बिमारु राज्य 

बिमारु राज्य 

बिमारु राज्य 

संदर्भ- हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश व राजस्थान में बिमारु राज्यों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लम्बे समय से राजस्थान बीमारु राज्य के रूप में उपेक्षित रहा किंतु अब उसे विकसित किया जा रहा है।

बिमारु राज्य 

हिंदी में बिमारु राज्य का अर्थ होता है बीमार। जनसांख्यिकीविद आशीष बोष ने इस शब्द का प्रयोग भारत में 1985 की जनसांख्यिकी के आधार पर परिवार नियोजन कार्यक्रम की रिपोर्ट में किया था। इस शब्द को मुख्यतः उन राज्यों के लिए प्रयोग किया जाता है जो जनसांख्यिकी वृद्धि के साथ आर्थिक विकास, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ गए हैं। जैसे- बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश आदि। कभी कभी उड़ीसा को भी बिमारु राज्य के रूप में शामिल किया जाता है।

बिमारु राज्यों का प्रभाव

स्थिर जनसांख्यिकी- देश ने स्थिर जनसांख्यिकी दर निर्धारित किया है किंतु दक्षिणी राज्यों की परिवार नियोजन कार्यक्रम में अच्छी प्रगति को बिमारु राज्यों के परिणाम प्रभावित करते हैं और राष्ट्रीय लक्ष्य तक पहुंच प्रभावित हो जाती है। स्थिर जनसांख्यिकी का तात्पर्य, प्रजनन दर 2.1 होने से है जो वर्तमान में 2.3 है। जनसंख्या वृद्धि में बिमारु राज्यों की भूमिका –

  • जनसांख्यिकीविद आशीष बोष के अनुसार देश की जनसंख्या दर में वृद्धि, 50.4% बीमारु राज्यों और 12.6% दक्षिणी राज्यों का योगदान होगा। इस रिपोर्ट के समय उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड अलग राज्य नहीं थे।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय के जनसंख्या पर राष्ट्रीय आयोग 2020 की रिपोर्ट के अनुसार बीमारु राज्यों में 2011 – 2036 तक 49.1% की जनसंख्या वृद्धि की संभावना है।(उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड को शामिल नहीं किया गया है)

     

बिमारु राज्यों की वर्तमान आर्थिक स्थिति

चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर – यह एक वर्ष से अधिक की निर्दिष्ट अवधि में किसी निवेश की वार्षिक वृद्धि दर है। यह किसी निवेश के रिटर्न की जानकारी देता है। वर्तमान मध्य प्रदेश 9.5% सीएजीआर के साथ भारत में सबसे तेजी से बढ़ रहा राज्य है। वहीं उत्तर प्रदेश का सीएजीआर 7% है। वहीं राजस्थान का सीएजीआर 10.86% सबसे अधिक है।

औद्योगिक विकास- मध्य प्रदेश वर्तमान में 11.98%की वार्षिक वृद्धि दर के साथ विकसित हो रहे सबसे प्रभावशाली राज्यों में से एक है। राजस्थान की औद्योगिक वार्षिक वृद्धि दर -7.50 है। इसी प्रकार राजस्थान में भी औद्योगिक विकास वृद्धि दर में कमी आई है।

प्रति व्यक्ति आय- उत्तर प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि 23% (2016-20) हुई है। 2020-21 में बिहार की प्रतिव्यक्ति आय 50555 रु. थी। वहीं मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय(2020-21) बढ़कर 63345 रुपये और राजस्थान की 72297 रुपये है।

स्वास्थ्य क्षेत्र- आईआईएम अहमदाबाद के एक अध्ययन के अनुसार देश के प्रति मिलियन लोगों पर ग्रामीण सरकारी अस्पतालों 20.74%हैं। जबकि बिहार में 17.83%, मध्य प्रदेश में 7.53%, उत्तर प्रदेश में 3.91% है जो कि देश के औसत सरकारी अस्पतालों के प्रतिशत से काफी कम है। राजस्थान की स्थिति स्वास्थ्य क्षेत्र में औसत से अधिक 61.19% है। 2019-20 के नीति आयोग के आंकड़ो के अनुसार ये चारों राज्य 19 राज्यों में सबसे अंतिम स्थान रखते हैं।

सरकार द्वारा प्रारंभ की गई योजनाएं-

बीमारु राज्यों की सबसे प्रमुख समस्या उनकी जनसंख्या वृद्धि दर व स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, जिसके लिए निम्न योजनाएं प्रारंभ की गई हैं-

  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
  • राष्ट्रीय परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति योजना।
  • प्रेरणा रणनीति
  • संतोष रणनीति
  • राज्य व जिला स्तर पर गुणवत्ता आश्वासन समितियों की स्थापना करके परिवार नियोजन सेवाओं में गुणवत्ता देखभाल आदि।

स्रोत

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