भारत में सामाजिक – आर्थिक असमानता का विश्लेषण

भारत में सामाजिक – आर्थिक असमानता का विश्लेषण

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

सामान्य अध्ययन – भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास , सामाजिक न्याय , आय – असमानता , सामाजिक – आर्थिक असमानता।

खबरों में क्यों ? 

 

  • 16 जनवरी, 2023 को स्विट्जरलैंड के दावोस में हो रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट’ शीर्षक नाम से ऑक्सफैम (Oxfam) की वार्षिक असमानता रिपोर्ट 2022 प्रस्तुत की गई थी ।
  • वार्षिक असमानता के इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1 प्रतिशत अमीर लोगों के पास भारत  की कुल संपत्ति का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु :

  • वर्त्तमान समय में भारत में मौजूद अरबपतियों की  पूरी संपत्ति पर अगर  2 फीसदी की दर से भी एक बार संपति कर लगाया जाता है, तो इससे देश में अगले तीन साल तक कुपोषित लोगों के सुपोषण / पोषण के लिए 40,423 करोड़ रुपये की जरूरत को पूरा किया जा सकता है ।
  • भारत की अन्य बची हुई निम्न और निम्न मध्यम वर्ग की आबादी के पास केवल 3 प्रतिशत की संपत्ति है।
  • भारत के दस सबसे अमीरों पर 5 प्रतिशत की संपति कर लगाने से बच्चों को वापस स्कूल में लाने के लिए जितनी धन की जरूरत होगी उतना धन इन अमीरों के संपति कर से प्राप्त धन से पूर्ति हो सकती है |
  • भारत के 21 सबसे अमीर अरबपतियों के पास वर्तमान में देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा की संपति मौजूद है।
  • भारत की आधी अर्थात  50% आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का सिर्फ 3% धन ही मौजूद है।
  • वर्ष 2020 में जहाँ भारत में अरबपतियों की संख्या 102 थी, वहीं वर्ष 2022 में भारत में अरबपतियों की संख्या 166 हैं ।
  • फिच ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 6.9% वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है।
  • मई 2023 में फिच ने भारत की वृद्धि दर 6% रहने का अनुमान व्यक्त किया था।
  • वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान है।
  • फिच के अनुसार आर्थिक वृद्धि में निवेश के मुख्य निर्धारक बना रहने की संभावना है
  • भारत एक अत्यधिक विषमतापूर्ण अर्थव्यवस्था वाला देश है। भारत का घरेलू सर्वेक्षण उपभोग, आय और धन को व्यापक रूप से कम करके दिखाने की प्रवृत्ति रखते हैं। कोविड-19 ने इन दोषों को और गहरा कर दिया है, जिससे गहन रूप से व्याप्त आय – असमानताओं में और तेजी से वृद्धि हो रही है।
  • वर्तमान अवधि में अत्यंत अमीर लोगों की संपत्ति में हुई वृद्धि की तुलना पैदल ही अपने गाँव लौटने को विवश उन लाखों प्रवासी श्रमिकों की विपदा के साथ करें तो देश में आर्थिक विषमताओं की चरम स्थिति स्पष्ट नज़र आ जाती है।
  • विश्व असमानता रिपोर्ट (2022) का नवीनतम संस्करण यह बताता है कि आय की संपूर्ण एकाग्रता पिरामिड के शीर्ष स्थान की ओर अर्थात ऊपर की ओर ही हो रही है।

भारत में सामाजिक – आर्थिक विषमता के प्रमुख कारक  :

  • भारत में आय – असमानता के लिए उपभोग, आय और धन के मामले में असमानताओं के बीच केंद्रित करके देखने का प्रचलन है ।
  • नौकरी प्राप्त करने में अवसरों’ के मामलों में भी भारत में उच्च स्तर की असमानता मौजूद है।

अवसरों में असमानता के लिए मौजूद कारक : 

  • भारत में किसी व्यक्ति के उसके जन्म, जाति, घर, उसके जन्म स्थान , गृह जिला और गृह राज्य, ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में आवास की उपलब्धता तथा उसके माता – पिता की दैनिक – आय और वार्षिक – आय ये तमामकारक उसकी रोज़गार प्राप्त करने की संभावनाओं और आय की संभावनाओं पर तथा शैक्षणिक और आर्थिक – सामाजिक स्थिति पर उल्लेखनीय प्रभाव डालता है तथा ये सभी कारक भारत में किसी व्यक्ति के वर्ग को तय करता हैं।
  • आय – असमानताओं की सिद्धांतों में से एक सामाजिक गतिशीलता के नियम निम्न स्तर पर स्थित कमज़ोर/वंचित परिवारों में पैदा होने वाले बच्चों के लिए पीढ़ी-दर-पीढ़ी आय की सीढ़ी पर आगे बढ़ने की संभावना बहुत ही  कम होती है। जिससे भारत में आय – असमानता का फासला बढ़ता जाता है।

विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के प्रमुख निष्कर्ष : 

  • संपूर्ण भारत में उनकी शीर्ष की 10% जनसंख्या ही भारत की राष्ट्रीय आय का 57% तक धन को अर्जित किया हुआ  है।
  • दुनिया के सर्वाधिक आय – विषमतापूर्ण देशों में अब भारत शीर्ष देशों में से एक देश है।
  • भारत में आय – असमानता के मामले में भारत में ही महिला श्रमिकों की आय में हिस्सेदारी 18% है जो चीन को छोड़कर] (21) % एशिया में उनके औसत से बहुत ही कम है। 
  • भारत का 1% अभिजात वर्ग भारत की 22% आय को अपने पास रखा हुआ है।
  • भारत के कुल राष्ट्रीय आय में से  निम्न वर्ग और निम्न मध्यम वर्ग के पास की 50% की हिस्सेदारी घटकर अब मात्र 13% ही रह गई है। जो भारत में आय – असमानता के वर्गीय चरित्र को दर्शाता है।
  • कोविड ने श्रम बाज़ार पर नकारात्मक दीर्घकालिक प्रभाव डाला है और आय असमानता में वृद्धि की है, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक गतिशीलता के अवरुद्ध होने की संभावना है।कोविड ने शिक्षा में व्याप्त असमानता की स्थिति को और बदतर किया है।
  • लंबे समय तक स्कूलों के बंद रहने और शिक्षा के ऑनलाइन मोड की ओर संक्रमण ने गरीब और अमीर परिवारों के बच्चों के बीच ’लर्निंग’ अंतराल में वृद्धि किया है, इसकी पुष्टि शिक्षा पर प्रभाव ASER 2021 ने भी किया है। गरीब परिवारों में जन्मे और स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे इंटरनेट, टैबलेट और स्मार्टफोन जैसे अध्ययन  करने और सीखने के तकनीकी माध्यमों से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुए।
  • कोविड 19 महामारी की शुरुआत से ही भारत में श्रम बल की भागीदारी में महिला श्रमबल भागीदारी में विशेष गिरावट मापा गया है ।
    कोविड 19 के दौरान भारत में बेरोज़गारी दर 7.5% से बढ़कर 8.6% हो गया था, जिसका तात्पर्य था कि नौकरी की तलाश करने वालों लोगों में से नौकरी पाने में असमर्थ रहे लोगों की संख्या में भरी वृद्धि हुई है।
  • कैज़ुअलाइज़ेशन’(casualization) या ‘कॉन्ट्रैक्टुअलाइज़ेशन’/संविदाकरण (contractualisation) से तात्पर्य है कि उच्च पारिश्रमिक वाली नौकरियों की कमी होना। अतः ऐसी स्थिति में अधिक – से – अधिक अनियमित या आकस्मिक वेतनभोगी श्रमिक के रूप में लोगों को नियोजित किया जा रहा है।

समस्या का समाधान / निष्कर्ष : 

राजनीतिक जागरूकता और राजनीतिक सक्षमता विकसित करना : नागरिकों में राजनीतिक सक्षमता भारत में ही नही बल्कि पूरी दुनिया में निर्धनता उन्मूलन का पहला प्रमुख घटक माना जाता है। राजनीतिक सक्षमता वाले लोग राज्य से अपने करों के भुगतान के माध्यम से बेहतर शिक्षा एवं बेहतर स्वास्थ्य सुविधा की माँग करके इसे प्राप्त करते हैं । इसमें किसी भी देश या समाज में आय – असमानता और सांप्रदायिक विभाजन की खाई को पाटना शामिल होता है ।

नॉर्डिक आर्थिक मॉडल को लागू करना : वर्तमान नव-उदारवादी मॉडल , नॉर्डिक आर्थिक मॉडल द्वारा धन के वर्तमान पुनर्वितरण को और अधिक न्यायसंगत बनाया जा सकता है क्योंकि इस प्रारूप में सभी नागरिकों के लिए प्रभावी कल्याणकारी सुरक्षा, भ्रष्टाचार मुक्त शासन – व्यवस्था और  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा का मौलिक अधिकार प्राप्त करना शामिल है। इस प्रणाली में राज्य द्वारा उच्च वर्गों या अमीरों से उच्च कर प्राप्त  करना निहित होता  है।

सार्वजनिक नीतियों को लागू करना : भारत में बुनियादी आवश्यकताओं के लिए भी बढ़ती असमानता को देखते हुए,और जनसंख्या के बीच स्वास्थ्य और शिक्षा का अधिकाधिक व्यापक प्रसार करने के लिए सरकारों द्वारा सार्वजनिक नीतियों को लागू करना चाहिए । 

संपति का पुनर्वितरण :  विश्व असमानता रिपोर्ट, 2022 अरबपतियों के लिए उनकी संपति पर एक उपयुक्त और  प्रगतिशील संपत्ति कर (Progressive Wealth Tax) आरोपित या अधिरोपित करने का मार्ग प्रशस्त करने का सुझाव देती है। जो सरकारों को भारी मात्रा में राजस्व प्राप्ति का स्त्रोत हो सकता है।
गुणवत्तायुक्त सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना : किसी भी देश या समाज के लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा लाभ, रोज़गार गारंटी योजनाओं जैसी सार्वजनिक वित्तपोषित उच्च गुणवत्तायुक्त सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित कर असमानता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना :  सेवा क्षेत्र शहरी मध्यम वर्ग को लाभान्वित कर सकता है, विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देकर श्रम-प्रधान विनिर्माण क्षेत्र में उन लाखों नागरिकों को रोजगार मुहैया कराया जा सकता है,  जोकृषि या  खेती से जुड़े कार्य और उस कार्य क्षेत्र को छोड़ रहे हैं।

न्यूनतम वेतन सीमा तय कर पारिश्रमिक असमानताओं को कम करना: अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अनुशंसा की है कि एक न्यूनतम वेतन सीमा इस तरह से निर्धारित की जानी चाहिये जो व्यापक आर्थिक कारकों के साथ श्रमिकों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं को संतुलित करे।

दमित और वंचित नागरिक समाज समूहों को बढ़ावा देना : पारंपरिक रूप से उत्पीड़ित और दमित समूहों को अधिकाधिक अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करना जहाँ इन समूहों के भीतर यूनियन और संघ जैसे नागरिक समाज समूहों को सक्षम करना शामिल है। अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करके और  स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं का वित्तपोषण की क्षमता बढ़ाकर इसकी पहुँच को व्यापक स्तर तक करने की जरूरत  है।

महिलाओं के पूर्ण समावेशन में आने वाली बाधाओं को दूर करना और लैंगिक असमानता को दूर करना : अर्थव्यवस्था में महिलाओं के पूर्ण समावेशन हेतु बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है। इसमें श्रम बाज़ार, संपत्ति के अधिकार और लक्षित ऋण एवं निवेश तक पहुँच प्रदान करना शामिल है। जिसमें अधिक से अधिक  महिलाओं को उद्यमी बनने के लिए  प्रोत्साहित कर इस आय असमानता जैसी समस्या का समाधान किया जा सकता है ।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1 भारत में सामाजिक – आर्थिक विषमता और आय – असमानता के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।

  1. वार्षिक असमानता रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत में 1 प्रतिशत अमीर लोगों के पास भारत  की कुल संपत्ति का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है।
  2. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट’ शीर्षक नाम से ऑक्सफैम (Oxfam) की वार्षिक असमानता रिपोर्ट 2022 प्रस्तुत की गई थी ।
  3. भारत की आधी अर्थात  50% आबादी के पास देश की कुल संपत्ति का सिर्फ 60% धन ही मौजूद है।
  4. विश्व असमानता रिपोर्ट (2022) का नवीनतम संस्करण यह बताता है कि आय की संपूर्ण एकाग्रता पिरामिड के नीचे की ओर ही हो रही है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A) केवल 1, 2 और 3 

(B) केवल 2, 3 और 4 

(C ) केवल 3 

(D) केवल 2

उत्तर –  (D) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. चर्चा कीजिए कि भारत में व्याप्त सामाजिक – आर्थिक असमानताओं और आय – असमानताओं का समाधान कैसे किया जा सकता है ? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए तर्कसंगत व्याख्या प्रस्तुत कीजिए

 

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