राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यानयन परिषद (NAAC)

राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यानयन परिषद (NAAC)

राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यानयन परिषद (NAAC)

संदर्भ- बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय की NAAC रेटिंग को लेकर विवाद हो रहा है, आरोप लगाया जा रहा है कि विश्वविद्यालय का A से A+ रेटिंग रिश्वतखोरी का परिणाम है।

NAAC (National Assessment and Accreditation Council) – 

भारत की शिक्षा प्रणाली, विश्व की शिक्षा प्रणालियों में सबसे विविध व बड़ी शिक्षा प्रणाली है। शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए शिक्षा व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन किए जाते रहै हैं, जैसे राष्ट्रीय शिक्षा योजना (NPE 1986) और कार्यवाही का कार्यक्रम (POA 1992)। 1994 में राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यानयन परिषद की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय बंगलुरु में स्थापित किया गया। 

NAAC का लक्ष्य-  शिक्षा की तीन धाराओं की गुणवत्ता को कार्यप्रणाली का अभिन्न अंग बनाना। ये तीन धाराएं हैं-

  • सामान्य शिक्षा
  • विशेष शिक्षा और शारीरिक शिक्षा
  • उच्च शिक्षा।

विजन/मिशन- भारत में स्वतः और बाहरी गुणवत्ता मूल्यांकन संवर्धन व सतत उपायों के संयोजन से गुणवत्ता को उच्च शिक्षा का अभिन्न अंग बनाना।

  • उच्च शिक्षण संस्थानों या उनकी इकाइयों या विशिष्ट शैक्षणिक कार्यक्रमों या परियोजनाओं का निश्चित अवधि मं मूल्यांकन और उनके प्रत्यानयन की व्यवस्था करना।
  • शिक्षण व्यवस्था में शिक्षण, ज्ञानार्जन और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
  • उच्च शिक्षा में स्व मूल्यांकन, जवाबदेही व नवाचार को बढ़ावा देन।
  • गुणवत्ता से संबंधित अनुसंधान अध्ययन, परामर्श और पर्शिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ करना।
  • गुणवत्ता मूल्यांकन, प्रोत्साहन व संपोषण के लिए उच्च शिक्षा के अन्य हित धारकों के साथ सहयोग करना।

NAAC के लाभ- 

  • इस प्रक्रिया के माध्यम से संस्थान अपनी कमियों व अवसरों को जानता है।
  • योजना तथा संस्थान आबंटन के क्षेत्रों की पहचान
  • परिसर में सहशासन
  • नई व आधुनिक शिक्षण पद्धतियों को संस्थान द्वारा प्रयोग में लाना।
  • शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए समाज उचित जानकारी देता है.
  • विद्यार्थियों को संस्थान की उचित जानकारी होती है।

संशोधित मूल्यांकन एवं प्रत्यानयन (ए एण्ड ए) फ्रेमवर्क- जुलाई 2017 में NAAC के फ्रेमवर्क में संशोधन किया गया, संशोधन के तहत निम्न सुधार किए गए।

  • मूल्याकन अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी।
  • गुणवत्ता सुधार उपकरणो के रूप में बेंचमार्किंग को बढ़ावा देना। इसके लिए NAAC के साथ अन्य अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता फ्रेमवर्क की तुलना करना।
  • ए एण्ड ए प्रक्रिया का आधार मानदण्ड आधारित मूल्यांकन होता है।

मानदण्ड संकेतक मूल्यांकन फ्रेमवर्क-  इसमें सात तत्वों को शामिल कर मूल्यांकन किया जाता है-

  1. पाठ्यचर्चा संबंधी पहलू
  2. शिक्षण शिक्षा मूल्यांकन
  3. अनुुसंधान व संपर्क विधियाँ
  4. बुनियादी ढ़ांचा व सीखने के संसाधन 
  5. विद्यार्थी सहायता व प्रगति
  6. शासन नेतृत्व व प्रबंध
  7. संस्थागत मूल्य व सर्वोत्तम प्रथाएं।

मूल्यांकन हेतु संस्थागत सीजीपीए का परिकलन सीजीपीए की गणना 3 स्रोतों से प्राप्त अंकों के आधार पर की जाती है-

  • प्रणाली सृजित मात्रात्मक मीट्रिक स्कोर, जो कुल 70% का होगा।
  •  गुणात्मक मीट्रिक स्कोर जो विद्यार्थी संतुष्टि सर्वेक्षण के माध्यम से समकक्ष दल द्वारा मूल्यांकन।
  • बेंचमार्क आधारित प्राप्ताक(0,1,2,3,4)

संस्थान द्वारा 4.00 के अधिकतम अंक के आधार पर सीजीपीए तैयार किया जाता है। 

 

सीजीपीए सीमा अक्षर श्रेणी  स्थिति
3.51-4.00 A++ प्रत्यायित
3.26-3.50 A+ प्रत्यायित
3.01-3.25 A प्रत्यायित
2.76-2.75 B++ प्रत्यायित
2.51-2.75 B+ प्रत्यायित
2.01-2.50 B प्रत्यायित
1.51-2.00 C प्रत्यायित
<=1.50 D अप्रत्यायित

1.50 के बराबर या उससे कम ग्रेड प्राप्त संस्थान मान्यता योग्य नहीं माने जाते हैं। मूल्यांकन में सुधार के इच्छुक संस्थान पूनर्मूल्यांकन के लिए एक वर्ष बाद मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं।

NAAC के विनियमों के अनुसार, संस्थान द्वारा गलत विवरण देने पर संस्थान को अयोग्य घोषित किया जाता है और उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय की वेबसाइट के अनुसार NAAC ने 2016 में विश्वविद्यालय को 3.16 सीजीपीए के साथ A ग्रेड घोषित किया था जो 15 दिसम्बर 2021 तक वैध थी। इन आरोपों के विखण्डन हेतु विश्वविद्यालय को NAAC प्रत्यायन के पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करना पड़ सकता है।

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