यूनेस्को ग्लोबल नैटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज (UNESCO Global network of learning cities)

यूनेस्को ग्लोबल नैटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज (UNESCO Global network of learning cities)

यूनेस्को ग्लोबल नैटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज (UNESCO Global network of learning cities)

संदर्भ- हाल ही यूनेस्को ने भारत के 3 शहरों को सभी के लिए स्थानीय स्तर पर आजीवन अधिगम शहरों की श्रेणी में शामिल कर दिया है।

यूनेस्को ग्लोबल नैटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज- यह एक अंतर्राष्ट्रीय नैटवर्क है, जो अपने शहरों के समुदायों को आजीवन सीखने के लिए प्रेरित करते हैं। और परस्पर ज्ञान अनुभव व प्रेरणा सांझा करते हैं। यह यूनेस्को इंस्टट्यूट ऑफ लाइफ लाँग लर्निंग के साथ संबद्ध है। यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अजोले के अनुसार यूनेस्को के नए सीखने वाले शहरों के पास विशेषज्ञता और प्रतिबद्धता का भण्डार है। इन सहरों में सभी आयु के लोगों के लिए वास्तव में शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित किया जाता है।

सीखने वाले शहरों की विशेषता-

  • शिक्षा प्रशिक्षण और सांस्कृतिक संस्थाओं क जोड़ना।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिनिधि, संगठन और नियोक्ताओं को नैटवर्क में लाना।
  • समावेशी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बुनियादी से उच्च शिक्षा क्षेत्र तक प्रभावी संसाधन जुटाना।
  • प्रभावी अधिगम के लिए आधुनिक शिक्षा पद्धति  के साथ परिवार में सीखने की प्रथा को भी सम्मिलित किया जाता है।

यूनेस्को ने 44 देशों के 77 शहरों को शामिल किया गया है।और भारत के 3 शहरों को इसमें शामिल किया गया है-

  1. वारंगल
  2. नीलांबुर
  3. त्रिशुर

वारंगल- भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित वारंगल एक समृद्ध विरासत लिए प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। वारंगल, आंध्र प्रदेश के काकतीय साम्राज्य(12वी सदी) की राजधानी रही है। काकतीयों ने ही वारंगल दुर्ग, हनमकोंडा का प्रसिद्ध 1000 स्तम्भों वाला मंदिर और पालमपेट्टा का रामप्पा मंदिर बनवाए थे।

अधिगम शहर के रूप में वारंगल

  • वारंगल की अर्थव्यवस्था कृषि, औद्योगिक व सेवा क्षेत्रों पर आधारित है।
  • शहर समानता व समवेशी रणनीतियों को लागू करता है जैसे –
  • महिला एवं बाल कल्याण नीति, 
  • शहरी नीति, 
  • हाशिए के समूह को प्राथमिकता के प्रभाव की निगरानी और
  • मूल्यांकन के लिए सलाहकार समिति की नियुक्ति।
  • ट्रांसजैंडर समुदाय के लिए रोजगार संबंधी कौशल का मुफ्त प्रशिक्षण,
  • पूरे शहर के स्वयं सहायता समूहों में महिलाएं, विकलांग और कमजोर समुदाय के 125000 से अधिक नागरिक शामिल हैं।

त्रिशूर- देश के केरल राज्य की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाने वाला शहर त्रिशूर को भी UNESCO ने अधिगम शहर के रूप में शामिल किया है। 

त्रिशूर शाब्दिक रूप से तिरु+शिव+ऊर से बना है, जहां तिरु एक आदरसूचक शब्द है जैसे हिंदी में श्रीमान शब्द का प्रयोग किया जाता है। ऊर का अर्थ पुर(घर) से लिया जा सकता है।अतः त्रिशूर का अर्थ- श्री शिव का घर से लिया जा सकता है। त्रिशूर में बड़ी संख्या में प्रसिद्ध मंदिर हैं जैसे- वडक्कुमनाथन मंदिर, थिरुवम्बाड़ी श्रीकृष्ण मंदिर, परमेक्कावु मंदिर, गुरुवायूर मंदिर आदि।

अधिगम शहर के रूप में त्रिशूर

  • त्रिशूर में निष्पक्षता व समावेश की प्रथा।
  • त्रिशूर में MSME Development Institute of India का क्षेत्रीय केंद्र।  
  • उच्चस्तरीय कौशल के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत सहायता।
  • UNESCO के अधिगम शहर के रूप में त्रिशूर बौद्धिक अधिगम के रूप में योगदान देने की आशा करता है। जैसे-
  • सीखने के रूप में समान पहुँच
  • डिजिटल लर्निंग इकोसिस्टम
  • स्थिरता के लिए कौशल पर ध्यान केंद्रित करना।

नीलांबुर- नीलांबुर केरल राज्य के मलम्मपुरम जिले में स्थित है। यह चलियार नदी के किनारे पश्चिमी घाट में एक इको टूरिज्म क्षेत्र है। निलांबुर अपने व्यापक वन क्षेत्र में बसे शहरी व ग्रामीण आर्थिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है।

अधिगम शहर के रूप में नीलांबुर-

  • यहां की आर्थिक व्यवस्था कृषि व उद्योगों पर आधारित है।
  • यह शहर सभी को मुफ्त चिकित्सा उपचार प्रदान करता है। अत्यधिक बीमार रोगियों के लिए घर घर उपचार की व्यवस्था चिकित्सा स्वयं सेवकों के माध्यम से करता है।  
  • छात्रों व युवा नागरिकों को यह शहर प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण देकर स्वयं सेवक के रूप में  तैयार किया जाता है।
  • UNESCO के अधिगम शहर के रूप में नीलांबुर 
  • सामुदायिक स्वामित्व के माध्यम से सतत विकास,लैंगिक समानता, समावेशिता व लोकतंत्र को बढ़ावा देना है।
  • SDG लक्ष्य, भूख की समाप्ति को सुनिश्चित करना
  • उद्देश्यसभी क्षेत्रों में समान अवसर सुनिश्चित करना।
  • क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना।
  • उत्पीड़न को कम करके शहर को महिला अनुकूल बनाना।
  • कृषि व हस्तशिल्प को बढ़ावा देना।

Yojna IAS daily current affairs hindi med 10th September

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