09 May भारत का कृषि निर्यात
भारत का कृषि निर्यात
संदर्भ- हाल ही में वर्ष 2022-23 का कृषि निर्यात रिकॉर्ड किया गया जो वर्ष 2021-22 के रिकॉर्ड से अधिक था। वाणिज्य विभाग के अनंतिम आंकड़े बताते हैं कि 2022-23 के दौरान कुल कृषि निर्यात 53.15 अरब डॉलर और आयात 35.69 अरब डॉलर रहा, जो पिछले साल के क्रमश: 50.24 अरब डॉलर और 32.42 अरब डॉलर के रिकॉर्ड को पार कर गया।
भारत की कृषि व्यवस्था
- भारत प्राचीन काल से ही कृषि प्रधान देश रहा है जिसका अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान रहता है।
- भारत के व्यापार में कृषि का योगदान 64.5% है। जो भारत की आय में लगभग 27.4% का योगदान देता है।
- भारत अपने कुल निर्यात का लगभग 18% कृषि क्षेत्र पर निर्भर करता है।
कृषि निर्यात आंकड़े
समुद्री उत्पाद – समुद्री उत्पाद का भारत के निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान है, इसमें फ्रोजन फिश, फ्रोजन कटल फिश, अन्य और फ्रोजन स्कवीड, इत्यादि निर्यात किए जाते हैैं। समुद्री उत्पादों का निर्यात 2013-14 के 5.02 अरब डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 8.08 अरब डॉलर हो गया है।
India’s top Agri Export items in $ million
Product | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 |
Marine products | 5962.39 | 7772.36 | 8077.97 |
Non-basmati rice | 4810.8 | 6133.63 | 6355.75 |
Sugar | 2789.91 | 4602.65 | 5770.64 |
Basmati rice | 4018.41 | 3537.49 | 4787.5 |
Buffalo meat | 3171.13 | 3303.78 | 3193.69 |
Raw cotton | 1897.21 | 2816.24 | 781.43 |
Fruits & vegetables | 1492.51 | 1692.48 | 1788.65 |
Oilmeals | 1585.04 | 1031.94 | 1600.9 |
Wheat | 567.93 | 2122.13 | 1519.69 |
Processed F&V | 1120.26 | 1190.59 | 1417.08 |
Oilseeds | 1235.67 | 1113.65 | 1337.95 |
Castor oil | 917.24 | 1175.5 | 1265.64 |
Tobacco | 876.71 | 923.57 | 1213.37 |
Other cereals | 705.38 | 1087.39 | 1193.47 |
Coffee | 719.66 | 1020.74 | 1146.17 |
चावल- भारत नदी प्रधान देश है जिसमें नदियों के द्वारा लाए गए निक्षेप से उपजाउ भूमि बहुतायत मात्रा में मिल जाती है। तथा अत्यधिक नदियाँ होने के कारण चावल का उत्पादन बड़ी माोत्रा में होता है। भारत विश्व में चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
चावल का निर्यात भी 7.79 अरब डॉलर से बढ़कर 11.14 अरब डॉलर हो गया है। लेकिन यह गैर-बासमती चावल (दोगुने से अधिक, $2.93 बिलियन से $6.36 बिलियन) द्वारा संचालित किया गया है, प्रीमियम-कीमत वाले बासमती शिपमेंट का मूल्य वास्तव में घट रहा है ($4.86 बिलियन से $4.79 बिलियन)।
- बासमती का निर्यात मुख्य रूप से फारस की खाड़ी के देशों और कुछ हद तक अमेरिका और ब्रिटेन को होता है।
- एशिया (बांग्लादेश, चीन, श्रीलंका, मलेशिया, वियतनाम, संयुक्त अरब अमीरात और इराक) और अफ्रीका (सेनेगल, आइवरी कोस्ट और बेनिन से सोमालिया और मेडागास्कर) में फैले गंतव्यों के साथ गैर-बासमती शिपमेंट अधिक विविध हैं। गैर-बासमती चावल के निर्यात के कारण भारत, थाईलैंड से बड़ा चावल निर्यातक बन गया है।
चीनी – भारत ब्राजील के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। वित्त वर्ष 2010-11 के बाद से, भारत निरंतर चीनी का अधिशेष उत्पादन करता रहा है और आराम से घरेलू आवश्यकताओं से अधिक उत्पादन करता रहा है। 2017-18 में मात्र 810.90 मिलियन डॉलर से 2019-20 में 1.97 बिलियन डॉलर, 2020-21 में 2.79 बिलियन डॉलर, 2021-22 में 4.60 बिलियन डॉलर और 2022-23 में 5.77 बिलियन डॉलर की निरंतर वृद्धि हुई है।
- भारतीय मिलों ने कच्ची चीनी (बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मलेशिया, सऊदी अरब और इराक में रिफाइनरियों के बीच) और नियमित वृक्षारोपण सफेद (अफ्रीकी देशों, अफगानिस्तान, श्रीलंका और चीन में) दोनों के लिए बाजारों का निर्माण किया है।
मसाले- भारत के कृषि योगदान में हमेशा से मसालों का विशेष योगदान रहा है, हाल ही में मसालों के निर्यात के आंकड़ों में वृद्धि दर्ज की गई है। मसालों का निर्यात 2013-14 के 2.5 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2020-21 में लगभग 4 बिलियन डॉलर हो गया।
- काली मिर्च और इलायची जैसे पारंपरिक रोपण मसालों से नहीं, बल्कि मिर्च, पुदीना उत्पादों, जीरा, हल्दी, अदरक, धनिया, सौंफ और अन्य बीज आदि।
बीफ- भारत से बीफ के निर्यात का सर्वदा विरोध होता रहा है, इसका कारण भारतीय संस्कृति में पशु विशेषकर गाय को लेकर लोग संवेदनशील हैं। किंतु वियतनाम व कंबोडिया में निर्यात होने वाला बीफ, भैंस का मांस भारत के व्यापार में विशेष गति देता है। भैंस के मांस का निर्यात 2022-23 में 4.78 अरब डॉलर तक पहुँच गया था।
कपास- भारत विश्व में कपास का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। 2023 में कपास का निर्यात 781.43 मिलियन डॉलर रहा जबकि 2011-12 में इसका निर्यात 4.33 बिलियन डॉलर था। भारत का सर्वाधिक कपास निर्यात यूरोपीय देशों में होता है किंतु इस वर्ष यूरोप में मंदी के कारण कपास के निर्यात में कमी की संभावना है।
कृषि आयात आंकड़े
वनस्पति तेल- भारत के आयातित वस्तुओं में सबसे महत्वपूर्ण स्थान वनस्पति तेल का है। वनस्पति तेल का भारत में आयात प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। 2020-21 में 11089.12 मिलियन डॉलर था और 2022-23 में यह 20837 मिलियन डॉलर हो गया है। भारत के वनस्पति तेल की आवश्यकता का 60% आयात किया जाता है
ताजा फल – भारत की विविध जलवायु ताजा फल और सब्जियों के सभी किस्मों की उपलब्धता को सुनिश्चित करती है। यह चीन के बाद विश्व में फलों और सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
- वर्ष 2020-21 के दौरान, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय बागवानी डेटाबेस (दूसरा अग्रिम अनुमान) के अनुसार भारत में फलों का उत्पादन 102.48 मिलियन मीट्रिक टन व सब्जियों का उत्पादन 200.45 मिलियन मीट्रिक टन हुआ।
- इसका आयात 2019-20 और 2022-23 के बीच 9.67 अरब डॉलर से 20.84 अरब डॉलर हो गया है।
दाल- दालों के लिए भारत की विदेशों पर निर्भरता लगभग 10% रह गई है, आयात का मूल्य भी 2016-17 में $4.24 बिलियन (6.7 मिलियन टन) से घटकर 2022-23 में $1.94 बिलियन (2.5 मिलियन टन) हो गया है।
भारतीय निर्यात से संबद्ध चुनौतियां
बुनियादी ढ़ाचे की कमी- भारत एक विकासशील देश है जहां बुनियादी ढांचे के निर्माण की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण परिवहन और निर्यात खर्च महंगा साबित होता है।
नवाचार की कमी- भारतीय व्यापार को मजबूत करने के लिए नवाचार और अनुसंधान में निवेश आवश्यक है। वैश्विक नवाचार में भारत अब भी 57वे स्थान पर है, जिसमें सुधार की आवश्यकता है।
दक्षिण पश्चिमी मानसून- भारत में मानसून का समय जून से सितंबर माह तक रहता है यदि इस समय भारत में कम बारिश रहती है तो भारत के निर्यात में इसका नकरात्मक प्रभाव पड़ता है।
एथेनॉल का निर्माण- भारत में ईंधन हेतु एथेनॉल के निर्माण के लिए कई खाद्यान्नों की आवश्यकता होगी जिसके कारण टूटे चावल, गन्ना के निर्यात में कमी की गई है, तथानिर्आत शुल्क को बढ़ा दिया गया है, जिससे भारत के निर्यात में कमी आई है।
वर्तमान उपज व रकबा- भारत में एक लम्बे समय से फसल उत्पादन क्षेत्र में कमी आ रही है, अर्थात लोग कृषि व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं, जिसके कारण भारत का अत्यधिक उपजाउ क्षेत्र व्यर्थ जा रहा है। इसके साथ जलवायु परिवर्तन के साथ फसलों के समय कई क्षेत्रों में बाढ़ व कई क्षेत्रों में सूखे की समस्या बनी रहती है।
आगे की राह
- भारत में बुनियादी ढांचों जैसे परिवहन संसाधनों का निर्माण करने की आवश्यकता है।
- कृषि क्षेत्र के अनुसंधान व नवाचार में निवेश कर देश की कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है,
- इसके साथ ही भारत में रकबा को बढ़ाने के लिए मूल्यवर्धित फसलों के उत्पादन के लिए कृषकों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
स्रोत
Yojna daily current affairs hindi med 9 May 2023
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