मैंग्रूव वन

मैंग्रूव वन

मैंग्रूव वन

संदर्भ- हाल ही में भारत, मैंग्रूव अलायंस फॉर क्लाइमेट में शामिल हो गया है, जिसे मिस्र में आयोजित जलवायु शिखर सम्मेलन में आयोजित किया गया। 

  • यह गठबंधन संयुक्त अरब अमीरात व इंडोनेशिया द्वारा शुरु किया गया था।
  • गठबंधन में भारत, ऑस्ट्रेलिया,जापान, स्पेन व श्रीलंका भागीदार देश है।

मैेग्रूव क्या है? 

  • मैंग्रूव, उष्ण कटिबंधीय वृक्ष हैं, 
  • यह समुद्र तट के पास खारे पानी के पास दलदली मिट्टी और गर्म तापमान इसके लिए अनुकूलित जलवायु है, ये ठण्डे तापमान में नहीं पनप सकते।
  • मैंग्रूव की एक विशेषता इसकी उलझी हुई प्रोप जड़ें हैं जो इन्हें समुद्री ज्वार से बचाती हैं। और समुद्री प्रवाह को धीमा कर देती हैं। 
  • मैंग्रूव वन तटीय सुरक्षा, पानी का निष्पंदन और आपदा जोखिमों को कम कर देता है।

जलवायु परिवर्तन में सहायक मैंग्रूव

  • मैंग्रूव वन आर्द्रतायुक्त तटीय रेखाओं के बीच पाए जाते हैं। जिससे या कटाव को कम करते हैं।
  • पारिस्थितिकीय तंत्र की सुरक्षा के साथ जैव विविधता के विकास को प्रोत्साहित करते हैं।
  • समुद्री जल स्तर में वृद्धि के समय आपदा के परिणामों को न्यूनतम कर देते हैं।
  • ग्लोबल मैंग्रूव अलायंस द्वारा तैयार की गई स्टेट ऑफ वर्ल्ड मैंग्रूव 2022 रिपोर्ट के अनुसार मैंग्रूव प्रतिवर्ष 15 मिलियन लोगों को बाढ़ से बचाते हैं और संपत्ति के नुकसान में 65 बिलियन तक की कमी ला सकते हैं। 

कार्बन सिंक के रूप में – वह प्राकृतिक या अप्राकृतिक सिस्टम जो कार्बन युक्त रसायनिक यौगिकों को अनिश्चित काल के लिए जमा करके रखता है जिससे यह पर्यावरण को बचाता है।

  • अन्य स्थलीय वनों की तुलना में मैंग्रूव वातावरण से 4 गुना अधिक कार्बन का अवशोषण करते हैं। अतः मैंंग्रूव 2050 तक शून्य कारनृबन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
  • इस कार्बन का एक हिस्सा जीवित बायोमांस में एकत्र होता है, मिट्टी में जल भराव के कारण इसका कार्बन धीरे धीरे सड़ता है, जिससे मिट्टी में कार्बन का संचय सैकड़ो वर्षों तक बढ़ा रहता है। 
  • द स्टेट ऑफ वर्ल्ड मैंग्रोव रिपोर्ट के अनुसार मैंग्रूव वन लगभग 6.23 गीगाटन कार्बन संचित करते हैं। यह 87% कार्बन युक्त मिट्टी के साथ 22.86 गीगाटन कार्बन डाइ ऑक्साइड के बराबर है। इन मैंग्रूव का 1% भी नुकसान 520 मिलियन बैरल तेल या अमेरिका में 49 मिलियन कारों के वार्षिक उत्सर्जन के बराबर होगा।  
  • विश्व के कुल मैंग्रूव कार्बन का 50% इण्डोनेशिया, ब्राजील, नाइजीरिया, ऑस्ट्रेलिया और मैक्सिको देशों में संग्रहित है। क्योंकि इन देशों के पास विशाल मैंग्रूव क्षेत्र हैं।
  • पर्यावरण का प्रभाव मैंग्रूव की सांद्रता पर भी पड़ता है इसीलिए नाइजीरिया को विश्व में सबसे अधिक कार्बन मिट्टी युक्त मैंग्रूव होने के कारण तीसरे स्थान पर रखा गया है।

पारिस्थितिकी तंत्र में सहयोगी-

  • मैंग्रूव आमतैर पर अलगाव को समर्थन नहीं करते हैं लेकिन समुद्री, मीठे पानी व समुद्री आवासों का समर्थन करते हैं। 
  • मैंग्रूव पेड़ों की जड़े तलछट को पकड़ कर नई उपजाऊ भूमि का निर्माण करती है यह प्रक्रिया यह भी सुनिश्चित करती है कि अपतटीय जल साफ हो और समुद्री जीवन पनप सके।
  • मैेग्रूव युक्त खाड़ी, छोटी मछलियों को जीने के लिए अनुकूल स्थान प्रदान करते हैं। यहाँ उन्हें भोजन व सुरक्षा दोनों प्राप्त हो जाती है। लेकिन साथ ही साथ यह शिकारी मछलियों के समृद्ध भोजन का स्थान है।

आपदा के समय मैंग्रूव-

  • मैग्रूव वृक्षों की जड़ें तलछट को मजबूती से पकड़े हुए होती हैं जिसके कारण यह तूफान व उछाल के समय तटीय भूमि की रक्षा कर पाती हैं।
  • उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र व महासागरों में उत्पन्न आपदा जैसे चक्रवात व तूफानों के खिलाफ पहला रक्षात्मक कवच है। मैंग्रूव पेड़ एक बफर जोन के रूप में कार्य करते हैं, ये समुद्री हवाओं को रोक कर भमि में पड़ने वाले प्रभाव को कम करती हैं।

मैंग्रूव वनों का महत्व

  • दुनिया भर में 5.2 करोड़ समुद्री छोटे पैमाने के मछुआरों में से 4.1 मिलियन मैंग्रोव क्षेत्रों में मछली पकड़ते हैं। यह गतिविधि स्थानीय, तटीय समुदायों को नौकरियों और प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान करती है। अकेले इंडोनेशिया में, अनुमानित 893000 छोटे पैमाने के मछुआरों के लिए मैंग्रोव महत्वपूर्ण हैं। बांग्लादेश और नाइजीरिया में, अनुमानित 82% और 89% मछुआरे क्रमशः मुख्य रूप से मैंग्रोव में और उसके आसपास मछली पकड़ते हैं।
  • ईंधन की लकड़ी के लिए मैंग्रोव भी महत्वपूर्ण संसाधन हैं, जब स्थायी रूप से एकत्र किया जाता है।
  • भारत में मैंग्रूव सुंदरवन में पाए जाते हैं, जो जैव विविधता में अत्यधिक समृद्ध हैं। यह क्षेत्र अब राष्ट्रीय उद्यान में परिवर्तित कर दिया गया है, जो रॉयल बंगाल टाइगर, मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ, मकाक, तेंदुआ बिल्लियाँ, जंगली सुअर, उड़ने वाली लोमड़ी, पैंगोलिन और भारती ग्रे नेवला जैसी संकटग्रस्त या लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है। जैव विविधता हॉट स्पॉट के रीप में हर साल यह आगंतुकों को आक्रषित करता है, जिससे मूल्यवान राजस्व उत्पन्न होता है।

भारत में मैंग्रूव-

  • इण्डिया स्टेट ऑफ मैंग्रूव रिपोर्ट के अनुसार भारत में मैंग्रूव क्षेत्र 4975 वर्ग किमी. है।
  • पश्चिम बंगाल दुनियाँ का सबसे बड़ा मैंग्रूव वन क्षेत्र है, इसको यूनेस्कों के विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामांकित किा गया है।
  • उड़ीसा में भीतरकनिका, भारत का दूसरा सबसे बड़ा  मैंग्रूव वन क्षेत्र है इसे भारत का सबसे महत्वपूर्ण रामसर स्थल है।

मैंग्रूव के लिए संकट-

  • मैंग्रूव वनों के लिए झींगा जलीय कृषि
  • अत्यधिक मछली पकड़ना
  • तेजी से शहरीकरण
  • अवसादन दर में बदलाव
  • समुद्र के बढ़ते स्तर में वृद्धि
  • समुद्र के प्रदूषकों में वृद्धि
  • मैंग्रूव क्षेत्रों में नमक खनन
  • ईंधन केे लिए मैंग्रूव पर अत्यधिक निर्भरता
  • वनों की कटाई

स्रोत

http://bit.ly/3UOfXsM

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 14th November

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