बायो डायवर्सिटी समिट – 2022

बायो डायवर्सिटी समिट – 2022

बायो डायवर्सिटी समिट – 2022

संदर्भ- हाल ही में कनाडा के मॉण्ट्रियाल में हुई जैव विविधता संबंधी समिट के बाद देशों ने जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्रों में अपनी सहमति प्रकट की है। 

सम्मेलन के उद्देश्य- 

  • विश्व की अर्थव्यवस्था में योगदान देने वाले पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा।
  • समाप्ति की कगार पर पहुँचने वाले पौधों व जीव जंतुओं की रक्षा करना। 

बड़ी कम्पनियों द्वारा जैव विविधता रिपोर्ट बनाने के उद्देश्य

  • जैव विविधता को उत्तरोत्तर बढावा करना।
  • व्यावसायिक क्षेत्र से उत्पन्न प्राकृतिक जोखिमों को कम करना।
  • स्थायी उत्पादन को प्रोत्साहित करना।

धन के प्रबंध हेतु लक्ष्य

  • प्रति वर्ष सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों से $200 बिलियन की व्यवस्था करना।
  • अमीर य़ा विकसित देशों को 2025 तक कम से कम 20 अरब डॉलर व 2030 तक 30 अरब डॉलर का योगदान हासिल करना। 

संरक्षण सुरक्षा व पुनर्स्थापन

  • प्रतिनिधियों ने 2030 तक 30% भूमि व 30% तटीय या समुद्री क्षेत्र की रक्षा। इसे 30 बाय 30 (30/30) प्लान भी कहा जा रहा है।
  • इसके साथ ही 30% खराब भूमि और पानी को बहाल करना।
  • पौधों व जंतुओं की नष्ट होती प्रजाति को 2030 तक शून्य के करीब तक लाना जैव विविधता सम्मेलन का लक्ष्य रखा गया है।

चुनौतियाँ

  • धन प्रबंध के लक्ष्य पर लोकतांत्रिक राज्य कांगो की आपत्ति है। 
  • कीटनाशकों के उपयोग को दो तिहाई तक कम करना।  

लुप्तप्राय प्रजातियाँ-

  • वर्तमान में आईयूसीएन की लुप्तप्राय प्रजाति की लाल श्रेणी में 150000 प्रजातियों को दर्ज किया गया है। जिनमें विलुप्त होने के कतरे वाली लगभग 41000 प्रजातियां शामिल हैं।
  • इनमें 41% उभयचर, 38% शार्क और रे मछलियाँ, 33% कोरल रीफ, 27% स्तनधारी व 13% पक्षी शामिल हैं।

भारत में लुप्तप्राय प्रजातियाँ

  • भारत में पौंधों, जानवरों व कवक की 9472 प्रजातियाँ हैं। इसमें से 1355 प्रजातियां वर्तमान में खतरे की लाल सूची में हैं।
  • भारत में पेड़ो की 2608 प्रजातियाँ हैं, जिनमें 413 प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं।

जैव विविधता का आर्थिक प्रभाव

  • कीटों व रोगों के संक्रमण में वृद्धि पाई जा रही है, जिससे जैव विविधता के साथ साथ विश्व की अर्थव्यवस्था में नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जैसे कृषि उत्पादन में लगातार कमी देखी जा रही है, जो विश्व की अर्थव्यवस्था को सीधे प्रभावित कर सकता है।
  • एक आंकलन के अनुसार कोरल रीफ के कारण प्रतिवर्ष 375 बिलियन डॉलर की आय होती है,बढ़ते तापमान के कारण यह प्रजति संकट में है।
  • पशुओं के रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है जिससे उनकी प्रजनन क्षमता व दुग्ध उत्पादन में लगातार कमी दर्ज की जा रही है।

भारत में जैव संरक्षण हेतु प्रावधान-

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इण्डिया 1981 में स्थापित संगठन भारत सरकार के अंतर्गत कार्य करता है।

42वां संशोधन अधिनियम में वन, वन्यजीव व पक्षियों के संरक्षण को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया।

संविधान के अनुच्छेद 51A(g) में वन, वन्यजीव, पक्षी व पर्यावरण की सुरक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

 राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 48A के अनुसार राज्य, वन, वन्यजीवों के सुरक्षा का प्रयास करेगा।

वन्य जीव संरक्षण अधिनिय़म 1972– 

  • अधिनियम में निर्दिष्ट किसी जंगली जानवर के शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया है। 
  • किसी भी संरक्षित वन क्षेत्र से पौंधों को काटना व उखाड़ना प्रतिबंधित है।
  • सरकार किसी भी क्षेत्र को वन्य जीव अभ्यारण्य के रूप मे घोषित कर सकती है।
  • वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्राधिकरण की नियुक्ति करने का अधिकार सरकार को दिया गया है।
  • शिकार किए गए जंगली जानवर या मृत पाए गए जानवर के शरीर से बने वस्तुओं पर सरकार का अधिकार होगा                                                                                                                                                                                                                                           

स्रोत

https://indianexpress.com/article/explained/explained-climate/30-by-30-key-takeaways-un-cop15-biodiversity-summit-8333204/

https://newsonair.com/hindi/2022/11/25/

https://www.jansatta.com/national/29-species-are-on-the-verge-of-extinction-in-india/2552570/

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