ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल

ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल

  • भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल बेचकर एक रक्षा निर्यातक देश की छवि बनाने का फैसला किया है। अब तक भारत को हथियारों के सबसे बड़े आयातक के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब भारत फिलीपींस की नौसेना के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल बेचेगा।
  • ब्रह्मोस मिसाइलों के निर्यात के लिए भारत आने वाला यह पहला विदेशी ऑर्डर है।
  • फिलीपींस ने ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए भारत के साथ $375 मिलियन (2,812 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। यह डील फिलीपींस के क्यूजॉन सिटी में नेशनल डिफेंस डिपार्टमेंट में आयोजित होने वाले एक इवेंट में की गई।
  • अतुल डी राणे, सीईओ, ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंडिया, संजीव जोशी, डिप्टी सीईओ, लेफ्टिनेंट कर्नल आर नेगी और प्रवीण पाठक इस अवसर पर उपस्थित थे।
  • गौरतलब है कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से तीन गुना यानी 4321 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मार करने में सक्षम है।
  • यह रक्षा सौदा चीन के लिए सही नहीं माना जाता है।
  • दरअसल, दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस का चीन के साथ विवाद है। फिलीपीन मरीन का इरादा ब्रह्मोस का उपयोग तट-आधारित एंटी-शिप मिसाइल के रूप में करना है।  दक्षिण चीन सागर उन संभावित क्षेत्रों में से एक है जहां इस प्रणाली को तैनात किया जा सकता है।
  • इस सौदे में तीन बैटरियों की डिलीवरी, ऑपरेटरों और अनुरक्षकों के लिए प्रशिक्षण और एक एकीकृत रसद समर्थन (ILS) पैकेज शामिल है।
  • ब्रह्मोस के सौदे की परिकल्पना 2017 में की गई थी और फिलीपींस के राष्ट्रपति के कार्यालय ने 2020 में सेना की “क्षितिज 2 प्राथमिकता परियोजनाओं” में इसे शामिल करने की मंजूरी दी थी।

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