भारत में ऊर्जा निर्धनता

भारत में ऊर्जा निर्धनता

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने  संवहनीय आधुनिक ऊर्जा सेवाओं और उत्पादों तक पहुँच की कमी के रूप में ऊर्जा निर्धनता (Energy Poverty) को परिभाषित किया है।  विकास का समर्थन करने के लिये पर्याप्त, सस्ती, विश्वसनीय, गुणवत्तापूर्ण, सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल ऊर्जा सेवाओं की कमी को सभी परिस्थितियों में पाया जा सकता है।

  • ‘ऊर्जा को सभ्यता के इंजन के रूप में जाना जाता है’, परन्तु इसके बावजूद वर्तमान समय में दुनिया में सभी के लिये एकसमान रूप से पर्याप्त और वहनीय स्रोतों तक पहुँच उपलब्ध नहीं है। वैश्विक उर्जा संघर्ष के सापेक्ष अकेले दक्षिण एशिया में ही 1 बिलियन से अधिक लोग ऊर्जा की आवश्यक आपृति के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
  • ऊर्जा उपयोग मूलभूत रूप से मानव विकास से परस्पर-सम्बंधित है। ऊर्जा की आवश्यकता बुनियादी मानवीय ज़रूरतों की पूर्ति के लिये आवश्यक है जैसे कि स्वच्छ हवा, उत्तम स्वास्थ्य, खाद्य एवं जल, शिक्षा और मानवाधिकार इत्यादि के लिए होती है। इसके साथ ही आर्थिक क्षेत्र के विकास के लिये भी उर्जा अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, परन्तु  विश्व भर में चल रहे भू-राजनीतिक संघर्षों के कारण वर्तमान समय में ऊर्जा लागतें आसमान छू रही हैं।
  • भारत में आधुनिक उर्जा संसाधनों जैसे कि तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) और प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) क्रांतियों के बावजूद अभी भी भारत में विशेषकर ग्रामीण भारत में उर्जा टक पहुँच अभी भी सीमित बनी हुई है।
  • भारत को उर्जा निर्धनता से निपटने के लिए उर्जा के विभिन्न वैकल्पिक स्रोतों पर विचार करना होगा ताकि उर्जा संकट और उर्जा निर्धनता से निपटा जा सके।

भारत में ऊर्जा निर्धनता:

  • भारत में भूमिगत पाइपलाइनों जैसे आधुनिक ऊर्जा अवसंरचनाओं की कमी के कारण बिजली संयंत्रों, पारेषण लाइनों, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा संसाधनों के वितरण में समस्या के कारण ऊर्जा निर्धनता की स्थिति बनी है।
    • भारत में लोग आज भी खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोग लकड़ी ईंधन, काष्ठ कोयला, पराली और लकड़ी के छर्रों जैसे पारंपरिक बायोमास पर अत्यधिक निर्भर हैं।
    • भारत बिजली कनेक्टिविटी रहित लोगों की संख्या के मामले में  प्नथम स्थान पर है, जबकि नाइजीरिया भारत के बाद दूसरे स्थान पर है, एवं नाईजीरिया अफ्रीका का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है।
    • नाइजीरिया के तेल क्षेत्रों में उत्पादित प्राकृतिक गैस का अधिकांश भाग जलकर हवा में उड़ जाता है, क्योंकि नाइजीरिया में प्राकृतिक गैस के संग्रहण या वितरण हेतु अवसंरचना का अभाव है।
  • ऊर्जा रूपांतरण के दौरान उपयोगी ऊर्जा की अनुपातहीन रूप से उच्च क्षति ऊर्जा निर्धनता का एक प्रमुख कारक है।
    • ऊर्जा दक्षता सूचकांक में 1 अंक की वृद्धि से ऊर्जा निर्धनता दर में 0.21% की गिरावट आती है, इस प्रकार ऊर्जा निर्धनता में ऊर्जा दक्षता का प्रत्यक्ष प्रभाव दिखाई देता है।
  • सस्ते और स्थानीय रूप से उपलब्ध ईंधन का उपयोग करने वाले परिवार भारत में बहुताधिक मात्र में पाए जाते हैं और ये संसाधन स्वच्छ या कुशल ऊर्जा के स्रोत नहीं होते, आय और विकास के निचले स्तर पर स्थित ये परिवार ऊर्जा की सीढ़ी की सबसे निचले पायदान होते हैं।
  • वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति शृंखला को प्रभावित करने वाले कारणों में  भू-राजनीतिक अस्थिरता भी शामिल है।
    • यूक्रेन संघर्ष के बाद ऊर्जा की कीमतों में हुई भारी वृद्धि  के कारण 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में भारत का तेल आयात बिल बढ़कर 119 बिलियन डॉलर का हो गया।

भारत में आय निर्धनता और ऊर्जा निर्धनता के बीच सम्बन्ध:

  • आय निर्धनता का एक महत्वपूर्ण पहलू ऊर्जा निर्धनता को भी माना जाता है।
    •  देश में औद्योगिक और कृषि विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए बिजली जैसी ऊर्जा सेवाओं का प्रावधान बनाया गया है।
    • उर्जा के स्रोतों में वृद्धि और विकास रोजगार के वृहत स्तर और उद्यमशीलता के अवसरों के संदर्भ में आजीविका के अवसरों की वृद्धि करते हैं।
    • उन्नत उर्जा का उपयोग गरीब परिवारों की आय में वृद्धि और उच्च आय का स्रोत बनेंगी।
  • गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों की अपेक्गषा में  गरीबी रेखा से निचे रहने वाले लोग (शहरी और ग्रामीण दोनों) अपने कुल खर्च का एक बड़ा हिस्सा ऊर्जा ईंधन प्राप्त करने पर खर्च करते हैं।
    • गरीबी रेखा से निचे रहने वाले परिवारों के आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से परिवारों के लिये नियमित रूप से स्वच्छ ऊर्जा ईंधन तक पहुँच होना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

ऊर्जा निर्धनता को कम करने के उपाय

  • ऊर्जा पहुँच, निर्धनता और सुरक्षा जैसे विषयों पर G20 और ब्रिक्स (BRICS) जैसे शक्तिशाली मंचों को अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है। ऊर्जा संक्रमण, ऊर्जा पहुँच एवं न्याय और ऊर्जा एवं जलवायु पर विशेष रूप से समर्पित वैश्विक अंतर-सरकारी संगठन स्थापित किया जाना चाहिये।
  • ऊर्जा, आय और लिंग असमानता के बीच संबंध को स्पष्ट रूप से स्थापित करने और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच ऊर्जा अंतर को दूर करने हेतु नीतिनिर्माताओं एवं अन्य प्रासंगिक हितधारकों की सुविधा के लिये अंतर घरेलू और सामूहिक विभेदों का डेटा एकत्र करना महत्त्वपूर्ण है ताकि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच ऊर्जा अंतर को दूर किया जा सके।
  • नवीकरणीय स्रोतों (सौर ऊर्जा, बायोगैस आदि) से उत्पन्न ऊर्जा स्वच्छ, हरित और अधिक संवहनीय होगी।
    • नवीकरणीय स्रोतों से संबद्ध परियोजनाएँ निम्न कार्बन विकास रणनीतियों में भी सकारात्मक योगदान दे सकती हैं और देश की कामकाजी आबादी के लिये रोज़गार के अवसर उत्पन्न करेंगी।
  • भारतीय परिवारों को ऊर्जा कुशल मशीनरी और सब्सिडी प्रदान करने के लिये ऊर्जा क्षेत्र, विनिर्माण क्षेत्र, स्वास्थ्य क्षेत्र तथा वित्त क्षेत्र जैसे विभिन्न क्षेत्रों के बीच संबंध आवश्यक है।
    • ऊर्जा निर्धनता को कम करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय संस्थानों को एक साथ आने और सामूहिक पेशकश के रूप में सेवाएँ प्रदान करने की आवश्यकता है।
  • सब्सिडी के संबंध में जागरूकता अभियान और प्रौद्योगिकीय प्रगतियों से संबंधित शिक्षण का प्रसार समाज के निचले पायदान तक किये जाने की आवश्यकता है ताकि कुशल ऊर्जा उपभोग के प्रति जागरूकता की वृद्धि हो।
  • नीतियों के कार्यान्वयन की वास्तविक स्थिति की निगरानी करने के लिये एक निगरानी तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।

Yojna IAS Daily Current Affairs Hindi med 13th July

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