यमुना नदी व रेत खनन

यमुना नदी व रेत खनन

यमुना नदी व रेत खनन

संदर्भ- हाल ही में दिल्ली के नवनियुक्त जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने गर्मियों से पहले ही यमुना नदी के सूखने का कारण रेत खनन को बताया है। उनके अनुसार राज्य के वजीराबाद में नदी का जल स्तर कम हो रहा है जिससे राज्य में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।

दिल्ली से पूर्व यमुना हरियाणा से होकर राज्य में प्रवेश करती है जहाँ रेत के बड़े बड़े टीलों को नदी को पूरी तरह से सूखाने के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। 

यमुना – 

  • यमुना नदी, गंगा की एक सहायक नदी है, जो उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जनपद के यमुनोत्री नामक स्थान से निकलती है। और उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में इसका गंगा के साथ संगम हो जाता है।
  • यमुना की सहायक नदियों में चम्बल, सेंगर, छोटी सिंधु, बेतवा व केन प्रमुख हैं। 
  • इसके साथ ही यह उत्तराखण्ड, हरियाणा व उत्तर प्रदेश राज्यों की क प्रमुख नदी है।
  • यमुना भारत के कई प्रमुख नगरों की जीवन रेखा है, ये हैं- दिल्ली, आगरा, इटावा, कालपी और प्रयाग आदि। 

यमुना नदी का महत्व-

  1. उपजाउ भूमि- भारत में गंगा यमुना नदी तट को सबसे उपजाउ भूमि के रूप में जाना जाता है। नदी अपसे साथ एक लम्बा मार्ग तट कर कई निक्षेपों को बहाकर लाती है, जिसके काऱण एक बेहद उपजाउ क्षेत्र का निर्माण होता है। जिस भूमि की कृषि पर एक विशाल आबादी निर्भर करती है। इससे 1440 किमी लम्बी पूर्वी यमुना नहर उत्तर प्रदेश के सहारमपुर, मेरठ, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत आदि जिलों को हरा भरा रखने में सहायक है। 
  2. इसी प्रकार पश्चिमी यमुना नहर दिल्ली और राजस्थान के 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचित करता है। यह अम्बाला, करनाल, सोनीपत, हिसार, सिरसा आदि जिलों की जीवन रेखा है। 
  3. पारिस्थितिकी महत्व- स्वच्छ नदियों के जल का दोहन प्रत्येक जीव करता है, जिससे नदियों के किनारे मानव समेत कई जीवों की सभ्यताएं बसी। नदियों के आसपास विभिन्न पारिस्थितिकी को पनपने का अवसर प्राप्त होता है। मछली की 40% आबादी मीठे पानी में पनपती हैं। विभिन्न जलीय प्रजातियाँ नदी के तटों पर रेत व बजरी के आसपास के क्षेत्र को अंडे व फीडिंग के लिए चुनते हैं। 
  4. विकास कार्यों व विनिर्माण के लिए नदियों की आवश्यकता- नदियां अपने साथ कई प्रकार के अवसादों को बहाकर लाती है जिनका प्रयोग मनुष्य निर्माण कार्यों में करता है। जैसे रेत, पत्थर, बजरी आदि।
  5. आवागमन का साधन – प्राचीन काल व मध्यकाल में नदियाँ आवागमन का साधन हुआ करती थी, नदियों में पर्याप्त जल होता था। जो नावों को बिना किसी पर्यावरण प्रदूषण के एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का एक साधन था। इसलिए अधिकतर सभ्यताओं का नदियों के तट पर बसने का एक कारण आवागमन भी था। ताजमहल, इलाहाबाद का किला, प्रयागराज की प्राचीन संस्कृति, वृंदावान का केशीघाट आदि इसके सामरिक महत्व को दर्शाते हैं।

रेत खनन- नदी अपने बहाव के साथ तलछट लाती है, जिसमें कई खनिजों के साथ रेत भी होती है। रेत को गौण खनिज भी कहा जाता है। रेत खुरदरी और जितनी मोटी होती है, निर्माण के लिए उतनी ही बेहतर होती है, क्षेत्र में खनन कंपनियाँ निर्माण उद्देश्यों के लिए खनिजों को बेचती है। रेत दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में निर्माण स्थलों में यह 10 रुपये प्रति क्यूबिक फुट के अनुसार बेचा जाता है और ढुलाई के अनुसार इसकी कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है। रेत की बढ़ती मांग के कारण इसका अवैध खनन होने की घटनाएं सामने आते रहती हैं जिसके लिए कुछ कानूनी प्रावदान बनाए गए हैं।

रेत खनन हेतु कानूनी प्रावधान

  1. रेत खनन से पूर्व पर्यावरण प्रभाव आंकलन अधिसूचना के अनुसार खनन जैसी परियोजनाओं के लिए अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है। यमुना नदी में 3 मीटर गहराई तक खुदायी तक मंजूरी प्राप्त की जा सकती है। 
  2. खान व खनिज अधिनियम राज्य सरकारों को उत्खनन से संबंधित नियम बनाने का अधिकार देता है।
  3. पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने रेत खनन से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसके अनुसार- 
  • खनन क्षेत्रों की निरंतर निगरानी
  • नदियों के जलस्तर का आंकलन
  • क्षेत्रों में कार्यबलों की स्थापना।
  • रेत के लेनदेन व मूल्य में पारदर्शिता लाने के लिए डिजीटल माध्यमों का उपयोग।
  • मानसून के समय उत्खनन प्रतिबंधित।

रेत खनन के प्रभाव व चिंताएं

  • रेत खनन से तटीय भूमि का क्षरण हो सकता है जिससे वहां की पारिस्थितिकी पर खराब प्रभाव पड़ सकता है।
  • रेत खनन, नदी के जल स्तर में कमी का एक मुख्य कारण है, जिससे स्थानीय क्षेत्रों में पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है, सूखा जैसी आपदा इसका एक विनाशकारी प्रभाव है।
  • रेत खनन के कारण नदी के तल बरसात के पानी को वहन नहीं कर पाते और बाढ़जन्य परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं। जिससे वहां की आबादी व कृषि पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • रेत खनन व्यवसाय, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। 

स्रोत

Indianexpress.com

Yojna IAS daily current affairs hindi med 21st March 2023

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