भारत में ई – ऑफिस प्लेटफॉर्म और ई – गवर्नेंस

भारत में ई – ऑफिस प्लेटफॉर्म और ई – गवर्नेंस

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारत में ई – ऑफिस प्लेटफॉर्म , प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग , ई-गवर्नेंस खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत में ई – ऑफिस प्लेटफॉर्म और ई – गवर्नेंस ’ खंड से संबंधित है। )

 

ख़बरों में क्यों ? 

 

  • हाल ही में भारत सरकार ने ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म को प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms and Public Grievances- DARPG) की 100-दिवसीय कार्य-सूची के हिस्से के रूप में अधीनस्थ कार्यालयों और स्वायत्त निकायों में क्रियान्वन करने की घोषणा की है। 
  • ई-ऑफिस कार्यस्थल पर किया जाने वाला एक डिजिटल समाधान है जिसमें विभिन्न उत्पादों का संयोजन किया गया है, जो सरकारी कार्यप्रणालियों को आम जनता के लिए सरलीकृत करने के लिए काम करता है। 

 

ई – ऑफिस पहल का उद्देश्य : 

 

  • इसका उद्देश्य विभिन्न सरकारी निकायों में फाइल हैंडलिंग और रसीदों को डिजिटल बनाना है। 
  • यह पहल वर्ष 2019 से 2024 की अवधि में केंद्रीय सचिवालय में ई-ऑफिस को अपनाने में आई उल्लेखनीय गति को दृष्टिगत रखते हुए की गई है, जहाँ 94 प्रतिशत फाइलों को ई-फाइल के रूप में और 95 प्रतिशत रसीदों को ई-रसीद के रूप में परिवर्तित करके सुरक्षित रूप से संभाला गया है।
  • इस सफलता के आधार पर, सरकार ने अंतर-मंत्रालयी परामर्श के बाद ई-ऑफिस पहल के क्रियान्वन के लिये 133 संस्थाओं की पहचान की है। इसे अपनाने हेतु दिशा-निर्देश DARPG और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा जारी किए गए थे।

 

डिजिटल परिवर्तन और प्रशासनिक दक्षता के लिए : 

 

  • सरकार ने डिजिटल परिवर्तन और प्रशासनिक दक्षता के लिए सभी मंत्रालय/विभाग नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है, डेटा सेंटर स्थापित किया है, और NIC के साथ समन्वय किया है।
  • ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म के तहत सरकार की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हुए सभी मंत्रालय/विभाग नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे, डेटा सेंटर स्थापित करेंगे तथा ई-ऑफिस प्लेटफॉर्म के निर्बाध, समयबद्ध क्रियान्वन के लिये NIC के साथ समन्वय करेंगे।

 

भारत में ई-गवर्नेंस के लाभ :

 

भारत में ई-गवर्नेंस के निम्नलिखित लाभ हैं – 

  • डेटा – संचालित शासन ( Data-Driven Governance ) : इंटरनेट और स्मार्टफोन के उपयोग से डेटा का त्वरित प्रसारण संभव हो गया है, जो प्रभावी शासन के लिए महत्वपूर्ण है।
  • लागत बचत ( Cost Savings ) को सुनिश्चित करना : सरकारी व्यय का एक बड़ा हिस्सा आधिकारिक उद्देश्यों के लिए स्टेशनरी को खरीदने की लागत में जाता है। ई-गवर्नेंस के माध्यम से स्मार्टफोन और इंटरनेट से इसे प्रतिस्थापित करने से इस मद में खर्च होने वाले व्यय में हर वर्ष करोड़ों रुपये की बचत हो सकती है।
  • पारदर्शिता (Transparency) को बढ़ावा देना : ई-गवर्नेंस से सभी आधिकारिक जानकारी इंटरनेट पर अपलोड की जा सकती है, जिससे शासन के कार्यक्रमों की पारदर्शिता बढ़ती है।
  • जवाबदेही (Accountability) तय करना : ई-गवर्नेंस से शासन के कार्यों को करने क प्रति जवाबदेही बढ़ती है, क्योंकि जब शासन से संबंधित कोई भी जानकारी नागरिकों के लिए सार्वजानिक रूप से उपलब्ध होती है, तो सरकार अपने कार्यों के प्रति अधिक जवाबदेह होती है।
  • भूमि अभिलेख निगरानी (Land Monitoring) को सुनिश्चित करना : भारत जैसे विशाल विकासशील देश में प्रभावी भूमि निगरानी की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि संपत्तियों से संबंधित लेनदेन (भौतिक लेनदेन सहित) धोखाधड़ी रहित हैं, शासन या सरकार द्वारा भूमि से संबंधित ऑनलाइन रिकॉर्ड का रखरखाव भारत में ई-गवर्नेंस की एक प्रमुख विशेषता है।

 

भारत में ई-गवर्नेंस से संबंधित चुनौतियाँ : 

 

भारत में ई-गवर्नेंस से संबंधित मुख्य चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं – 

  1. इंटरऑपरेबिलिटी की चुनौतियाँ : ई-गवर्नेंस की प्रमुख चुनौतियों में से एक इंटरऑपरेबिलिटी की है, जो भारत में मंत्रालयों और विभागों के बीच अंतःसंक्रियता को सुनिश्चित करने में कठिनाई उत्पन्न करती है। यह डेटा को संसाधित करने और साझा करने में एक प्रमुख बाधा बन जाती है।
  2. भाषाई बाधाएँ : भारत की भाषाई विविधता भी ई-गवर्नेंस के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है। अधिकांश ग्रामीण आबादी अंग्रेजी या हिंदी का उपयोग नहीं कर पाती, जिससे वे सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में असमर्थ रहते हैं। यह स्थिति स्थानीय भाषाओं में सेवाओं की आवश्यकता को दर्शाती है। जो ई-गवर्नेंस के लिए अंग्रेजी या हिंदी के साथ असमर्थ हो सकती है।
  3. भारत में डिजिटल निरक्षरता का होना : भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर लगभग 67% है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 77% और महिला साक्षरता दर 60% है। प्रौद्योगिकीय जागरूकता और संबंधित ज्ञान की कमी के कारण अधिकांश ग्रामीण लोग सरकारी सुविधाओं का उपयोग नहीं कर पाते है।
  4. डिजिटल अवसंरचना की कमी : भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव और बिजली की निरंतर आपूर्ति की कमी प्रभावी ई-गवर्नेंस के लिए एक बड़ी चुनौती है।
  5. प्रमाणीकरण की समस्याएँ : सेवाओं के सही उपयोगकर्त्ता की पहचान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, अन्यथा निजी प्रतिस्पर्द्धियों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। ‘डिजिटल हस्ताक्षर’ प्रामाणिकता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन यह महंगा है और इसके रखरखाव की आवश्यकता होती है।
  6. निजता संबंधी मुद्दे : ऑनलाइन लेन-देन और निजता संबंधी मुद्दे तेजी से प्रमुख हो रहे हैं। बीमा, बैंकिंग, उपयोगिता बिल भुगतान—ये सभी सेवाएँ ई-गवर्नमेंट द्वारा प्रदान की जाती हैं। इसके साथ ही, नागरिकों की निजता की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण है।
  7. प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र का अभाव : समयबद्ध और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र के अभाव में गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं। विशेष रूप से बायोमीट्रिक पहचान त्रुटियाँ और नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर जैसे ऑनलाइन अनुप्रयोगों में त्रुटियाँ शामिल हैं। अधिकारी अक्सर तकनीकी व्यवधानों के लिए अधिकार-धारक को उत्तरदायी महसूस कराते हैं।
  8. अधिकारी की जिम्मेदारी : अधिकांश अधिकारी प्रायः अधिकार-धारक को तकनीकी व्यवधानों के लिए उत्तरदायी महसूस कराते हैं। वे नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संबंधित तंत्रों का संचालन करने में मदद करते हैं।
  9. सेवाओं का एकीकरण : राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा पेश की जा रही अधिकांश ई-गवर्नेंस सेवाएँ एकीकृत नहीं हैं, जिससे उनके उपयोग में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।

ये सभी चुनौतियाँ ई-गवर्नेंस की प्रभावशीलता को बाधित करती हैं और इनके समाधान के लिए उचित नीतियों और उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

 

समाधान / आगे की राह :

 

  • नीति – निर्माण के क्रियान्वय़न में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना : सरकारी स्तर पर नीति – निर्माताओं या योजनाकारों और लाभार्थियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए मध्यस्थों की तैनाती आवश्यक है। ई-गवर्नेंस से सार्वजनिक सेवा वितरण तंत्र की जवाबदेही में सुधार और नागरिकों की भागीदारी बढ़ने से उनकी संतुष्टि में वृद्धि होगी। नीति कार्यान्वयन में स्थानीय लोगों की भागीदारी से सरकार और नागरिकों के बीच संवाद करने की खाई को पाटा जा सकता है, साथ ही स्थानीय पहलों को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • मांग प्रेरित सेवाएँ प्रदान करना : शहरी और ग्रामीण स्तर के सामाजिक-आर्थिक डेटाबेस के माध्यम से ऊर्ध्वगामी दृष्टिकोण के साथ योजना निर्माण की आवश्यकता है। सरकारी मंत्रालयों को एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जिसमें डेटा संचालित नीतियों की पहचान, मूल्यांकन, निर्माण, कार्यान्वयन और निवारण शामिल हो ताकि जनसंख्या की आवश्यकताओं को अविलंब पूरा किया जा सके।
  • स्थानीय ई-गवर्नेंस पर ध्यान केंद्रित करना : भारत में सभी स्तरों पर ई-गवर्नेंस को संचालित करने की अत्यंत आवश्यकता है, लेकिन विशेष रूप से स्थानीय सरकारों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि वे नागरिकों के सबसे निकट होती हैं और सरकार के साथ मुख्य रूप से जुड़ कर सरकारी योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करती हैं।
  • बेहतर डिजिटल अवसंरचना और कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत : डिजिटल अवसंरचना में सुधार (विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में) और बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। 
  • क्षेत्रीय भाषाओं का अधिक से अधिक उपयोग करने की जरूरत : भारत जैसे बहुभाषी देश के लिए क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से ई-गवर्नेंस अधिक उपयुक्त होगा।
  • ई-रेडीनेस को विभिन्न स्तरों पर लागू करने की जरूरत : भारत के विभिन्न राज्य ई-रेडीनेस के विभिन्न स्तरों पर हैं। ई-गवर्नेंस सुधारों को लागू करते समय इस पहलू को ध्यान में रखना आवश्यक है।
  • राष्ट्रव्यापी स्तर पर सफल मॉडलों का विस्तार करना : वर्तमान में देश में कई सफल ई-गवर्नेंस परियोजनाएँ चल रही हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही राष्ट्रव्यापी स्तर पर कार्यान्वित हैं। इन सफल मॉडलों को पूरे देश में समान रूप से लागू और उन्नत करने की आवश्यकता है।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी ।

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में ई – ऑफिस प्लेटफॉर्म के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. इसका उद्देश्य फाइल हैंडलिंग और रसीदों को डिजिटल बनाना है।
  2. भारत में ई-गवर्नेंस के तहत भूमि से संबंधित ऑनलाइन रिकॉर्ड रखना है।
  3. यह डिजिटल हस्ताक्षर की प्रामाणिकता प्रदान करता है।
  4. इसके तहत डेटा को संसाधित और साझा करने में बाधा उत्पन्न होती है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 2 और 3 

B. केवल 2, 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. भारत में ई-गवर्नेंस से संबंधित मुख्य चुनौतियों का वर्णन करते हुए उसके समाधान के उपायों पर विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए ( UPSC – 2018 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

 

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