने संसद में कहा कि वह विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक की सदस्यता नहीं लेती, और वह रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर की रिपोर्ट के निष्कर्षों से सहमति नहीं रखती है। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री के अनुसार इसके निम्न कारण हैं-

  • नमूने का छोटा आकार
  • लोकतंत्र के सिद्धांतों को बहुत कम या बिल्कुल महत्व न देना
  • गैर पारदर्शी प्रक्रिया
  • प्रेस की स्पष्ट परिभाषा का अभाव।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक- विश्व प्रेस सूचकांक को विदेशी संस्था द्वारा प्रकाशित किया जाता है जिसे रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर कहा जाता है। आरएसएफ एक अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ है जिसका स्वघोषित उद्देश्य मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करना और उसे बढ़ावा देना है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर के अनुसार प्रेस की स्वतंत्रता निम्नलिखित बिंदुओं पर निर्भर करती है-

  • राजनीतिक, आर्थिक, कानूनी व सामाजिक हस्तक्षेप से स्वतंत्र।
  • शारीरिक व मानसिक खतरों के अभाव में सार्वजनिक हित में समाचारों का चयन। 
  • समाचारों का उत्पादन व प्रसार करने की पत्रकारों की क्षमता।  

2022 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 150वे स्थान पर था। 2021 में उसकी स्थिति 142वे स्थान पर थी। सूचकांक2022 में सबसे शीर्ष पर नॉर्वे था। 

भारतीय प्रेस परिषद- 

भारतीय प्रेस परिषद का गठन प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिशों के तहत 1966 में किया गया था। भारतीय प्रेस परिषद एक सांविधिक अर्ध न्यायिक स्वायत्तशासी प्राधिकरण है। इसकी पुनर्स्थापना संसद के एक अधिनियम प्रेस परिषद अधिनियम 1978 के तहत की गई थी।

भारतीय प्रेस परिषद के उद्देश्य-  भारतीय लोकतांत्रिक समाज में प्रेस को स्वतंत्र व उत्तरदायी बनाना है इसके लिए भारत में समाचार पत्रों व एजेंसियों के स्तरों को बनाए रखना और उनमें सुधार करके प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना आवश्यक माना जाता है।

अधिनियम की धारा 13 के अनुसार प्रेस परिषद के कार्य

  • समाचार पत्रों व समाचार उद्देश्यों की स्वतंत्रता बनाए रखने, में उनकी सहायता करना।
  • समाचार पत्र पत्रिकाओं में सामाजिक रुचि के उच्च मानकों को बनाए रखना।
  • समाज के नागरिकों को अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरुक करना। 
  • सार्वजनिक हित व सार्वजनिक महत्व के समाचार पत्रों के प्रचार प्रसार व उनकी आपूर्ति में आई बाधा की समीक्षा करना।
  • समाचार पत्रों व समाचार एजेंसियों के प्रकाशन या उत्पादन से जुड़े सभी वर्गों के व्यक्तियों के बीच कार्यात्मक संबंध को बढ़ावा देना। 
  • प्रेस परिषद का प्रयोजन प्रेस के लिए हित प्रहरी के रूप में कार्य करना है।  

प्रेस की स्वतंत्रता- 

  • संविधान के अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है जो प्रेस को भी स्वतंत्रता देती है।
  • भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम की धारा 4 में भी प्रेस की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। और सरकार सहित किसी भी अन्य प्राधिकरण द्वारा हस्तक्षेप करने पर, प्रेस उस संबंध में टिप्पणी कर सकती है। 
  • रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नीव प्रेस की स्वतंत्रता पर आधारित है। मीडिया को भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है। 

प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध- 

संविधान के अनुच्छेद 19 का खण्ड 2, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग पर प्रतिबंध लगाता है। यह प्रतिबंध निम्न आधार पर लगाया जा सकता है-

  1. भारत की सुरक्षा व संप्रभुता को नुकसान
  2. मानहानि
  3. विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध पर प्रभाव
  4. सार्वजनिक व्यवस्था, शिष्टाचार या सदाचार पर प्रभाव
  5. न्यायालय की अवमानना।

टेलीविज़न के लिए, सभी चैनलों को केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत प्रोग्राम कोड का पालन करना आवश्यक है, जबकि डिजिटल समाचार प्रकाशकों के लिए, सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है।

आईटी अधिनियम, 2000 के तहत, जो डिजिटल समाचार प्रकाशकों द्वारा पालन के लिए आचार संहिता प्रदान करता है।

भारत में स्वतंत्र पत्रकारिता की चुनौतियाँ

  • सरकार के विरुद्ध लेख या समाचार प्रसारित करने पर उन पर सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा अनुच्छेद 19 का खण्ड 2 के तहत मानहानि या राष्ट्रविरोधी का केस किया जा सकता है।
  • मीडियाकर्मियों स्वतंत्र पत्रकारिता के कारण को पुलिस और अपराधियों से हमेशा खतरा रहता है। जिससे कई बार वे हिंसा का शिकार हो जात हैं।

आगे की राह 

  • पत्रकारिता और सरकार हमेशा आमने सामने रहती हैं। जिससे कई बार पत्रकारिता की सुरक्षा दाव पर रहती है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए उपबंधा किए जा सकते हैं।
  • पत्रकारिता में नीतिगत लेखों को प्रमुखता दी जानी चाहिए। 
  • सरकार की नीतियों को अधिक पारदर्शी बनाया जाना चाहिए, जिससे सरकार की नीतियों को प्रमाण के साथ पत्रकारिता में पेश किया जा सके।

स्रोत

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 29th March 2023

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