भारत और खाड़ी देश

भारत और खाड़ी देश

भारत और खाड़ी देश

संदर्भ- सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूएस, यूएई और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच रियाद में सप्ताहांत की बैठक खाड़ी में दिल्ली और वाशिंगटन के बीच बढ़ते रणनीतिक अभिसरण को रेखांकित करती है। यह अरब प्रायद्वीप में भारत की नई संभावनाओं पर भी प्रकाश डालता है।

वर्तमान में खाड़ी देशों में चीन का प्रभाव है और अमेरिका खा़ड़ी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। भारत को अपनी गुटनिरपेक्ष नीतियों के अनुसार अमेरिका और खाड़ी देशों की कार्यवाहियों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। जबकि भारत और अमेरिका संयुक्त रूप से खाड़ी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं।

खाड़ी देश- खाड़ी देश, फारस की खाड़ी से लगे देशों के लिए संदर्भित शब्द है। यह सभी देश खाड़ी सहयोग परिषद में सम्मिलित हैं और ये देश हैं-

  • बहरीन
  • कुवैत
  • ओमान
  • कतर
  • सउदी अरब
  • संयुक्त अरब अमीरात

गुटनिरपेक्ष नीति और ध्रुवीय विचारधारा पर भारत के कदम 

भारत की विदेश नीति गुटनिरपेक्ष रही है, जो स्वतंत्र राजनीति व अहस्तक्षेप पर आधारित होती है। भारत की विदेश नीति द्वारा लिए गए निर्णय अधिकतर लीक से हटकर रहे हैं, जो अन्य देशों के लिए नए उदाहरण साबित हुए हैं। जैसे-

  • भारत और रूस की बढ़ती दोस्ती के साथ ही भारत अमेरिका संबंधों को अवास्तविक अथवा विदेश नीति के नए पहलू के रूप में देखा जा रहा था।
  • 1992 से पहले भारत व इजराइल के मध्य कोई व्यवहार नहीं था इसके साथ ही भारत, फिलीस्तीन की स्वतंत्रता का समर्थक था। इजराइल और फिलीस्तीन दोनों एक विशेष क्षेत्र के लिए परस्पर विरोधी थे। किंतु भारत ने एकपक्षीय विचारधारा की परंपरा से हटते हुए इजराइल के साथ द्विपक्षीय संबंध स्थापित किए।
  • प्रारंभ में अपने सीमित संसाधनों के कारण खाड़ी व पड़ोसी देशों के साथ मित्रता या अन्य राजनीतिक व आर्थिक संबंध के स्थान पर भारत ने देश की आंतरिक स्थिति को मजबूत करने का मार्ग चुना। जिससे खाड़ी देशों के साथ भारत पूर्व में संबंधित नहीं था। 
  • भारत के खाड़ी देशों के साथ पूर्व में कोई संबंध न होने के बावजूद वह I2U2 समूह में शामिल है। जिसमें भारत, इंडोनेशिया, इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात सम्मिलित हैं।

भारत व खाड़ी देशों के संबंधों का प्रभाव

व्यापार- भारत व खाड़ी देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किया जा रहे हैं। भारत व खाड़ी देशों के बीच बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्यक्रम के साथ पर्यटन व विकास कार्यक्रमों में भागीदारी सुनिश्चित करता है। 2021-22 में खाड़ी का कुल व्यापार 189 अरब डॉलर व्यापार का रहा है। 

ऊर्जा सुरक्षा- खाड़ी देश प्रमुखतया तेल और गैस उत्पादक देश हैं, भारत तेल व गैस जैसे जीवाश्म ईंधन के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर है। भारत के इन देशों से अच्छे संबंध भारत के लिए ऊऱ्जा सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते हैं। इसके साथ ही भारत के साथ खाड़ी देशों में संयुक्त अरब अमीरात, अरब, कतर व कुवैत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के सदस्य हैं। 

डायस्पोरा- डायस्पोरा का अर्थ होता है किसी देश के विशेष समूह का देश के बाहर किसी अन्य देश में निवास करना। भारत का एक बड़ा समूह खाड़ी देशों में निवास करता है। खाड़ी देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध, भारतीय डायस्पोरा श्रमिकों की खाड़ी देशों में सुरक्षा व अधिकारों को सुनिश्चित करने में सहायक होंगे।

भारत – खाड़ी देशों की चुनौतियाँ

चीन का वर्चस्व- अमेरिका के पुराने सहयोगी व भारत के करीबी होने के साथ, चीन का खाड़ी देशों पर प्रभुत्व जारी है। जो खाड़ी देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकता है। 

क्षेत्रीय अस्थिरता-मध्य एशिया में बढ़ती अस्थिरता जैसे सीरियाई गृहयुद्ध, ISIS चरमपंथियों की गतिविधियों के कारण क्षेत्रीय अस्थिरता बनी हुई है। इसके साथ ही खाड़ी देशों के करीबी देश सूडान में चल रहे गृहयुद्ध के कारण खाड़ी देशों में अस्थिरता बनी हुई है। जो उनके विदेशी संबंधों को प्रभावित कर सकती है। 

व्यापारिक केंद्र- मध्य एशिया प्रारंभ से ही वैश्विक व्यापार का केंद्र रहा है, प्रारंभ में यह सिल्क रूट के मध्य स्थित था। जिस कारण यह विश्व के सबसे व्यस्त मार्गों में एक है। अतः खाड़ी देशों में राजनीतिक प्रतिद्वंदिता व गृहयुद्ध की स्थिति के कारण भी यह भारत के साथ मध्य एशियाई देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

आगे की राह-

  • भारत व खाड़ी देशों को सांस्कृतिक रूप से एक साथ लाने के प्रयास किए जा सकते हैं। 
  • परस्पर देशों के पर्यटन व शिक्षा को बढ़ावा देना। 
  • तेल व गैस के व्यापार पर ही निर्भर न रहकर नवीकरणीय स्रोतों व अन्य उत्पादों के व्यापार के लिए देशों को सहयोग दिया जा सकता है। 

स्रोत

Indian Express

Yojna IAS daily current affairs hindi med 13 May 2023

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