मौद्रिक नीति व रैपो रेट

मौद्रिक नीति व रैपो रेट

मौद्रिक नीति व रैपो रेट

संदर्भ- वैश्विक बैंकों के संकट के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने रैपो दर में 25 आधार अंक वृद्धि की है। जबकि रैपो दर को 6.5 % की दर पर अपरिवर्तित रखा। केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रा स्फीति 5.2% तक हो जाएगी।

रैपो रेट- जब देश के बैंकों में धन की कमी होती है तो वे केंद्रीय बैंक (भारतीय रिजर्व बैंक) से ऋण लेते हैं। और यह ऋण रैपो रेट पर लिया जाता है अर्थात वह दर जिसके अंतर्गत रिजर्व बैंक, वाणिज्य़िक बैंकों को उधार देता है। उच्च मुद्रा स्फीति होने पर धन के प्रवाह को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा रैपो रेट में वृद्धि की जा सकती है। रैपो रेट, बढ़ने पर-

  • ब्याज दरों मे वृद्धि हो सकती है। जो ईएमआई जैसे सुविधाओं को महंगा कर सकता है।
  • निश्चित सावधि दरों में भी वृद्धि हो जाती है।
  • खपत व मांग में भी बढ़ोतरी की संभावना रहती है।

रैपो रेट व बैंक रेट

  •  रैपो रेट, जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को प्रतिभूतियां खरीद कर उधार देता है। जबकि बैंक दर वह उधार दर है जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से कोई सुरक्षा प्रदान किए बिना उधार ले सकते हैं।
  • बैंक दर में वृद्धि सीधे ग्राहक को दी जाने वाली उधार दरों को प्रभावित करती है, लोगों को ऋण लेने से रोकती है और समग्र आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचाती है, जबकि रेपो दर में वृद्धि आमतौर पर बैंकों द्वारा नियंत्रित की जाती है और सीधे ग्राहकों को प्रभावित नहीं करती है।

सामान्य ब्याज दर दो प्रकार की हो सकती है

  • सकारात्मक – सकारात्मक ब्याज दर ऐसी स्थिति है जहां मुद्रा स्फीति की दर मामूली दर से कम है। यह दर, मूल्य स्थिरता बनाए रखने में सहायक होती है।
  • नकारात्मक- एक ऐसी स्थिति जहां मुद्रास्फीति की दर मामूली ब्याज दर से अधिक है 

मौद्रिक नीति- मौद्रिक नीति वह उपकरण है जिसके द्वारा केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को निर्धारित कर अर्थव्यवस्था में मुद्रा के प्रवाह को संतुलित करती है। इसके द्वारा स्थिरता बनी रहती है। भारत की मौद्रिक नीति का क्रियान्वयन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है। भारतीय संदर्भों में मौद्रिक नीति सरकार एवं रिजर्व बैंक के उन निर्णयों से सम्बन्धित है जो प्रत्यक्ष रूप से – 

  • मौद्रिक पूर्ति के परिणाम एवं संघटक, 
  • साख के आकार एवं वितरण, 
  • ब्याज दरों के स्तर एवं संरचना तथा
  • उन समस्त मौद्रिक चरों, बचत एवं विनियोग, उत्पादन, आय एवं कीमतों इत्यादि पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं।

भारतीय मौद्रिक नीति को निम्न उपकरणों द्वारा समन्वित किया जा सकता है-  

  • रैपो रेट
  • रिवर्स रैपो रेट
  • नकद आरक्षी अनुपात
  • ओपन मार्केट ऑपरेशन
  • बैंक रेट

मौद्रिक नीति के उद्देश्य

  • मूल्य स्थिरता 
  • ऋणों की बढ़ोतरी पर नियंत्रण
  • स्थिर निवेश का संवर्धन
  • माल की पूर्ति पर प्रतिबंध
  • खाद्यान्न खरीद प्रक्रिया का संचालन

मौद्रिक नीति समिति- 

  • भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है जिसका गठन ब्याज दर को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए किया जाता है।
  • इसका सर्वप्रथम गठन 27 जून 2016 को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन करते हुए भारत में नीति निर्माण को एक नव गठित मौद्रिक नीति समिति को सौंप दिया गया था।
  • समिति में 6 सदस्य होते हैं, जिनके बहुमत के अनुसार ही रेपो रेट तट किया जाता है। इसके तीन सदस्य आरबीआई व तीन सदस्य केंद्र सरकार द्वारा चुने जाते हैं।
  • फरवरी 2023 की मौद्रिक नीति में आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा ने रेपो दर में वृद्धि के खिलाफ मतदान किया, जबकि शशांक भिडे, राजीव रंजन, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने रेपो दर में 25 बीपीएस की बढ़ोतरी के लिए मतदान किया। 
  • यह समिति मौद्रिक नीति के निर्धारण के लिए वर्ष में चार बार आयोजित की जाती है।

मौद्रिक नीति से संबंंधित चुनौतियाँ

  • भू राजनीतिक तनाव
  • तंग वैश्विक वित्तीय स्थितियाँ
  • वैश्विक बाजार की अस्थिरता- जो वर्तमान की अवस्थिति है।
  • धीमी खपत के साथ निजी निवेश में कमी 

स्रोत

Indian Express

https://cleartax.in/s/repo-rate

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