रायसीना डायलॉग का नौवां संस्करण : वैश्विक स्तर एक महान शक्ति के रूप में उभरता हुआ भारत

रायसीना डायलॉग का नौवां संस्करण : वैश्विक स्तर एक महान शक्ति के रूप में उभरता हुआ भारत

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी। 

सामान्य अध्ययन –  पेपर – 2  अंतर्राष्ट्रीय – संबंध, भारत की विदेश नीति , भारत और ग्रीस रणनीतिक – साझेदारी, रायसीना – डायलॉग, भारत – मध्य पूर्व – यूरोप आर्थिक गलियारा, बाल्टिक – नॉर्डिक फोरम, G -7 या ब्रिक्स -10 , G -20 समूह ।  

खबरों में क्यों ? 

 

  • हाल ही में भारत में 21 से 23 फरवरी 2024 के बीच नई दिल्ली में तीन दिवसीय ‘रायसीना डायलॉग’ के नौवें संस्करण का आयोजन किया गया था ।
  • रायसीना डायलॉग के 9वें संस्करण का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में किया था. जिसमें ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस इस उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि थे।
  • रायसीना डायलॉग भू-राजनीति और भू-अर्थशास्त्र पर भारत द्वारा आयोजित होने वाला एक प्रमुख सम्मेलन है।  
  • रायसीना डायलॉग अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने आने वाले सबसे चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • वर्ष 2024 में आयोजित हुए इस संस्करण का मुख्य विषय – चतुरंगा : संघर्ष, प्रतिद्वन्द्विता, सहयोग, सृजन ‘  है।
  • भारत में आयोजित इस रायसीना डायलॉग के तीन दिवसीय संवाद – बैठक में विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियों, रक्षा मंत्रियों और वित्त मंत्रियों, पूर्व राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्‍यक्षों, सैन्य कमांडरों, शिक्षाविदों, पत्रकारों और विद्वानों सहित 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधि ने भाग लिया था।
  • इस बैठक में ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने कहा कि – “ भारत वैश्विक स्तर पर एक महान शक्ति है और भारत वैश्विक शांति तथा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सहयोगी देश भी है। ” 
  • उन्होंने यह भी कहा कि – “ भारत जी-20 संगठन में एक उभरती हुई शक्ति है और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली खतरों की लड़ाई में एक अग्रणी और महत्वपूर्ण देश है। ”  
  • उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से भारत और ग्रीस दोनों देशों के बीच के आपसी साझेदारी को और मजबूत करने का आग्रह किया।
  • इस आयोजन का उद्घाटन करने वाले ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने भारत – मध्य पूर्व – यूरोप आर्थिक गलियारे जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं के महत्व के बारे में बात की। ग्लोबल गवर्नेंस, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के शीर्ष पर गैर बराबरी और उसमें सुधार की जरूरत पर भी चर्चा की गयी। 
  • ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने कहा कि – “ आज दोनों देशों के बीच साझेदारी का उत्‍सव मनाने का समय हैक्योंकि यह दोनों देशों के बीच एक साझेदारी है जो समान मूल्यों को साझा करते हैं और यह साझेदारी दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के बीच का संबंध का  है।” 
  • वर्ष 2023 में G-20 की मेजबानी में भारत की भूमिका और भारत द्वारा इसका सफलतापूर्वक निर्वहन का भी रायसीना डायलॉग में बार-बार जिक्र किया गया। ब्राजील में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक के चलते, सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य, महत्वपूर्ण G-7 या ब्रिक्स-10 देशों से किसी वरिष्ठ मंत्री स्तर की उपस्थिति नहीं हो सकी थी ।
  • मध्य और पूर्वी यूरोप से बड़ा मंत्रीय दल मौजूद रहा, जिसमें बाल्टिक-नॉर्डिक फोरम के सभी मंत्री शामिल थे। इसने सरकार के लिए एक नई राजनयिक संलग्नता को संभव बनाया जो यूरोप के इस हिस्से के साथ व्यापारिक समझौतों और निवेश संबंधों की तलाश कर रही है। इस हिस्से की अक्सर अनदेखी की जाती है, पर यह आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धी है।

रायसीना डायलॉग के नौवें संस्करण 2024 का मुख्य विषय : 

रायसीना डायलॉग के नौवें संस्करण 2024 का छह मुख्य विषय निम्नलिखित है –  

  1. पीस विद प्लेनेट : निवेश और नवप्रवर्तन । 
  2. लोकतंत्र की रक्षा : समाज और संप्रभुता ।
  3. युद्ध और शांति : शस्त्रागारऔर विषमताएं।
  4. टेक फ्रंटियर्स : विनियम और वास्तविकताएँ।
  5. बहुपक्षीय संस्थाओं की उपनिवेशवाद से मुक्ति और समावेशन ।
  6. वर्ष 2030 के बाद का एजेंडा : लोग और प्रगति । 

रायसीना डायलॉग का परिचय: 

  • नई दिल्ली में रायसीना पहाड़ी के साउथ ब्लॉक में भारत के विदेश – मंत्रालय का मुख्यालय अवस्थित है। अतः भारत के नई दिल्ली में स्थित रायसीना पहाड़ी के नाम पर ही इस बैठक को ‘ रायसीना डायलॉग ’ के नाम से जाना जाता है।

रायसीना डायलॉग का महत्व :

 

  • भारत में वर्ष  2016 में  रायसीना डायलॉग का प्रारंभ नई दिल्ली में किया गया था।
  • यह भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक वार्षिक सम्मेलन है जिसका आयोजन भारत के विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research Foundation- ORF) द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है
  • यह एक बहु-हितधारक, क्रॉस-सेक्टरल बैठक है जिसमें नीति-निर्माताओं एवं निर्णयकर्त्ताओं, विभिन्न राष्ट्रों के हितधारकों, राजनेताओं, पत्रकारों, उच्चाधिकारियों तथा उद्योग एवं व्यापार जगत के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता है।
  • इसके अंतर्गत विभिन्न देशों के विदेश, रक्षा और वित्त मंत्रियों को शामिल किया जाता है।
  • भारत में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (Observer Research Foundation- ORF) की स्थापना वर्ष 1990 में की गई थी। जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है जो एक ‘ स्वतंत्र थिंक टैंक ’ के रूप में कार्य करता है।

 

रायसीना डायलॉग का मुख्य उद्देश्य :

 

  • रायसीना डायलॉग का मुख्य उद्देश्य एशियाई एकीकरण के साथ – ही – साथ विश्व के शेष देशों के साथ एशिया के साथ बेहतर समन्वय हेतु संभावनाओं एवं अवसरों की तलाश करना है।
  • रायसीना डायलॉग एक बहुपक्षीय सम्मेलन है जो वैश्विक समुदाय के सामने आने वाले चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध होने वाला मंच है।
  • विश्व भर के नीतिगत, व्यापार, मीडिया और नागरिक समाज से संबंधित वैश्विक नेताओं को प्रति वर्ष व्यापक अंतर्राष्ट्रीय नीतिगत मामलों पर चर्चा करने के किए रायसीना डायलॉग में आमंत्रित किया जाता है।

भारत को रायसीना डायलॉग से प्राप्त होने वाला लाभ : 

 

  • रायसीना डायलॉग सरकार को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विभिन्न स्थितियों और मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने हेतु एक मंच प्रदान करता है।
  • रायसीना डायलॉग से भारत सरकार की कूटनीतिक क्षमता में वृद्धि होती है।

निष्कर्ष / समाधान की राह : 

 

  • ‘‘रायसीना डायलॉग’ में विदेश नीति पर चर्चाओं में विभिन्न अन्य देशों के शामिल नहीं होने के कारण विदेश नीति के संदर्भ में विविधता का अभाव था, लेकिन इस बैठक में हुई बातचीत का बड़ा हिस्सा वैश्विक संघर्षों पर ही केंद्रित रहा था ।
  • यूरोप के गणमान्य व्यक्तियों की भारी उपस्थिति में यूक्रेन में रूसी युद्ध की ओर खास तौर पर ध्यान दिलाया गया और सैन्य व नौसैन्य रणनीति पर पैनलों ने आक्रामक चीन की विस्तारवादी नीति से निपटने की जरूरत की ओर भी अपना ध्यान केंद्रित किया। 
  • ‘‘रायसीना डायलॉग’ में हुई चर्चाओं में संतुलन की कोई कोशिश नहीं की गई थी, क्योंकि न तो रूस ही और न ही चीन को ही इस बैठक में आमंत्रित किया गया था। 
  • दक्षिण पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका, और यहां तक कि दक्षिण एशिया (नेपाल और भूटान को छोड़कर) से भी न्यूनतम उपस्थिति थी। 
  • लोकतंत्र से संबंधित पैनलों ने स्वतंत्रताओं में गिरावट को लेकर भारत के भीतर जीवंत बहसों से स्वाभाविक रूप से परहेज किया, लेकिन इस विमर्श में गैर-सरकारी सिविल सोसाइटी संगठनों की गैरहाजिरी ने उन चुनौतियों पर संकीर्ण दृष्टि निर्मित की जिनका सामना दुनियाभर के लोकतंत्र कर रहे हैं। 
  • गाजा में इजराइली युद्ध पर भी कोई उल्लेखनीय चर्चा नहीं हुई । इसका अर्थ  विदेश नीति से जुड़े चिंतन के लिए भारत के इस विशिष्ट मंच पर चर्चाओं में विविधता की कमी भर नहीं है, बल्कि यह भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की इस अन्यथा दुरुस्त टिप्पणी के महत्व को कम करती हैं कि रायसीना डायलॉग –  ‘ ग्लोबल पब्लिक स्क्वॉयर’ का ‘मेड इन इंडिया’ संस्करण ‘  बन गया है।
  • भारत और ग्रीस दोनों ही देशों का वैश्विक चुनौतियों पर स्वाभाविक रूप से एक समान दृष्टिकोण है। जैसे-जैसे भारत विदेशों में अपनी पहुंच मजबूत कर रहा है, ग्रीस भारत के लिए एक अनुकूल गंतव्य देश के रूप में उभरा है।
  • भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भारत की दिन – ब – दिन बढ़ती रुचि और भारत की सक्रियता भारत की कूटनीतिक स्तर पर  निरंतर वृद्धि का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो भारत – ग्रीस के आपसी कूटनीतिक और व्यापारिक साझेदारी के लिए  एक आधार – स्तंभ  के रूप में काम करेगी।
  • भारत पहले से ही ग्रीस के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश कर रहा है। इनमें नए हवाई अड्डे का निर्माण भी शामिल है। अतः भारत और ग्रीस दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगातार बढ़ ही रहा है।
  • ग्रीस के प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ विकास कर रही अर्थव्यवस्था है। ग्रीस ने पिछले वर्षों में किसी भी यूरोपीय देश की तुलना में सबसे तेज़ विकास दर हासिल की है। अतः भारत और ग्रीस के बीच का आपसी निवेश हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख लक्ष्य है।
  • श्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्‍यम जयशंकर ने भी रायसीना डायलॉग बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि दो सभ्यतागत देशों के रूप में, भारत और ग्रीस की मौजूदा वैश्विक व्यवस्था के विकास में योगदान का विशेष दायित्‍व है।
  • दक्षिण पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका, और यहां तक कि दक्षिण एशिया के देशों जैसे – नेपाल और भूटान को छोड़कर, अन्य देशों की न्यूनतम उपस्थिति थी। इस बैठक में दक्षिणी एशियाई देशों की एक बड़ी उपस्थिति से ज्यादा विविधता भरा रुख सामने आता और उक्त संघर्षों से वे किन दबावों का सामना कर रहे हैं, इसका भी पता चलता और यथासंभव उन समस्याओं का समाधान रायसीना डायलॉग के माध्यम से करने का प्रयास किया जाता।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. रायसीना डायलॉग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 

  1. रायसीना डायलॉग एक चतुर्थ वर्षीय बैठक कार्यक्रम है। जिसका आयोजन हर चार वर्ष में नई दिल्ली में किया जाता है। 
  2. वर्ष 2024 में आयोजित हुए इस संस्करण का मुख्य विषय – ‘ चतुरंगा : संघर्ष, प्रतिद्वन्द्विता, सहयोग, सृजन ‘  है।
  3. भारत में वर्ष  2016 में  रायसीना डायलॉग का प्रारंभ नई दिल्ली में किया गया था।
  4. रायसीना डायलॉग का आयोजन भारत के गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A) केवल 1 और 4 

(B) केवल 2 और 3 

(C) केवल 1 और 3 

(D) केवल 2 और 4 

उत्तर – (B) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. रायसीना डायलॉग के नौवें संस्करण के मुख्य विषय को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि वैश्विक स्तर पर बदलते भू – कूटनीतिक और रणनीतिक संबंधों के संदर्भ में रायसीना डायलॉग किस प्रकार प्रासंगिक है ? 

 

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