रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका की सऊदी अरब से उम्मीदें

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका की सऊदी अरब से उम्मीदें

संदर्भ क्या है ?

  • रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सऊदी अरब के दौरे पर पहुँचे, राष्ट्रपति के रूप में ये उनकी सऊदी अरब की यात्रा ऐसे समय में हुई है जब रूस यूरोपीय देशों के लिए तेल और गैस आपूर्ति में लगातार कटौती कर रहा है ।
  • जो बाइडन के सत्ता में आने के बाद से सऊदी अरब और अमेरिका के संबंधों में काफ़ी तनाव की बात कही जा रही थी। बाइडन के इस दौरे को सऊदी अरब के साथ संबंधों को पटरी पर लाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा बाइडन चाहते हैं कि सऊदी अरब तेल का उत्पादन बढ़ाए और इस क्षेत्र में इजराइल की स्वीकार्यता बढ़े।

सऊदी अरब के साथ संबंध

  • बाइडन जब जेद्दाह एयरपोर्ट पर पहुँचे तो उनके स्वागत में शाही परिवार से न तो किंग सलमान थे और न ही उनके बेटे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान आए। बाइडन के स्वागत में सऊदी अरब के मक्का प्रांत के गवर्नर ख़ालिद बिन फ़ैसल अल साऊद आए।
  • बाइडन के सऊदी अरब आने पर बहुत ही हल्के स्वागत को दोनों देशों में तनाव की पुष्टि के तौर पर देखा जा रहा है। इसके अलावा बाइडन के दौरे की तुलना मई 2017 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे से भी की जा रही है। ट्रंप के स्वागत में सऊदी अरब के किंग सलमान ख़ुद एयरपोर्ट पर पहुंचे थे।
  • राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने पहले विदेशी दौरे के लिए सऊदी अरब को चुना था जबकि अमेरिका में बाक़ी राष्ट्रपति पारंपरिक रूप से पहले विदेशी दौरे में पड़ोसी देश कनाडा या मेक्सिको जाते थे। ट्रंप के स्वागत में वहाँ का पारंपरिक तलवार डांस भी हुआ और इसमें सऊदी अरब के किंग सलमान भी शामिल हुए थे। ट्रंप को सऊदी अरब ने ऑर्डर ऑफ अब्दुल अज़ीज़ अल-साऊद मेडल भी दिया था।
  • जब सऊदी अरब ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर क़तर के ख़िलाफ़ नाकाबंदी लगाई थी तब शुरुआत में ट्रंप ने भी समर्थन किया था, लेकिन बाद में उन्होंने क़तर के साथ तनाव ख़त्म करने के लिए भी काम किया था।ट्रंप ने सऊदी अरब में अरबों डॉलर के हथियार बेचने की अनुमति दी थी जबकि अमेरिकी सांसद इस निर्णय का विरोध कर रहे थे।
  • ट्रंप ने सऊदी अरब को हथियार देने पर लगे प्रतिबंधों को भी ख़त्म किया था जबकि यमन में सऊदी अरब के हमले के कारण आम लोग मारे जा रहे थे। पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या के मामले में भी ट्रंप ने क्राउन प्रिंस का बचाव किया था।
  • ट्रंप का कहना था कि सऊदी अरब को हथियार बेचने से अमेरिका के लोगों को रोज़गार मिलता है और मानवाधिकारों के मुद्दे पर वह इसे ख़तरे में नहीं डाल सकते हैं।
  • दूसरी तरफ़ नवंबर 2019 में जब जो बाइडन डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से चुनाव अभियान में जुटे थे तब उन्होंने कहा था कि वह राष्ट्रपति बनने के बाद सऊदी अरब को हथियार नहीं बेचेंगे। बाइडन ने यह भी कहा था कि वॉशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या के मामले में सऊदी अरब को क़ीमत चुकानी होगी।
  • बराक ओबामा राष्ट्रपति रहते चार बार सऊदी अरब गए थे।ओबामा पहली बार रियाद 2009 में गए थे। तब उन्हें राष्ट्रपति बने पाँच महीने से भी कम हुए थे। 2016 में जब ओबामा का कार्यकाल ख़त्म हुआ तब फिर ओबामा सऊदी अरब गए थे।तब किंग अब्दुल्लाह के निधन के बाद किंग सलमान ने कमान संभाली थी, लेकिन ओबामा की अगवानी किंग सलमान ने नहीं की थी। उनकी अगवानी में रियाद के गवर्नर खड़े थे। ओबामा के इस दौरे को वहाँ के सरकारी टीवी पर भी नहीं दिखाया गया था।
  • चार-चार साल के दो कार्यकाल तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने भी अपने आख़िरी सालों में 2008 में सऊदी अरब का दौरा किया था। उन्होंने तेल की बढ़ती क़ीमत और 2008 की आर्थिक मंदी के बाद सऊदी अरब का दौरा किया था। बुश के स्वागत में किंग अब्दुल्लाह एयरपोर्ट पर खड़े थे।
  • जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बाइडन के दौरे को एक स्थिति में देखा जा रहा है। बुश भी तब चाहते थे कि सऊदी अरब तेल का उत्पादन बढ़ाए ताकि क़ीमतें कम हों और बाइडन भी सऊदी अरब से उत्पादन बढ़ाने के लिए कह रहे हैं।

निष्कर्ष

  • अमेरिकी राष्ट्रपति के सऊदी अरब पहुंचने का सबसे बड़ा कारण है, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण। यूरोप में छिड़ा यह युद्ध पूरे विश्व के लिए आर्थिक चुनौती बन रहा है। प्रतिबंधों के चलते रूस से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स की सप्लाई बाधित हुई है और इसका असर अमेरिका समेत पूरे विश्व में देखा जा रहा है। यूरोप, अमेरिका और एशिया के ज्यादातर देशों में बीते छह महीने में तेल और गैस के दाम बहुत ज्यादा बढे हैं।
  • वहीं अब सऊदी अरब जैसे देश अब नए संभावित साझेदार खोज रहे हैं, उदाहरण के लिए चीन बैलिस्टिक मिसाइलें बनाने में सऊदी अरब की सहायता कर रहा है। परमाणु रिएक्टर लगाने में रूस से मदद मिल रही है।सुरक्षा के लिहाज से देखा जाए तो अमेरिका सऊदी अरब का सबसे महत्वपूर्ण भागीदार है। सऊदी अरब अमेरिकी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार भी है।

Yojna_daily_current_affairs 22_July

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