भारत में अनुसंधान व विकास

भारत में अनुसंधान व विकास

भारत में अनुसंधान व विकास

संदर्भ- इण्डियन एक्सप्रैस के अनुसार भारत में विकास और इसे वैश्वक स्तर पर अग्रणी रहने के लिए अनुसंधान व नवाचार आवश्यक हो गया है। अमेरिका एक सदी से वैश्विक नेतृत्व कर रहा है, यह नेतृत्व उसने सैनिक शक्ति व तकनीकि श्रेष्ठता से प्राप्त किया। अमेरिका के अनुसार भारत को वैश्विक नेता बनने के लिए अनुसंधान व नवाचार के क्षेत्र पर आधारित कार्य करना होगा। 

भारत में अनुसंधान व विकास की स्थिति- 

अनुसंधान व विकास पर व्यय- 

  • नीति आयोग के इण्डिया इनोवेशन इण्डैक्स 2021 के अनुसार अनुसंधान व विकास पर भारत का सकल व्यय सबसे कम 43 डॉलर प्रति व्यक्ति है।
  • सकल घरेलू प्रतिशत के रूप में अनुसंधान व विकास पर भारत का सकल व्यय, एक दशक से लगभग 0.7% स्थिर रहा है, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।
  • कम खर्च के बाद भी भारत ने रूस, ब्राजील व दक्षिण कोरिया से भी अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं।

इण्डिया इनोवेशन इण्डैक्स- 

  • नीति आयोग द्वारा तैयार किया गया इण्डिया इनोवेशन इण्डैक्स भारत में नवाचार का मूल्यांकन व विकास करता है। इसमें निवेश व उत्पादन को मापा जा सकता है।
  • इंडिया इनोवेशन इंडेक्स, ग्‍लोबल इंडिसिस टू ड्राइव रिफॉर्म एंड ग्रोथ (जीआईआरजी) तंत्र के माध्‍यम से चुनिंदा वैश्विक सूचकांकों की निगरानी के सरकार के प्रयास में भी योगदान देता है, जिसके लिए नीति आयोग नोडल संगठन है।
  • इंडिया इनोवेशन इंडेक्स के तीसरे संस्करण (2021) में प्रमुख राज्यों की श्रेणी में कर्नाटक, पूर्वोत्तर व पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में मणिपुर और केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में चण्डीगढ़, शीर्ष स्थान पर हैं।
  • भारत में हैल्थकेयर, आईटी, सॉफ्टवेयर, ऑटोमोटिव उद्योग, सबसे अधिक खर्च करने वाले उद्योगों में से एक हैं।

अनुसंधान व विकास में न्यूनतम निवेश के कारण-

  • अनुसंधान व विकास के कार्यक्रमों के परिणाम आने में समय लगता है।
  • भारत में भुखमरी, रोग नियंत्रण व जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने जैसे मुद्दे अधिक हैं। जिनका निवारण अधिक आवश्यक माना जाता है।
  • विशेषज्ञता की कमी

अनुसंधान व विकास को नजरअंदाज करने के प्रभाव-

  • अनुसंधान व नवाचार पर कम खर्च से नए अवसरों में कमी आती है, जिससे लोग दूसरे क्षेत्रों में नए अवसरों की खोज के लिए पलायन करते हैं, जो ब्रेन ड्रेन का कारण बनता है।
  • यह राज्य या देश की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त को कम करता है।
  • विशेषज्ञता की कमी के कारण नवाचार का क्षेत्र संकुचित हो सकता है।

अनुसंधान व विकास के लिए प्रयास- 

सतत विकास लक्ष्य या 2030 एजेंडा में अनुसंधान व नवाचार को विशेष महत्व दिया गया है। इसका 9.5 लक्ष्य – 

  • सार्वजनिक नवाचार को प्रोत्साहित करना।
  • अनुसंधान व विकास पर सार्वजनिक व निजी खर्च 
  • शोधकर्ताओं की संख्या में वृद्धि। 

नेशनल रिसर्च फाउंडेशन नई शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रस्तावित किया गया। इसका विश्वविद्यालय, कॉलेज, उच्च शिक्षा संस्थान के अनुदान प्रस्तावों को वित्तपोषित करना।

IMPRINT पहलयह IIT वIISc संस्थानो की संयुक्त पहल 2015 में शुरु की गई थी। इसका लक्ष्य इंजीनियरिंग क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करना है।

अटल टिंकरिंग लैब्स-  नीति आयोग द्वारा प्रारंभ की गई पहल है, इस योजना का उद्देश्य युवा मन में जिज्ञासा, रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देना है; और डिजाइन माइंडसेट, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, एडाप्टिव लर्निंग, फिजिकल कंप्यूटिंग आदि जैसे कौशल विकसित करना है।

आगे की राह-

  • आर एंड डी में लगभग 80% सार्वजनिक व्यय में वृद्धि की आवश्यकता है।
  • सार्वजनिक उद्योगों व स्टार्ट अप उद्योंगों के बीच संयुक्त अनुसंधान व विकास परियोजनाओं को समर्थन दिया जा सकता है।
  • आर एंड डी के प्रत्येक क्षेत्र में विशेषज्ञता की कमी को पूरा करने के लिए डॉक्टरेट व पोस्ट डॉक्टरेट स्तर तक की विशेषज्ञता को बढ़ावा देना चाहिए।
  • विश्वविद्यालय व उद्योगों के बीच परियोजनाओं में पोस्ट डॉक्स का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • आर एंड डी को सार्वजनिक रूप से प्रयोग करने से पूर्व पर्यावरण में इसके प्रभावों/दुष्प्रभावों का आंकलन करना चाहिए। 

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

सतत विकास लक्ष्य

fortune India

No Comments

Post A Comment