30 Dec भारतीय पुलिस व्यवस्था व नैतिकता
भारतीय पुलिस व्यवस्था व नैतिकता
संदर्भ– राष्ट्रपति मुर्मू ने हाल ही में सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में भारतीय पुलिस सेवा के 74 वे बैच को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारियों को ईमानदारी, निष्पक्षता, साहस, क्षमता और संवेदनशीलता के पाँच महत्वपूर्ण गुणों को ध्यान में रख कर कार्यवाही करनी चाहिए।
सरदार बल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी
राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, पुलिस सेवा अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए भारतीय राष्ट्रीय संस्थान है। यह अकादमी हैदराबाद में स्थित है। इस संस्थान की स्थापना 15 सितंबर 1948 को की गई थी। इस प्रशिक्षण के बाद अधिकारियों को संबंधित भारीय राज्य कैडर में भेज दिया जाता है। इसका आदर्श वाक्य सत्य सेवा सुरक्षणम है। इसके साथही नोलन समिति के सात सिद्धांत सिविल सेवकों के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं।
नोलन समिति के सात सिद्धांत- यह उन नैतिक मानकों की रूपरेखा तैयार करते हैं जिन्हें इन्हें सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वालों से पालन करने की उम्मीद की जाती है। इसलिए इन्हें सार्वजनिक जीवन के सिद्धांत या मूल्य भी कहा जाता है। इन मानकों की पहली रिपोर्ट लॉर्ड नेलन द्वारा सर्वप्रथम 1995 में तैयार की गई थी जो सार्वजनिक जीवन में आचार संहिता की एक श्रृंखला में शामिल हैं। नोलन समिति के सिद्धांत-
- निःस्वार्थता- किसी भी निजी वित्तीय लाभ से निर्णय लेना।
- सत्यनिष्ठता- किसी भी वित्तीय दायित्व युक्त संगठन के अधीन न होना जिससे उसके आधिकारिक दायित्व प्रभावित हों।
- वस्तुनिष्ठता- योग्यता के आधार पर चयन करना न कि किसी सिफारिश के आधार पर।
- जवाबदेही – अपने निर्णय के प्रति जवाबदेह होना।
- पारदर्शिता- सभी निर्णयों व कार्यों में पारदर्शिता
- ईमानदारी – सार्वजनिक हितों को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान कर उनका समाधान करना।
- नेतृत्व- नौकरशाहों को अपने नेतृत्व और सिद्धांतों के अनुरूप कार्यों से मिसाल पेश करनी चाहिए।
पुलिस : बल व सेवा
सेवा- नियम 6 में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी के लिए सेवा शब्द का प्रयोग हुआ है। अर्थात वे व्यक्ति,
- जो अनुसूची- एक में विनिर्दिष्ट पदों को मूल रूप में या स्थानापन्न रूप में धारण कर रहे हों;
- जो इन नियमों के प्रारंभ होने के पूर्व सेवा में भरती किए गए हों तथा अपने पैतृक विभाग / उपक्रम की सहमति से आयोग में संविलियन किए गये हो;
- जो इन नियमों के उपबंधों के अनुसार सेवा में भरती किए गये हों.
बल- राज्य सरकार के अधीन किसी भी पुलिस का गठन पुलिस अधिनियम 1861 के लिए एक पुलिस बल माना जाएगा। औऱ औपचारिक रूप से नामांकित किया जाएगा। इसमें पुरूषों की संख्या अधिक होगी। पुलिस बल के अधीनस्थ रैंक के सदस्यों के वेतन और सेवा के लिए सभी शर्तें राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जाएंगी।
औपनिवेशिक पुलिस व्यवस्था-
- औपनिवेशिक काल में पुलिस को पुनर्गठित करने व अपराध का पता लगाने, इसे अधिक कुशल साधन बनाने के लिए पुलिस अधिनियम 1861 लागू किया गया।
- यह कानून मूलतः औपनिवेशिक पुलिस व्यवस्था बनाने के लिए तैयार किया गया था जिससे विदेशी शासको के हितों की रक्षा और देश की जनता के अधिकारों का हनन हो सके।
आधुनिक पुलिस व्यवस्था-
नेशनल पुलिस आयोग – 1977 में नेशनल पुलिस आयोग का गठन किया गया जिसने पुलिस सुधार संबंधी आठ रिपोर्ट तैयार की गई। पुलिस हिरासत में हिंसात्मक कार्यवाही पर भी रिपोर्ट तैयार की गई।
आईपीसी की धारा 1860 के 330-331 के तहत किसी को भी नुकसान पहुँचाना दण्डनीय अपराध है, लेकिन सबूत न होने के करण इस धारा का लाभ पीड़ित को नहीं मिल पाता है।
एनपीसी के 1981 में बंद हो जाने पर 1996 में डीजीपी प्रकाश सिंह व एन के सिंह ने एनपीसी की सिफारिशों को लागू करने के लिए याचिका दायर की। 2006 में न्यायालय ने 7 निर्देश दिए, जिसके तहत –
- कानून बनाए रखने वाली व जाँच करने वाली पुलिस अलग अलग होनी चाहिए।
- जिला स्तर पर पुलिस कम्प्लेन अथॉरिटी का गठन हो, पुलिस अधिकारियों के खिलाफशिकायतों की जाँच कर सके।
रिबेरो समिति- इसकी पहली रिपोर्ट 1998 में आई जिसके तहत सिफारिश की गई कि-
- इसने हर राज्य में पुलिस परफॉर्मेंस अकाउंटेबिलिटी कमीशन व हर जिले में पुलिस शिकायतकमीशन बनाने की सिफारिश की।
- दूसरी रिपोर्ट 1999 में केंद्री पुलिस समिति ऐर जाँच व कानून व्यवस्था के लिए भिन्न भिन्न बल बनाने, इसके साथ ही हर राज्य में पुलिस भर्ती बल बनाने का सुझाव दिया।
संविधान में पुलिस की स्थिति-
- भारतीय संविधान में पुलिस बल राज्य का विषय हैं। प्रत्येक राज्य का अपना अलग पुलिस बल है।
- सार्वजनिक व्यवस्था व पुलिस को संविधान की सातवी अनुसूची के राज्य सूची में रखा गया है जो संघ व राज्य क्षेत्रों के विभाजन से संबंधित है।
- भारत के अलग अलग राज्यों में अलग अलग वर्दी है। हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन नेशन वन यूनिफॉर्म का सुझाव दिया है।
पुलिस की चुनौतियाँ-
- साइबर अपराध औऱ धोखाधड़ी
- पुलिस अधिकारियों के तबादले की समस्या, जो उनके कार्य को बाधित करता है।
- युवाओं में नशे की समस्या आदि।
पुलिस व्यवस्था में लगातार हो रहे सुधार पुलिस को संविधान के अनुरूप कर्य करने के लिए प्रेरित करते हैं। समय के साथ आरही चुनौतियों के साथ साथ कानून व्यवस्था में नए सुधार करने आवश्यक हैं।
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