राहुल गांधी मानहानि केस

राहुल गांधी मानहानि केस

राहुल गांधी मानहानि केस

संदर्भ- न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा 2019 में मोदी उपनाम पर ‘चोर’ टिप्पणी करने के कारण उन्हें मानहानि के मामले में दोषी पाया है। और दो साल की जेल की सजा सुनाई है। अदालत ने 15000 रुपये के मुचलके पर गांधी की जमानत मंजूर कर ली है, और उन्हें अपील करने की अनुमति देने के लिए सजा को 30 दिन तक निलंबित कर दिया गया है।

2019 में कर्नाटक के कोलार में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बयान “एक छोटा सा सवाल है- इन सब चोरों का नाम मोदी-मोदी कैसे है? नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी… और अभी थोड़ा ढूंढेंगे तो और बहुत सारे मोदी मिलेंगे।” 

याचिकाकर्ता- यह केस सूरत के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर किया गया है। उनका आरोप था कि यह सम्पूर्ण मोदी उपनाम वाले समाज का अपमान है।  

मानहानि- किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के विरुद्ध गतिविधि या बयान मानहानि के अंतर्गत आता है। यह बयान किसी व्यक्ति, व्यापार, उत्पाद, समूह, सरकार, समाज, धर्म या राष्ट्र से संबंधित हो सकता है। भारत में किसी की प्रतिष्ठा को जानबूझकर नुकसान पहुँचाना गैरकानूनी है। मानहानि दो प्रकार की हो सकती है- लिखित व प्रकाशित।

भारतीय संविधान में मानहानि के विरुद्ध प्रावधान-

संविधान का अनुच्छेद 19(2)- 

संविधान में अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आधारित है। और अनुच्छेद 19(2) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगाता है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग के कारण होने वाली मानहानि पर प्रतिबंध लगाया गया है। 

भारतीय दण्ड संहिता 499  में मानहानि से जुड़े कानून का प्रावधान है जिसमें मानहानि, किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को कम करने के लिए दिए गए बयानों के विरुद्ध मुकदमा दायर किया जा सकता है। मानहानि आमतौर पर उन व्यक्तियों द्वारा दायर की जाती जिनकी सार्वजनिक और प्रतिष्ठित छवि होती है। इसके तहत निम्न परिस्थितियां हो सकती हैं- 

  • किसी मृत व्यक्ति की ख्याति की क्षति हो जो उसके जीवन्त अवस्था में अर्जित ख्याति या उसके परिवार की ख्याति को प्रभावित करती हो।
  • किसी सामाजिक या व्यापारिक समूह की ख्याति को प्रभावित करती हो।
  • व्यंग्य के रूप में की गई ऐसी अभिव्यक्ति जो किसी की प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाए।

मानहानि की सजा- मानहानि को जमानती या गैर संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। मानहानि साबित होने के बाद भारतीय दण्ड संहिता की धारा 500 के अनुसार मानहानि के विरुद्ध सजा का प्रावधान रखा गया है। इसके तहत 2 वर्ष तक की सजा या आर्थिक दण्ड या दोनों दिए जा सकते हैं। जिसके तहत राहुल गांधी को 2 वर्ष की कैद की सजा सुनाई गई। इस आरोप के सिद्ध होने के कारण सांसद के रूप में वे अयोग्य हो सकते हैं। 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सांसद के रूप में अयोग्य होने की स्थिति

  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951- कोई भी व्यक्ति अयोग्य घोषित होने के तीन महीने तक अयोग्य घोषित नहीं होगा यदि उसने तीन महीने के अंतर्गत इसके विरुद्ध अपील न की हो। 
  • लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया केस में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय- किसी भी मुकदमें में 2 या 2 से अधिक वर्ष तक की सजा पाए सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। किंतु सुप्रीम कोर्ट में सजा के विरुद्ध अपील करने पर यह आदेश लागू नहीं होगा। 

सांसद या विधायक के अयोग्य होने की अन्य स्थिति 

अनुच्छेद 102(1) और 191(1) के अनुसार सांसद या विधायक-

  • लाभ का पद धारण करना, 
  • दिमागी रूप से अस्वस्थ होना या दिवालिया होना या
  •  वैध नागरिकता न होना।

संविधान की 10वी अनुसूची दल बदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य घोषित कर सकती है।

मानहानि न होने की दशा आरोप, किसी व्यक्ति के लिए मानहानि नहीं कहा जा सकेगा जब तक –

  • वह दूसरों की दृष्टि में किसी व्यक्ति, जाति या समूह की सदाचारिक या बौद्धिक स्वरूप या शील की उपेक्षा न करे। 
  • वह व्यक्ति की शाख को न गिराए। 
  • वह व्यक्ति को यह विश्वास न कराए कि उसका शरीर घृणित दशा में है।
  • यह साबित न हो कि व्यक्ति ने किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान इरादतन पहुँचाया था।

अतः राहुल गांधी, जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 और लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इण्डिया केस के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में दोषसिद्धि हेतु याचिका दायर कर निर्दोष साबित होने पर सांसद सदस्यता की अयोग्यता को खारिज कर सकते हैं।

स्रोत

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 25th March 2023

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