भारत जलवायु आपदा मुआवजा।

भारत जलवायु आपदा मुआवजा।

भारत जलवायु आपदा मुआवजा।
संदर्भ- हाल ही में भारतीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बयान दिया है कि भारत व उसके पड़ोसी देश लगातार गर्मी, बाढ़ व सूखे से जूझ रहे हैं। भारत विकसित देशों के साथ लगातार काम कर रहा है ताकि वह जलवायु परिवर्तन से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के लिए नवमबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र वार्षिक जलवायु शिखर सम्मेलन में मुआवजे की मांग कर पाए।
भारत में जलवायु परिवर्तन- भारत में जलवायु परिवर्तन का असर लगातार बढ़ता जा रहा है। 2022 में लगातार बाढ़ व सूखे की घटनाओं ने देश की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया। इसमें असम, उड़ीसा, केरल, कर्नाटक और मुंबई में बाढ़ ने और दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों को सूखे ने आर्थिक व सामाजिक रूप से प्रभावित किया।
IPCC की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार अगर कार्बन उत्सर्जन को जल्द खत्म नहीं किया गया तो वैश्विक स्तर पर गर्मी और आर्द्रता ऐसे हालात उत्पन्न कर देगी कि भारत में इंसान सहन नहीं कर पाएगा।
जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के कुप्रभाव पर मुआवजे की मांग-
जलवायु परिवर्तन की घटनाओं से विकासशील या गरीब देशों पर पड़ने वाले कुप्रभाव के लिए मुआवजे का विचार 2013 से माना जाता है।
इसका विचार था कि ग्रीन हाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जक देश जो मुख्यतः विकसित या विकासशील देश हैं, को उनके द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण के बदले मुआवजा देना होगा।
COP 26 में जलवायु परिवर्तन के नुकसान और क्षति पर ध्यान देने की बात कही गई है। जिसके अनुसार एक जिसे सैंटियागो नैटवर्क बनाया जाएगा।जो कमजोर देशों को ज्ञान, सहायता व संसाधन प्रदाताओं के साथ जोड़कर जलवायु जोखिमों को दूर करेगा। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन से हुए नुकसान की भरपाई के लिए ग्लासगो संवाद भी शुरु करेगा।
नवम्बर 2022 में होने वाले COP 27 का एक मुद्दा जलवायु परिवर्तन भी है जिसमें एक बार फिर जलवायु परिवर्तन की घटनाओं से हो रहे नुकसान व उसके मुआवजे की बात की जाएगी।
जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य
Cop 26 के दौरान भारत ने 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है।
2030 तक 50% ग्रीन हाउस उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य रखा है। दिल्ली के Think Tank on Energy, Environment and Water के अनुसार इस लक्ष्य को पूरा करने क लिए कुल 105 लाख करोड़ रुपये तथा प्रतिवर्ष 2.1 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है।
2022 तक 175 GW तथा 2030 तक 45 GW तक अक्षय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है।
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