भारत – ईएफटीए व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता

भारत – ईएफटीए व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन – अंतर्राष्ट्रीय संबंध , भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता, व्यापार सुगमीकरण, यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन, बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार एवं सतत विकास,  निवेश संवर्धन, मेक इन इंडिया कार्यक्रम  और आत्मनिर्भर भारत। 

 

खबरों में क्यों ? 

 

  • हाल ही में 10 मार्च, 2024 को, भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) ने एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किया है। 
  • ईएफटीए एक अंतर – सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना सन 1960 में हुई थी। 
  • इसका उद्देश्य अपने चार सदस्य देशों को लाभ पहुंचाने के लिए मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना है।
  • भारत ईएफटीए देशों, जिनमें स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं, के साथ व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता (टीईपीए) पर काम करता रहा है। 
  • भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ईएफटीए देशों के साथ टीईपीए पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।
  • यह एक संतुलित और मुक्त व्यापार समझौता है जो वस्तुओं, सेवाओं, निवेश, नवाचार में दोतरफा व्यापार के साथ ही उभरते भारत की आकांक्षाओं तथा नई वैश्विक मूल्य शृंखलाओं को दर्शाता है। 
  • भारत के लिए यह अपनी तरह का पहला व्यापार समझौता है जिसके माध्यम से भारत ने पश्चिमी देशों के किसी समूह के साथ व्यापारिक समझौता किया है।
  • इस समझौते पर वर्ष 2008 से ही काम चल रहा था, लेकिन यूपीए सरकार के जाने के बाद यह भारत सरकार की प्रमुख कार्यसूची से बाहर चला गया था। 
  • यह समझौता आसान वीजा नियमों के साथ भारतीय सेवा कंपनियों के लिए यूरोप के बाजार तक पहुंच को सुगम और आसान बनाता है।

 

यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ का परिचय  : 

  • ईएफटीए अपने चार सदस्य देशों जिनमें स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं के लाभ के लिए मुक्त व्यापार एवं आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सन 1960 में गठित एक अंतर – सरकारी संगठन है।
  • ईएफटीए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय समूह है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करने के लिए निरंतर अवसर बढ़ रहे हैं।ई एफटीए यूरोप में तीन महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉकों में से एक है (अन्य दो यूरोपीय संघ और यूके हैं)। ईएफटीए देशों में से स्विट्जरलैंड भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है उसके बाद नॉर्वे भी भारत का एक मुख्य  व्यापारिक साझीदार देश है।
  • टीईपीए एक आधुनिक और महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय व्यापार समझौता है। 
  • भारत पहली बार, यूरोप के चार विकसित देशों में से एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर कर रहा है जो महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर प्रदान करता है और मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देता है।

मुक्त व्यापार समझौता ( FTA ) का परिचय : 

  • मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात में बाधाओं को कम करने हेतु किया गया एक समझौता होता है।
  • मुक्त व्यापार समझौता के द्वारा एक मुक्त व्यापार नीति के तहत किसी भी वस्तुओं और सेवाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार खरीदा एवं बेचा जा सकता है, जिसके लिए बहुत कम या न्यून सरकारी सीमा शुल्क या कोटा या सब्सिडी दिया जाता है।
  • मुक्त व्यापार की अवधारणा व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद (Economic Isolationism) के विपरीत  होता है।

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौते की मुख्य विशेषताएं : 

 

 

भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौते में मुख्य रूप से 14 अध्याय शामिल हैं। अतः भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौते की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित प्रकार के  हैं – 

प्रत्यक्ष रोजगार के सृजन के उद्देश्य से निवेश को बढ़ावा देना :  

  • ईएफटीए द्वारा भारत में अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर के निवेश और 10 लाख  प्रत्यक्ष नौकरियों को सृजित करने या प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है। 
  • यह ऐतिहासिक प्रतिबद्धता लक्ष्य-उन्मुख निवेश और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए एक बाध्यकारी समझौते को रेखांकित करती है, जो एफटीए के इतिहास में पहली बार हुआ है। जो महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर प्रदान करता है और मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देता है।
  • इस निवेश में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शामिल नहीं है।

बाज़ार तक पहुंच और शुल्क में रियायत प्रदान करना : 

  • ईएफटीए अपनी 92.2 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है जो भारत के 99.6 प्रतिशत निर्यात को कवर करता है। ईएफटीए के बाजार पहुंच प्रस्ताव में 100 प्रतिशत गैर-कृषि उत्पाद और प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद (पीएपी) पर टैरिफ रियायत शामिल है।
  • भारत अपनी 82.7 प्रतिशत टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है जिसमें 95.3 प्रतिशत ईएफटीए निर्यात शामिल है जिसमें से 80 प्रतिशत से अधिक सोना का आयात शामिल है। सोने पर आयात शुल्क नहीं लगाने का विचार किया गया है।

क्षेत्रीय प्रतिबद्धताएँ सुनिश्चित करना : 

 

  • भारत ईएफटीए के लिए 105 उप-क्षेत्रों तक पहुंच प्रदान करता है और विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएं सुनिश्चित करता है, जिसमें स्विट्जरलैंड से 128, नॉर्वे से 114, लिकटेंस्टीन से 107 और आइसलैंड से 110 शामिल हैं।
  • इसमें फार्मा, चिकित्सा उपकरणों और प्रसंस्कृत खाद्य आदि क्षेत्रों में पीएलआई से संबंधित संवेदनशीलता को ध्यान में रखा गया है। जबकि इसमें डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पाद जैसे कुछ क्षेत्रों के  प्रस्तावों को इससे बाहर रखा गया है।

सेवाओं के निर्यात और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) को प्रोत्साहित करना : 

  • यह व्यापारिक समझौता (टीईपीए) प्रमुख ताकतवर या रुचि के क्षेत्रों जैसे आईटी सेवाओं, व्यावसायिक सेवाओं, व्यक्तिगत, सांस्कृतिक, खेल और मनोरंजक सेवाओं और अन्य शिक्षा सेवाओं तथा ऑडियो- विजुअल सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करेगा।
  • टीईपीए में बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित प्रतिबद्धताएं ट्रिप्स स्तर पर हैं। स्विट्जरलैंड के साथ आईपीआर अध्याय, जहां आईपीआर के लिए उच्च मानक हैं, हमारी मजबूत आईपीआर व्यवस्था को दर्शाता है। जेनेरिक दवाओं में भारत के हितों और पेटेंट की सदाबहारता (एवरग्रीनिंग) यानी सदाबहार की प्रक्रिया में शामिल पेटेंट कानून और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून के विशिष्ट पहलू, से संबंधित चिंताओं को पूरी तरह से संबोधित किया गया है।

सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी को प्रोत्साहित करना : 

  • ईएफटीए की सेवाओं की पेशकश में सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी, वाणिज्यिक उपस्थिति और प्रमुख कर्मियों के प्रवेश और अस्थायी प्रवास के लिए बेहतर प्रतिबद्धताओं और निश्चितता के माध्यम से बेहतर पहुंच को शामिल किया गया है।

व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता देने का प्रावधान : 

  • टीईपीए में नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आर्किटेक्ट आदि जैसी व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों के प्रावधान भी शामिल हैं।

 

सतत – विकास, समावेशी विकास और पर्यावरण संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता  : 

 

  • टीईपीए के तहत भारत सतत विकास, समावेशी विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए दृढ़ संकल्पित  है।

भारत के निर्यातकों के लिए व्यापार अनुकूल और निवेश का माहौल तैयार करना : 

  • टीईपीए भारतीय निर्यातकों को विशेष इनपुट तक पहुंच को सशक्त बनाएगा और व्यापार अनुकूल और निवेश माहौल को तैयार करेगा। इससे भारत में निर्मित वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और साथ – ही – साथ यह सेवा क्षेत्र को अधिक बाजारों तक पहुंचने का अवसर प्रदान करेगा।

व्यापार प्रक्रियाओं की पारदर्शिता, दक्षता, सरलीकरण, सामंजस्य और स्थिरता को बढ़ावा देना : 

  • टीईपीए के तहत भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के बीच व्यापार प्रक्रियाओं की पारदर्शिता, दक्षता, व्यापर सरलीकरण, सामंजस्य और स्थिरता को बढ़ावा देता है।

यूरोपीय संघ के बाजारों में एकीकृत होने का अवसर प्रदान करना : 

  • टीईपीए यूरोपीय संघ के बाजारों में एकीकृत होने का अवसर प्रदान करता है। 
  • स्विट्ज़रलैंड का 40 प्रतिशत से अधिक वैश्विक सेवा निर्यात यूरोपीय संघ को होता है। 
  • भारतीय कंपनियां यूरोपीय संघ तक अपनी बाजार पहुंच बढ़ाने के लिए स्विट्जरलैंड को आधार के रूप में देख सकती हैं।
  • यह यूरोपीय संघ के बाजारों में एकीकृत होने का अवसर प्रदान करता है, विशेष रूप से स्विट्जरलैंड के माध्यम से, जो यूरोपीय संघ के बाजारों तक पहुंच के लिए आधार के रूप में कार्य करता है।

घरेलू विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देना : 

  • टीईपीए बुनियादी ढांचे, फार्मास्यूटिकल्स और परिवहन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देता है।
  • यह अगले 15 वर्षों में भारत के युवा कार्यबल के लिए रोजगार सृजन में तेजी लाएगा और प्रौद्योगिकी सहयोग और अग्रणी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा।

नवाचार और अनुसंधान एवं विकास में विश्व की अग्रणी प्रौद्योगिकियों का सहयोग और पहुंच की सुविधा प्रदान करना :  

 

  • टीईपीए भारत में अगले 15 वर्षों में व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए बेहतर सुविधाओं सहित भारत के युवा महत्वाकांक्षी कार्यबल के लिए बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगारों के सृजन में तेजी लाएगा। टीईपीए सटीक इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास में प्रौद्योगिकी सहयोग और विश्व की अग्रणी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की सुविधा भी प्रदान करता है।

 

निष्कर्ष / समाधान की राह : 

  • इस मुक्त व्यापर समझौते के तहत भारत को  मिलने वाले सीमित लाभ के बावजूद भारत का इन चार यूरोपीय यूनियन राष्ट्रों के साथ यह मुक्त व्यापार समझौता द्विपक्षीय व्यापर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • यह आधुनिक और महत्वाकांक्षी समझौता यूरोप के चार विकसित देशों के साथ भारत के पहले मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का प्रतीक है, जो महत्वपूर्ण आर्थिक अवसर प्रदान करता है और मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देता है।
  • यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है जो वस्तुओं और सेवाओं के वैश्विक आदान-प्रदान में सुधार के लिए कई संभावनाएं प्रदान करता है। ईएफटीए यूरोपीय संघ (ईयू) और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ यूरोप के भीतर एक प्रमुख आर्थिक इकाई है, जिसके साथ भारत का द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता भारत की तेजी से बढती अर्थव्यवस्था के लिए “ मील का पत्थर “ साबित होगा।
  • मुक्‍त व्‍यापार शुरू होने के बाद इन देशों से भारत आने वाले सामनों की कीमतों में कटौती होगी, क्‍योंकि इस मुक्त व्यापर समझौते के तहत ये देश अपने आयात शुल्‍क को कम करेंगे। वहीं भारत से निर्यात किए वाले वस्‍तुओं के आयात शुल्‍क में भी कटौती आएगी। उदाहरण के लिए – स्विजरलैंड से स्विस चॉकलेट, घड़ी और बिस्‍कुट भारतीय बाजार में ज्‍यादा बिकता है। ऐसे में इस द्विपक्षीय व्यापारिक समझौते से इनकी कीमतों में कमी आएगी।
  • इससे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर,व्यापार समझौतों पर बातचीत और हस्ताक्षर करने में सुविधा मिलेगी।
  • यह अपने सदस्य देशों के बाज़ारों तक पहुंच प्रदान करता है। यह व्यापार और निवेश के अवसरों को सुविधाजनक बनाता है, तथा यह व्यापार उदारीकरण को बढ़ावा देने के लिए टैरिफ में कटौती और रियायतें लागू करता है।
  • ईएफटीए समझौता यह भी दिखाता है कि भारत पहली बार एक आर्थिक समझौते में श्रम, मानवाधिकार, पर्यावरण और लिंग जैसे गैर – व्यापारिक मुद्दों को शामिल करने के लिए राजी हुआ है। इस बात पर बहस हो सकती है कि क्या व्यापारिक समझौतों में इन मुद्दों का समावेश करना आवश्यक है या नहीं है , लेकिन यह ईयू जैसे उन संभावित सहयोगियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है जो इन्हें बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. ईएफटीए एक अंतर – सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना सन 1990 में हुई थी।
  2. मुक्त व्यापार की अवधारणा व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद के विपरीत होता है।
  3. भारत के राष्ट्रपति ने ईएफटीए देशों के साथ टीईपीए पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी है।
  4. ईएफटीए देशों में स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A). केवल 1 और 3

(B). केवल 2 और 4 

(C ). केवल 1 और 4 

(D). केवल 2 और 4 

उत्तर – (D) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता के प्रमुख प्रावधानों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि यह मुक्त व्यापार समझौता किस प्रकार द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत और घरेलू विनिर्माण क्षेत्र एवं रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा? तर्कसंगत व्याख्या कीजिए।

  

 

 

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