भारत-यूरोपीय संघ संबंधों के लिए रोड मैप

भारत-यूरोपीय संघ संबंधों के लिए रोड मैप

संदर्भ क्या है ?

भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के साथ-साथ यूरोपीय संघ के साथ राजनयिक संबंधों की 60 वीं वर्षगांठ मना रहा है। भारत के यूरोप के साथ कई क्षेत्रों में संबंध देखे जा सकते हैं जैसे-विदेश नीति और सुरक्षा सहयोग, व्यापार और अर्थव्यवस्था,सतत आधुनिकीकरण साझेदारी, वैश्विक शासन, जनता का जनता से संपर्क आदि ।

संबंधों में मील के पत्थर:

  • 1960 के दशक में भारत यूरोपीय आर्थिक समुदाय के साथ संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में से एक था।
  • सहयोग समझौता (1994) ने भारत और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को परिभाषित किया।
  • पहले भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन (2000) ने संबंधों के विकास में एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया।
  • 2004 में रणनीतिक साझेदारी शुरू की गयी ।
  • संयुक्त कार्य योजना (2005): व्यापार और निवेश बढ़ाने और लोगों और संस्कृतियों को एक साथ लाने के लिए ‘संयुक्त कार्य योजना’ शुरू की गई।

सहयोग के तरीके:

हरित  साझेदारी

भारत और डेनमार्क के बीच ‘हरित रणनीतिक साझेदारी’ का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और प्रदूषण को कम करना है।
‘भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन’ हरित प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित है।

रक्षा सहयोग

  • भारत और यूरोपीय संघ नियमित रूप से संयुक्त सैन्य और नौसैनिक अभ्यास करते हैं, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित व्यवस्था के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • प्रमुख यूरोपीय रक्षा उपकरण निर्माता कम्पनियां ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम से जुड़ी भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी करने के इच्छुक हैं।
  • फ्रांस द्वारा  राफेल लड़ाकू विमानों की समय पर डिलीवरी और भारतीय नौसेना को ‘बाराकुडा परमाणु हमले की पनडुब्बियों’ की पेशकश।

द्विपक्षीय व्यापार:

  • भारत-यूरोपीय संघ का द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 116 अरब डॉलर को पार कर गया।यही नहीं यूरोपीय संघ संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
  • भारत और यूरोपीय संघ ने 2007 में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत शुरू की, जिसे आधिकारिक तौर पर व्यापक बीटीआईए के रूप में जाना जाता है।

चुनौतियां

 कुछ क्षेत्रों में भारत और यूरोपीय संघ दोनों की अलग-अलग राय और अलग-अलग हित हैं।

  • रूस से गैस आयात पर दोहरे मानक: भारत ने यूरोपीय संघ के दोहरे मानकों का पर्दाफाश किया है, क्योंकि उसके गैस आयात का 45% यूरोपीय संघ द्वारा 2021 में रूस से खरीदा गया था।
  • यूक्रेन में रूसी हस्तक्षेप: यूक्रेन में रूसी हस्तक्षेप की स्पष्ट रूप से निंदा करने के लिए भारत की अनिच्छा।
  • चीन का उदय: चीन के उदय से निपटने में यूरोपीय संघ की रणनीति पर भी अस्पष्टता है। ‘गलवान संघर्ष’ के दौरान यूरोपीय संघ की मौन प्रतिक्रिया इसका उदाहरण है।
  • भ्रम: पूरे क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए यूरोपीय संघ द्वारा भारत के आर्थिक, राजनीतिक और जनसांख्यिकीय बोझ का चतुराई से लाभ उठाया जा सकता है। लेकिन ऐसा लगता है कि यूरोपीय संघ को इसमें कुछ भ्रम है।

निष्कर्ष:

  • भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ठीक ही कहा है, “भारत और यूरोपीय संघ तेजी से बहु-ध्रुवीय दुनिया में राजनीतिक और आर्थिक ध्रुव हैं, इसलिए एक साथ काम करने की क्षमता वैश्विक परिणामों को आकार दे सकती है।”
  • 2021 में महत्वाकांक्षी भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार और निवेश समझौते की सक्रिय बहाली बेहतर दिशा में एक कदम है।
  • यूरोपीय संघ के साझेदार भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करने में भारत को एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में पहचानते हैं।
  • यूरोपीय संघ केवल एक व्यापारिक गुट से अधिक बनना चाहता है और भारत जैसे समान विचारधारा वाले देशों के साथ गठजोड़ करना चाहता है।
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