भारत में आंतरिक दलीय लोकतंत्र का अभाव

भारत में आंतरिक दलीय लोकतंत्र का अभाव

संदर्भ क्या है ?

  • हाल ही में ब्रिटेन में पार्टी सांसदों द्वारा ‘बोरिस जॉनसन’ को ‘ब्रिटिश कंजरवेटिव पार्टी’ के नेता के पद से हटा दिया गया था जो वहां ‘इनर पार्टी डेमोक्रेसी’ को दर्शाता है।
  • बोरिस जॉनसन को पार्टी सांसदों ने ब्रिटिश कंजरवेटिव पार्टी के नेता पद से हटा दिया है, परिणामस्वरूप , उन्हें प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। यह कदम ब्रिटेन में प्रधान मंत्री के मामले में सामान्य सांसदों की शक्ति को प्रदर्शित करता है।

भारतीय प्रणाली के साथ तुलना:

  • यूके में अपने समकक्षों के विपरीत, भारत में सांसदों को अपने पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने और चुनौती देने की कोई स्वायत्तता नहीं है। वास्तव में, भारत में, पार्टी के सांसदों की नियमित नीतिगत मामलों पर आधिकारिक सरकारी लाइन से हटने की क्षमता लगभग न के बराबर है।
  • भारत में, प्रधानमंत्री या पार्टी नेतृत्व पार्टी के सांसदों पर लगभग पूर्ण अधिकार का प्रयोग करता है।

भारत और यूनाइटेड किंगडम में सरकार की संसदीय प्रणाली के बीच अंतर:

                                     भारत                            यूनाइटेड किंगडम
1.भारत में ‘लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ व्यवस्था है,अर्थात राज्य का प्रमुख निर्वाचित होता है।   1.यूनाइटेड किंगडम में ‘सवैधानिक राजतन्त्र’ व्यवस्था है।
2. भारत में संघवादी व्यवस्था विद्यमान है और संघ व राज्यों के बीच ‘शक्तियों का विभाजन’ है। 2. ब्रिटेन में एकात्मक व्यवस्था है और संघ व राज्यों के बीच ‘शक्तियों का प्रदत्त्तीकरण (डिवोल्यूशन ऑफ़ पावर)’ है ।
3. भारत के संविधान ने ही शक्तियां केंद्र और राज्यों दोनों को दी हैं और संसद भी यदि चाहे तो राज्य सरकारों से शक्तियां छीन नहीं सकतीं। 3.यूके की संसद ने क़ानून बनाकर सरकारों को शक्तियां प्रदान की हैं न कि किसी संवैधानिक व्यवस्था द्वारा शक्तियां सरकारों को प्राप्त  हैं।  
4. भारत में ‘संसदीय संप्रभुता’ नहीं है, और एक लिखित संविधान, संघवादी प्रणाली, न्यायिक समीक्षा और मौलिक अधिकारों के कारण इसे सीमित और प्रतिबंधित शक्तियां प्राप्त हैं। 4. यूके में ‘संसदीय संप्रभुता’ है, और यहाँ लिखित संविधान, संघवादी प्रणाली, न्यायिक समीक्षा आदि व्यवस्था नहीं  है। यहाँ संसद को असीमित शक्तियां प्राप्त हैं।
5. भारत में प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य हो सकता है। 5.ब्रिटेन में, प्रधान मंत्री को संसद के निम्न सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) का सदस्य होना चाहिए ।

भारत में इस संदर्भ में सांसदों की सीमाएं

  • दलबदल विरोधी कानून:

दल-बदल विरोधी अधिनियम के तहत पार्टी के दृष्टिकोण से अलग होने वाले पार्टी सांसदों को लगातार अयोग्य घोषित करने की धमकी दी जाने की प्रवृत्ति दिखाई देती है, इसलिए, वे पार्टी नेतृत्व को चुनौती देने या सवाल करने में लगभग असमर्थ हैं।

  • चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया:

यूके में, जहां सांसदों को पार्टी के नेता द्वारा नामित नहीं किया जाता है, बल्कि स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र की पार्टी द्वारा चुना जाता है। भारत में इस व्यवस्था के विपरीत, उम्मीदवार आमतौर पर पार्टी नेतृत्व द्वारा केवल स्थानीय पार्टी के साथ अनौपचारिक परामर्श के साथ तय किए जाते हैं। जो पार्टी नेतृत्व को अपने उम्मीदवारों पर नियंत्रण करने का अवसर प्रदान करता है।

चिंतायें :

  • यह देखते हुए कि निर्वाचित सांसदों को सभी मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व की लाइन का पालन करना होता है, पार्टी नेतृत्व निर्वाचित प्रतिनिधियों पर पूर्ण नियंत्रण रखता है। यह आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र की कमी के कारण होता है।
  • भारत में प्रतिनिधि लोकतंत्र प्रणाली एक ऐसी प्रणाली को दर्शाती है जिसमें लोगों की आवाज उनके प्रतिनिधियों के माध्यम से सुनी जाती है। पार्टी नेतृत्व या प्रधानमंत्री के खिलाफ सांसदों को सत्ता से बेदखल करना उसे कमजोर कर देगा।

सुझाव:

  • यूके मॉडल पर विचार करने की आवश्यकता है जिसमें दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता के डर के बिना सांसद अपने नेतृत्व में अविश्वास व्यक्त कर सकते हैं। यह सांसदों को नेतृत्व पर सवाल उठाने और उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने का अधिकार देगा।
  • इसके अलावा, लंबे समय में, उम्मीदवारों पर नियंत्रण केंद्रीय पार्टी के नेताओं से स्थानीय पार्टी सदस्यों के पास स्थानांतरित होना चाहिए। इस दिशा में उचित परिवर्तन लाया जाना चाहिए। इस तरह की व्यवस्था से सांसदों को सशक्त बनाने में काफी मदद मिलेगी।

yojna daily current affairs hindi med 28 July

 

 

No Comments

Post A Comment