भारतीय कृषि : वर्तमान समस्या और दीर्घकालीन समाधान

भारतीय कृषि : वर्तमान समस्या और दीर्घकालीन समाधान

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन – भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , भारतीय कृषि , न्यूनतम समर्थन मूल्य, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, प्रत्यक्ष आय और निवेश सहायता, कर्ज़ माफी। 

खबरों में क्यों ? 

  • फरवरी 2024 में हजारों की संख्या में पंजाब के किसान हरियाणा की सीमा पर तीन स्थानों पर एकत्र हुए हैं, जहां उन्हें दिल्ली तक मार्च करने से रोक दिया गया है।
  • इन प्रदर्शनकारी किसानों की प्रमुख मांग भारत के केंद्र सरकार से फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत एमएसपी, कर्ज माफी, कृषि क्षेत्र को प्रभावित करने वाले अंतरराष्ट्रीय समझौतों को रद्द करने और किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए न्यूनतम 5,000 रुपये की पेंशन की मांग शामिल हैं। इनमें से कुछ मांगें 2021-22 में उनके पहले विरोध प्रदर्शन के दौरान उठाई गई थीं, जिसे केंद्र सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग करने वाले तीन विवादास्पद कानूनों को वापस लेने के बाद बंद कर दिया गया था।
  • इस विरोध का नेतृत्व एसकेएम (गैर-राजनीतिक) द्वारा किया जा रहा है, जो उस निकाय से अलग हुआ समूह है जिसने इससे पहले विरोध का नेतृत्व किया था। यह विभाजन हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हित समूहों में दरार का प्रतीक है। और राजस्थान. कम से कम तीन अन्य प्रकार के विरोध प्रदर्शन ज़ोर पकड़ रहे हैं। 
  • पश्चिमी यूपी में किसान जेवर हवाईअड्डा परियोजना और यमुना एक्सप्रेसवे से प्रभावित लोग भी विरोध – प्रदर्शनों में सरकार के आमने-सामने हैं। 
  • हरियाणा के सोनीपत में किसान बिजली केबल के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं।
  • एसकेएम और कई ट्रेड यूनियनों ने ओवरलैपिंग और अतिरिक्त मांगों के साथ 16 फरवरी को राष्ट्रीय स्तर पर और औद्योगिक हड़ताल का आह्वान किया है जिसमें चार श्रम कानूनों को निरस्त करने की मांग शामिल है।
  • केंद्र सरकार ने पंजाब के किसानों के साथ बातचीत शुरू कर दी है, लेकिन एमएसपी की कानूनी गारंटी की संभावना नहीं दिख रही है। 
  • हरियाणा और दिल्ली में पुलिस ने किसानों को दिल्ली से 200 किमी से अधिक दूर रोक दिया है क्योंकि वे किसानों को फिर से देश की राष्ट्रीय राजधानी की सीमा के अंदर नहीं घुसने देंगे क्योंकि वर्ष 2021-22 में किसानों ने विरोध – प्रदर्शन के दौरान दिल्ली के लालकिले पर असामाजिक तत्वों द्वारा असंवैधानिक कृत्य किया था। 
  • भारतीय खाद्य निगम द्वारा एमएसपी – आधारित खरीद खाद्य सुरक्षा का आधार रही है। अनाज के अधिशेष उत्पादकों को एमएसपी योजना से लाभ हुआ है, लेकिन यह योजना गरीब क्षेत्रों में निर्वाह करने वाले किसानों को नजरअंदाज कर देती है। 
  • हाल ही में तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा की पराजय का एक बड़ा कारण सरकार द्वारा किसानों की अनदेखी को भी माना गया है । लगातार ऐसी खबरें मिलने का सिलसिला चलता रहा कि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिला था। ऐसी खबरें भी चर्चा में रहीं कि आलू और प्याज़ जैसी फसलों की लागत तक न निकल पाने के कारण किसानों ने अपनी फसल खेतों में ही नष्ट कर दी। इसके अलावा अन्य कृषि उपजों का भी किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता।
    देशभर में किसानों के असंतोष का सबसे बड़ा कारण उनकी उपज का सही मूल्य न मिलना रहा है और यही उनकी सबसे बड़ी समस्या है। किसानों की समस्याएँ कोई नई नहीं हैं; लेकिन उनके समाधान की ईमानदार कोशिशें होती कभी नज़र नहीं आईं। किसानों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें भी पिछले कई वर्षों से चर्चा में हैं। किसानों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में निकाली गई विशाल रैलियाँ उनके असंतोष को बताने के लिए पर्याप्त है।

भारतीय कृषि की समस्या की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि  : 

  • सन 1947 से अब तक देश के हर क्षेत्र ने पर्याप्त विकास किया है। आज भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम विश्व के सफलतम अंतरिक्ष कार्यक्रमों में शामिल है। भारतीय सेना विश्व की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक  है तथा भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की पाँच सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत ने अन्य क्षेत्रों में भी नियमित रूप से विकास की नई कहानियाँ लिख रहा है।
  • इन उपलब्धियों के बावजूद एक ऐसा क्षेत्र भी है जो आज भी विकास की दौड़ में कहीं पीछे रह गया है। खाद्य सुरक्षा, ग्रामीण रोजगार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला कृषि क्षेत्र आज भी उस स्थिति में नहीं पहुँच पाया है जिसे संतोषजनक माना जा सके। इसका परिणाम यह हुआ है कि कृषि पर निर्भर देश के करोड़ों लोग आज भी बेहद अभावों में जीवन जीने को विवश हैं और कई बार ये कृषि के माध्यम से अपनी बुनियादी जरूरतें भी नहीं पूरी कर पाते हैं।

भारतीय कृषि के अपर्याप्त विकास की  मूल समस्या : 

भारतीय कृषि के अपर्याप्त विकास के मूल में कुछ ऐसी समस्याएँ हैं जिन्हें दूर किये बिना भारत में कृषि क्षेत्र का विकास संभव नहीं है।  ये समस्याएँ निम्नलिखित हैं – 

  1. भारत के अधिकांश हिस्सों में आज भी सिंचाई सुविधाओं की कमी है। निजी तौर पर सिंचाई सुविधाओं का प्रबंध वही किसान कर पाते हैं जिनके पास पर्याप्त पूँजी उपलब्ध है क्योंकि सिंचाई उपकरणों जैसे ट्यूबवेल स्थापित करने की लागत इतनी होती है कि गरीब किसानों के लिये उसे वहन कर पाना संभव नहीं है। इस प्रकार अधिकांश किसान मानसून पर निर्भर हो जाते हैं और समय पर वर्षा न होने पर उनकी फसलें खराब हो जाती हैं और कई बार निर्वाह लायक भी उत्पादन नहीं हो पाता। इसी तरह अधिक वर्षा होने पर या विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी फसलें खराब हो जाती हैं और किसान गरीबी के दलदल में फंसता जाता है।
  2. भारतीय किसानों की एक बड़ी आबादी के पास बहुत कम मात्रा में कृषि योग्य भूमि उपलब्ध है। इसका एक बड़ा कारण बढ़ती हुई जनसंख्या भी है। इसके परिणामस्वरूप कृषि किसानों के लिये लाभ कमाने का माध्यम न होकर महज निर्वाह करने का माध्यम बन गई है जिसमें वे किसी तरह अपना और अपने परिवार का निर्वाह कर पाते हैं। भारतीय कृषि क्षेत्र प्रछन्न बेरोजगारी की भी समस्या से जूझने वाला क्षेत्र है।
  3. किसानों को अक्सर उनकी उपज की पर्याप्त कीमत नहीं मिलती है, इसका एक बड़ा कारण यह है कि वे अपनी फसलों को विभिन्न कारणों से जैसे ऋण चुकाने के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमतों पर ही बेंच देते हैं। जिसके कारण उन्हें काफी हानि का सामना करना पड़ता है।
  4. भारत के कृषि क्षेत्र में आधुनिक उपकरणों और तकनीकों का प्रयोग न कर पाना, परिवहन सुविधाओं की कमी, भंडारण सुविधाओं में कमी, परिवहन की सुविधाओं में कमी, अन्य आधारभूत सुविधाओं का अभाव तथा मिट्टी की गुणवत्ता में कमी के कारण उपज में आती कमी इत्यादि समस्याएँ शामिल हैं।
  5. भारत के ज्यादातर किसानों के पास कृषि में निवेश के लिए पूँजी का अभाव/ कमी है। आज भी देश के ज्यादातर किसानों को व्यावहारिक रूप में संस्थागत ऋण सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता। कई बार किसानों के पास इतनी भी पूँजी नहीं होती कि वे बीज, खाद, सिंचाई जैसी बुनियादी चीजों का भी प्रबंध कर सकें। इसका परिणाम यह होता है कि किसान समय से फसलों का उत्पादन नहीं कर पाते अथवा अपर्याप्त पोषक तत्वों के कारण फसलें पर्याप्त गुणवत्ता की नहीं हो पाती हैं। इसके साथ ही पूंजी के अभाव में किसान को निजी व्यक्तियों से ऊँची ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है जिससे उसकी समस्याएँ कम होने की जगह बढ़ जाती हैं। इस संबंध में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई किसान सम्मान निधि योजना किसानों के लिये काफी मददगार साबित हो रही है। इससे किसानों की कृषि संबंधी बुनियादी जरूरतों की पूर्ति करने में काफी हद तक सहायता मिल जाती है।

भारत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए शुरू किया गया महत्वपूर्ण पहल : 

भारत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में अवसंरचनात्मक स्तर पर सुधारों और किसानों की आय दोगुना करने के लिए  7 सूत्रीय रणनीतिक पहल शुरू किया गया है। जो निम्नलिखित है – 

  1. भारत सरकार द्वारा कृषि उपज को नष्ट होने से बचाने के लिए गोदामों और कोल्ड स्टोरेज पर निवेश को बढ़ाया जा रहा है। इससे उपज की बर्बादी रुकेगी, खाद्य सुरक्षा की स्थिति और मजबूत होगी तथा शेष उपज का अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में निर्यात भी किया जा सकता है।
  2. केंद्र सरकार द्वारा किसानों को उनकी कृषि उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार के निर्माण पर बल दिया गया है। इससे पूरे देशभर में कृषि उपज की कीमतों में समानता आएगी और भारत के सभी राज्यों के किसानों को पर्याप्त लाभ मिल सकेगा।
  3. वर्तमान में भारत में कृषि क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करने पर बल दिया जा रहा है साथ ही खेतों में उर्वरकों की उतनी ही मात्रा का प्रयोग करने करने के लिए  जागरूकता का प्रसार किया जा रहा है जितनी मात्रा मृदा स्वास्थ्य कार्ड और मिटटी की उर्वरता के अनुसार प्रयोग करना उचित है। इससे मृदा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा साथ ही उर्वरकों पर होने वाले खर्च में भी प्रभावी कमी आएगी। इससे मृदा और जल प्रदूषण में भी कमी आएगी।
  4. प्रति बूंद-अधिक फसल रणनीति (Per Drop More Crop)- इस रणनीति के तहत सूक्ष्म सिंचाई पर बल दिया जा रहा है। इससे कृषि क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाले पानी की मात्रा में कमी आएगी। जिससे जल संरक्षण के साथ ही सिंचाई की लागत में भी कमी आएगी। ये रणनीति पानी की कमी वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से लाभदायक है।
  5. कृषि क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग करने पर बल दिया जा रहा है। इसके साथ – ही – साथ खेतों में उर्वरकों की उतनी ही मात्रा का प्रयोग करने करने के लिए जागरूकता का प्रसार किया जा रहा है जितनी मात्रा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार प्रयोग करना उचित है। इससे मृदा की गुणवत्ता में सुधार होगा साथ ही उर्वरकों पर होने वाले खर्च में भी प्रभावी कमी आएगी। इससे मृदा और जल प्रदूषण में भी कमी आएगी।
  6. खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से कृषि क्षेत्र में मूल्यवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपार संभावनाएँ निहित है।
  7. भारत में हर साल अलग-अलग क्षेत्रों में सूखे, अग्नि, चक्रवात, अतिवृष्टि, ओले जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इन जोखिमों को कम करने के लिए  वहनीय कीमतों पर फसल बीमा उपलब्ध कराया गया है। हालाँकि इसका वास्तविक लाभ अब तक पर्याप्त किसानों को नहीं मिल पाया है। इसका लाभ अधिकांश लोगों / किसानों तक पहुँचे इसके लिए  भारत सरकार को केन्द्रीय स्तर पर उपाय किए जाने चाहिए ।

भारतीय कृषि की समस्या का दीर्घकालीन समाधान : 

भारतीय कृषि और भारतीय किसानों की समस्याओं के दीर्घकालीन समाधान के लिए कुछ ऐसे सुधार आवश्यक है जिस पर राज्य सरकारों और केंद्र सरकार दोनों को ही ईमानदारीपूर्वक एवं अविलंब अमल कर समाधान करने की ज़रूरत है। वे सुधार निम्नलिखित है – 

  1. सरकारों द्वारा प्रत्यक्ष आय और निवेश सहायता की जरूरत।
  2. फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य का समर्थन। 
  3. किसानों की कर्ज़ माफी।

सरकारों द्वारा प्रत्यक्ष आय और निवेश सहायता : 

  • किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए तेलंगाना राज्य सरकार इस विकल्प की शुरुआत की गई। जिसे रायथू बंधु’ नाम दिया गया है। रायथू बंधु का अर्थ है – ‘ किसानों का मित्र’ । यह एक किसान निवेश सहायता योजना है, जिसके तहत तेलंगाना सरकार किसानों को रबी और खरीफ की फसलों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना के तहत कृषि निवेश का समर्थन करने के लिए प्रति फसल मौसम/ सीजन के लिए तेलंगाना राज्य सरकार किसानों को 4000 रुपए प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। रबी और खरीफ के मौसम के लिए सालाना दो बार यह वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है यानी सालाना 4000 रुपए प्रति एकड़ की वित्तीय सहायता। इस योजना के तहत किसानों को सहायता राशि का भुगतान मंडल (उप-जिला) कृषि अधिकारी के कार्यालय से चेक के रूप में किया जाता है। यह तेलंगाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली योजना है और इसकी  सावधानीपूर्वक निगरानी भी की गई। इस योजना के अलावा तेलंगाना में किसानों को पाँच लाख रुपए का बीमा कवर भी दिया जा रहा है।

भारत में कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदम :

भारत में कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए और भारतीय किसानों की समस्याओं का समाधान करने के लिए कृषि बाज़ारों में आमूलचूल परिवर्तन करने की जरूरत है। इसके साथ – ही – साथ सरकारों द्वारा निम्नलिखित पहलों के माध्यम से भी भारतीय कृषि और भारतीय किसानों की दशा को नई दिशा प्रदान की जा सकती है – 

  1. न्यूनतम मूल्य समर्थन (MSP)  सिस्टम को मज़बूत बनाकर इसका दायरा बढ़ाना।
  2. कृषि उपज विपणन समितियों (APMCs) के मकड़जाल को तोड़ना और दलाल एवं बिचौलिए को खत्म करना।
  3. किसानों के कृषि उत्पादों को बाज़ारों तक पहुँचाने के लिए आपूर्ति – श्रृंखलाओं का विकास करना।
  4. उपभोक्ताओं, किसानों और बाज़ार के बीच बेहतर संपर्क विकसित करना ।
  5. समझौतायोग्य गोदाम रसीद  प्रणाली में सुधार करना। 
  6. भारत में आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 में संशोधन करना।
  7. ज़मीनों से जुड़े तथा चकबंदी आदि कानूनों को सरल बनाना
  8. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देना
  9. भारतीय किसानों के कृषि-निर्यात बढ़ाने के लिए सरल और अनुकूल माहौल तैयार करना।
  10. फूड प्रोसेसिंग की सुविधाओं का विकास करना।

किसानों की कर्ज़ माफी का मुद्दा : 

  • भारत में किसानों की कर्ज़ माफी योजना  किसानों की समस्या का कोई स्थायी समाधान साबित नहीं हुआ  है, क्योंकि भारत में इसका लाभ 20 से 30 प्रतिशत किसानों को ही  मिल पाता है। सरकार की इस सीमित पहुँच की वज़ह से भारतीय किसानों की व्यापक शिकायतों और समस्याओं का निवारण नहीं हो सकता है। क्योंकि वास्तव में कर्ज़ माफी जैसे अंतरिम उपायों से कृषि से होने वाली आय लगातार कम होते जाने की असल समस्या का समाधान नहीं हो पाता है।

भारतीय कृषि क्षेत्र में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता : 


भारतीय किसानों के वर्तमान हालात में यह देखा गया है कि समय बीतने के साथ – साथ भारतीय किसानों की हालत सुधरने के बजाय और खराब होती चली गई है। किसानों को संतुष्ट करने के लिए सरकारी स्तर पर  देश के नीति-निर्धारक समय – समय पर जो उपाय करते हैं, वे तात्कालिक राहत पहुँचाने वाले होते हैं। इन उपायों के तहत किसानों को लुभाने वाले कदम उठाए जाते हैं, जबकि ज़रूरत ऐसे संरचनात्मक उपायों की है जो दीर्घकालिक हों और किसानों की समस्या को स्थायी तौर पर हल कर सकें। जैसे- यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी योजना चलाना। इससे हर महीने एक निश्चित आय हो सकेगी और किसान अपनी उपज को औने-पौने दामों पर बेचने को विवश नहीं होंगे। लेकिन वास्तविकता यह है कि बिजली – पानी, खाद, कृषि के बुनियादी ढाँचे, विपणन और जोखिमों का सामना करने की क्षमता आदि जैसी किसानों की सामान्य समस्याओं को ही दूर करने में हम सफल नहीं हो पा रहे हैं।

भारत की कृषि का आधुनिक कृषि तकनीक और कृषि उपकरणों से वंचित होना : 

आज जब पूरी दुनिया में मानव गतिविधियों के हर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का उपयोग  हो रहा है, वहीं अधिकांश भारतीय कृषि अभी सदियों पुराने ढर्रे और परंपरागत तरीकों पर ही निर्भर है। आज तक भारतीय कृषि जगत में किसी तकनीक विशेष का प्रयोग नहीं हो रहा है। 15 साल पहले BT कॉटन का इस्तेमाल होना शुरू हुआ था, लेकिन उसके बाद ऐसा कोई प्रयोग कृषि क्षेत्र में नहीं हुआ है। आज मनुष्य के पास विभिन्न प्रकार की तकनीक मौज़ूद हैं, जैसे- जैव प्रौद्योगिकी, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी, उपग्रह प्रौद्योगिकी, परमाणु कृषि प्रौद्योगिकी और खाद्य प्रसंस्करण के लिए नैनो प्रौद्योगिकी। इन सबका प्रयोग भारतीय  कृषि क्षेत्र में नही किया जा सकता है।

भारत में कृषि क्षेत्र की विशेषताएं और इसमें सुधार करने के उपाय : 

भारत में कृषि क्षेत्र में सुधार करने के लिए निम्नलिखित 6-सूत्री योजना को अपनाकर भारतीय कृषि के क्षेत्र में आमूलचूल परिवतर्न किया जा सकता है। जिसका सकारात्मक प्रभाव भारतीय किसानों के हित में हो सकता है – 

  1. इनपुट वितरण प्रणाली को मज़बूत बनाना।
  2. सिंचाई सुविधाओं का तेज़ी से विस्तार करना । 
  3. भारतीय कृषि क्षेत्र में विविध तकनीकों का उपयोग करना ।
  4. ग्रामीण अवसंरचना त्मक क्षेत्र में निवेश करना  ।
  5. भारतीय कृषि क्षेत्र में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) का अधिकतम उपयोग करना। 
  6. भारतीय किसानों का क्षमता निर्माण को विकसित करना ।

निष्कर्ष / समाधान : 

  • भारत में कृषि राज्य सूची का विषय है और हर राज्य अपनी सुविधा और परिस्थितियों के अनुसार ही अपनी कृषि नीतियों का निर्धारण करता है। भारत में कृषि क्षेत्र के मामले में केंद्र और राज्यों को एकसाथ मिलकर काम करने की ज़रूरत है। लेकिन वर्तमान समय का एक कड़वा और वास्तविक सच यह भी है कि भारतीय किसानों को खेती-बाड़ी से जो आय हो रही है, वे उससे कहीं अधिक के हक़दार हैं। किन्तु केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए अल्पकालिक उपायों से भारतीय किसानों की आय में बढ़ोतरी कर पाना संभव नहीं है। इसके लिए लंबे समय तक प्रतिबद्धता और क्रमबद्ध तरीकों से समाधान करने के उपाय करने होंगे, तभी भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति में कुछ भी सुधार हो सकता है।
  • भारतीय खाद्य निगम द्वारा खरीद के असमान भौगोलिक विस्तार ने कुछ क्षेत्रों में अस्थिर कृषि पद्धतियों को भी जन्म दिया है, जबकि देश के अन्य क्षेत्रों में किसान हमेशा गरीबी के कगार पर रहते हैं। 
  • भारतीय कृषि क्षेत्र में खेती के लिए सार्वजनिक समर्थन में सुधार की मांग करता है, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा सहित कारणों से आवश्यक है। इसे व्यापक राजनीतिक परामर्श के माध्यम से और मौजूदा प्रणाली के लाभार्थियों को उत्पादन में विविधता लाने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करके बेहतर तरीके से हासिल किया जा सकता है। लोकसभा चुनाव से पूर्व किसानों के विरोध – प्रदर्शनों के मूल में राजनीतिक दलों की आपसी हितों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। कृषि क्षेत्र को सार्वजनिक समर्थन के एक नए मॉडल की आवश्यकता है। इसे बाजार की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता। सरकार को इस प्रश्न पर राष्ट्रीय सहमति बनाने के प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिए।
  • देश की अधिकांश आबादी कृषि पर ही निर्भर है। अत: देश में गरीबी उन्मूलन, रोजगार में वृद्धि, भुखमरी उन्मूलन इत्यादि तभी संभव है जब कृषि और किसानों की हालत में सुधार किया जाए। उपरोक्त उपायों को यदि प्रभावी तरीके से लागू किया जाए तो निश्चित तौर पर कृषि की दशा में सुधार आ सकता है। इससे इस क्षेत्र में व्याप्त निराशा में कमी आएगी, किसानों की आत्महत्या रुकेगी, और खेती छोड़ चुके लोग फिर से इस क्षेत्र में रुचि लेने लगेंगे।
  • भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय स्तर पर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से डेयरी, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, पोल्ट्री, मत्स्य पालन इत्यादि कृषि सहायक क्षेत्रों के विकास पर बल दिया जा रहा है। चूंकि देश के अधिकांश कृषक इन चीजों से पहले से ही जुड़े हुए हैं। अत: इसका सीधा लाभ उन्हें मिल सकता है। अब भारत में किसानों में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है, जिससे पशुओं की नस्ल सुधार जैसे कारकों पर प्रभावी तरीके से काम किया जाए।
  • देश की राजधानी की सीमा पर धरने पर बैठे किसानों से केंद्र सरकार को बातचीत के माध्यम से किसानों की शिकायतों का समाधान करना चाहिए।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारत में कृषि निम्नलिखित में से किससे संबंधित है ? 

(A) यह संघ सूची के विषयों के अंतर्गत आता है। 

(B) यह समवर्ती सूची के विषयों के अंतर्गत आता है। 

(C) यह राज्य के नीति – निर्देशक,, प्रस्तावना और मूल अधिकारों से संबंधित है।

(D) यह राज्य सूची के विषयों के अंतर्गत आता है। 

उत्तर – (D) 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. न्यूनतम समर्थन मूल्य से आप क्या समझते हैं ? भारत में कृषि क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं को रेखांकित करते हुए इसके दीर्घकालीन समाधान के उपायों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए। 

 

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